इस महीने आने वाली है कोरोना की सबसे कारगर वैक्सीन, दूर होगी देश की सबसे बड़ी चिंता
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जाने कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए कितनी खतरनाक, क्या ये कोरोना वैक्सीन होगी कारगर
पिछले साल से फैला कोरोना वायरस आज भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है ऐसे में अभी हमारे देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर चर्चा जोरों पर है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार संभावित रूप से अक्तूबर में तीसरी लहर अपने पीक पर हो सकती है। लेकिन आपको बता दें कि इन सभी नकारात्मक खबरों के बीच अच्छी खबर यह है कि अभी हमारे देश में वैक्सीनेशन शस्त्रागार में इस महीने एक और अस्त्र शामिल होने जा रहा है। खबरों के अनुसार अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल प्रमुख कंपनी जायडस कैडिला द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन जायकोब-डी इस महीने के अंत तक लोगों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध करा दी जाएगी।
क्या बच्चों के लिए भी कारगर होगी ये वैक्सीन
वर्तमान में हमारे देश में सबसे ज्यादा स्वदेशी वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन को प्रयोग में लाया जा रहा है। बता दें कि यह तीसरी कोरोना स्वदेशी वैक्सीन होगी। कई मामलों में इस वैक्सीन को खास बताया जा रहा है। जैसे अभी हमारे देश में कोरोना की तीसरी लहर को बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है ऐसे में यह वैक्सीन भारत की सबसे बड़ी चिंता को दूर कर सकती है। इतना ही नहीं इस जायकोब-डी वैक्सीन को 12 से 18 साल तक के बच्चों में भी कारगर माना जा रहा है। तो चलिए विस्तार से जानते है इसके बारे में।
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अब दूर हो सकती है बच्चों के टीकाकरण की चिंता
आपको बता दें कि तमाम रिपोर्टस के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर को बच्चों के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अभी तक 18 साल तक के बच्चों को वैक्सीन नहीं लग सकी है ऐसे में इस उम्र के बच्चों को संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। जायकोब-डी वैक्सीन इस समस्या को दूर करने में काफी कारगर मानी जा रही है। वैक्सीन कंपनियां दावा कर रही है कि ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन की प्रभाविकता 66.6 फीसदी से अधिक पाई गई है। इस लिए बच्चों में इसके परिणाम अच्छे देखने को मिलेंगे।
जाने किन मामलों में खास है यह वैक्सीन
कोरोना की यह वैक्सीन दो मामलों में सबसे ज्यादा अलग और सबसे ज्यादा खास है। यह वैक्सीन डीएनए आधारित तकनीक को खास बनाती है। आपको बता दें कि जायकोब-डी एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है जो प्लास्मिड नामक डीएनए अणु के गैर प्राकृतिक वर्जन का उपयोग करके तैयार की गई है। बता दें कि यह हमारे शरीर में सार्स-सीओवी-2 वायरस के मेंब्रेन पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन का एक हानिरहित वर्जन तैयार करने में मदद करेगी। जिससे की भविष्य में संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा आसानी से प्राप्त की जा सकेगी। इतना ही नहीं यह एक निडिल फ्री वैक्सीन है, यानी कि शरीर में इसे इंजेक्ट करने के लिए और वैक्सीनों की तरह निडिल की जरूरत नहीं होती है। बता दें कि यह वैक्सीन निडिल की बजाय जेट इंजेक्टर के माध्यम से लगाई जाती है।
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