जानिए कैसे ऐरोबिक्स बढ़ा सकते हैं आपके मस्तिष्क की क्षमता
यह है ऐरोबिक्स का मस्तिष्क के साथ नाता
यह तो हम सभी जानते हैं कि ऐरोबिक्स शारीरिक व्यायाम का एक विदेशी रूप है जिसमें अधिकतर संगीत के साथ परिश्रम कराया जाता है। इसका मुख्य लक्ष्य होता है शरीर की नम्यता बढ़ाना, माँसपेशियों को मज़बूत बनाना और हृदय व रक्तवाहिकाओं को स्वस्थ रखना। यह परिश्रम करने का एक बहुत अच्छा विकल्प है क्योंकि यह बहुत दिलचस्प है।
इसकी कई एक्सर्सायज़ डान्स की तरह होती हैं किंतु क्या आपको यह पता है की ये मनोरंजक ऐरोबिक्स मस्तिष्क के विकास में भी सहायक होती हैं? जी हाँ, हफ़्ते में कम से कम 4 दिन ऐरोबिक्स करने से मस्तिष्क और बेहतर तरीक़े से काम करना शुरू के देता है। व्यायाम का तो हर प्राकार ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है लेकिन ऐरोबिक्स संज्ञानात्मक क्रियाओं का विकास कर हमारे मस्तिष्क को और भी ज़्यादा प्रचंड बनाती हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार यदि कोई ऐसा व्यक्ति जिसका संज्ञानात्मक विकास अच्छे स्तर पर नही हुआ होता और वह एक हफ़्ते में कम से कम 4 बार ऐरोबिक्स के रनिंग, जॉगिंग, स्विमिंग जैसे व्यायामों में भाग लें तो अवश्य ही उनकी सोचने समझने की शक्ति में विकास होगा।
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Mild cognitive development यह वह बीमारी है जो मनुष्य की स्मरण शक्ति और सोचने की क्षमता को प्रभावित करती है इसका लघु रूप MCI है। MCI से पीड़ित लोगों में Alzheimer होने की सम्भावना अत्यधिक होती है। अल्जाइमर एक बेहद ही ख़तरनाक बीमारी है जिसमें इंसान छोटी छोटी बातों को भी याद नही रख पता चाहे वह 15 मिनट पहले की ही क्यों ना हो।
वेक फ़ॉरेस्ट यूनिवर्सिटी(wake forest university) की लॉरा डी. बेकर कहती हैं की हम थोड़े से हो समय में ऐरोबिक्स का एक ग़ज़ब का सकारात्मक प्रभाव किसी भी मनुष्य के संज्ञानात्मक विकास पर देख साइट हैं। इसे साबित करने के लिए एक रीसर्च की गयी जिसमें 35 वयस्कों को शामिल किया गया उनमें से 16 वयस्कों को ट्रेडमिल, स्टेशनेरी बाइक और इलिप्टिकल ट्रेनिंग जैसी एरोबिक ऐक्टिविटी करायी गयी जबकि बचे हुए 19 वयस्कों को स्ट्रेचिंग एक्सर्सायज़ करायी गयी।
6 महीने बाद परिणाम देखने के लिए MRI टेस्ट कराए गये जिसमें उन्होंने यह पाया की दोनो ही दलों में मस्तिष्क का विकास हुआ किंतु स्ट्रेचिंग के मुक़ाबले ऐरोबिक्स वाले दल में इसका ज़्यादा असर दिखायी पड़ा अर्थात् उनका संज्ञानात्मक विकास बेहतर रूप से हुआ। यह अनुसंधान शिकागो की Radiological Society of North America में हाल ही में प्रस्तुत किया गया।