Emergency Aid Tips: हर बेहोश व्यक्ति को CPR नहीं देना चाहिए: जानें सही तरीका, कब करें और कब नहीं
बेहोश व्यक्ति पर सीपीआर देना हमेशा सही नहीं होता। डॉक्टर कहते हैं कि पहले सांस, नब्ज और प्रतिक्रिया देखें। जानें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, ताकि जान बचाई जा सके।
Emergency Aid Tips: हर बेहोश व्यक्ति को CPR नहीं देना चाहिए
Emergency Aid Tips: दिल का दौरा, बेहोशी या अचानक गिर जाना ऐसी आपात स्थितियों में समय पर की गई प्रतिक्रिया किसी की जान बचा सकती है। लेकिन यह मान लेना कि हर बेहोश व्यक्ति को तुरंत सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) देना चाहिए, सही नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार सीपीआर हर स्थिति में लागू नहीं होती और अगर गलत समय पर इसे दे दिया जाए, तो इससे व्यक्ति को नुकसान भी हो सकता है।
बेहोशी क्या है और क्यों होती है?
बेहोशी (Fainting या Syncope) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क तक खून का प्रवाह कुछ समय के लिए कम हो जाता है और व्यक्ति अचानक चेतना खो देता है। आमतौर पर यह स्थिति कुछ सेकंड या मिनटों में अपने आप ठीक हो जाती है। इसके पीछे कई सामान्य कारण हो सकते हैं, जैसे अचानक खड़े होने पर ब्लड प्रेशर गिरना, शरीर में पानी की कमी, अत्यधिक थकान, ब्लड शुगर का कम होना, तेज गर्मी, तनाव या दर्द। कुछ मामलों में यह दिल से जुड़ी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है।
CPR क्या है और कब ज़रुरी होती है?
डॉक्टरों का कहना है कि बिना सही जांच के हर बेहोशी को दिल का दौरा या कार्डियक अरेस्ट मान लेना गलत है। हर बेहोश व्यक्ति को सीपीआर देना जरूरी नहीं होता और कई बार ऐसा करने से स्थिति और बिगड़ सकती है।
सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन एक जीवनरक्षक तकनीक है, जिसे तब इस्तेमाल किया जाता है जब व्यक्ति की सांस पूरी तरह बंद हो जाती है और नब्ज महसूस नहीं होती। इसका उद्देश्य दिल और दिमाग तक खून और ऑक्सीजन की सप्लाई को कुछ समय तक बनाए रखना होता है, जब तक मेडिकल सहायता नहीं पहुंच जाती।
सीपीआर केवल उन्हीं हालात में दी जानी चाहिए, जब व्यक्ति सांस नहीं ले रहा हो, उसकी नब्ज न मिल रही हो और वह किसी भी तरह की प्रतिक्रिया न दे रहा हो। ऐसी स्थिति को कार्डियक अरेस्ट माना जाता है और इसमें सीपीआर देना बेहद जरूरी होता है।
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हर बेहोश व्यक्ति पर CPR देना सही नहीं
अगर कोई व्यक्ति बेहोश है लेकिन उसकी सांस चल रही है, नब्ज मौजूद है और वह हल्की प्रतिक्रिया दे रहा है, तो सीपीआर देने की जरूरत नहीं होती। ऐसी स्थिति में सीपीआर देने से छाती की हड्डियों में चोट, पसलियों के टूटने और अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंच सकता है, खासकर तब जब दिल की धड़कन सामान्य हो। इसलिए किसी भी बेहोश व्यक्ति के मामले में सबसे पहले तीन चीजों की जांच करना जरूरी है सांस, नब्ज और प्रतिक्रिया। अगर ये तीनों सामान्य हैं, तो सीपीआर नहीं देनी चाहिए।
अगर बेहोश व्यक्ति की सांस और नब्ज सही है, तो उसे पीठ के बल लिटाना चाहिए, उसके पैरों को थोड़ा ऊपर उठाना चाहिए, तंग कपड़े ढीले करने चाहिए और ताजी हवा देनी चाहिए। होश आने पर उसे कुछ देर आराम करने देना चाहिए। सामान्य बेहोशी में यह प्राथमिक उपचार काफी होता है। अगर व्यक्ति एक मिनट से ज्यादा समय तक होश में न आए, उसकी सांस अनियमित हो, या उसे सीने में दर्द महसूस हो रहा हो, तो तुरंत आपातकालीन सहायता या एम्बुलेंस बुलानी चाहिए।
बेहोश व्यक्ति पर क्या करें?
यदि व्यक्ति की सांस और नब्ज दोनों बंद हों, तो उसे समतल और सख्त सतह पर लिटाकर छाती के बीचों-बीच हाथ रखकर प्रति मिनट लगभग 100 से 120 बार दबाव देना चाहिए। दबाव करीब 2 इंच तक होना चाहिए और मेडिकल सहायता आने तक इसे जारी रखना चाहिए। यह तरीका केवल कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में उपयोगी है, हर बेहोशी में नहीं। अगर आसपास AED (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर) उपलब्ध हो, तो इसका इस्तेमाल केवल प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए। यह उपकरण दिल की असामान्य धड़कन को सामान्य करने में मदद करता है।
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