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क्या है Chandipura virus, जो मासूम बच्चों को बना रहा है अपना शिकार

हले कोरोना देश में अपने पैर जमा कर बैठ गया तो एक और खतरनाक वायरस चांदी पुरा ने राजस्थान और गुजरात में दस्तक दी है।इस वायरस के प्रभाव में तेज बुखार, दस्त, उल्टी,दौरे पड़ना, दिमाग में सूजन की शिकायत होती है जो व्यक्ति की मौत का कारण बनता है।

क्यों पड़ा Chandipura virus का नाम, जो ले रहा है बच्चों की जान, जानें यह बीमारी है कितने साल पुरानी


Chandipura virus: देश में एक और नई एंट्री वायरस की हो गई है। जिससे लोग काफी दहशत में है। पहले कोरोना देश में अपने पैर जमा कर बैठ गया तो एक और खतरनाक वायरस चांदी पुरा ने राजस्थान और गुजरात में दस्तक दी है।इस वायरस के प्रभाव में तेज बुखार, दस्त, उल्टी,दौरे पड़ना, दिमाग में सूजन की शिकायत होती है जो व्यक्ति की मौत का कारण बनता है।

चांदीपुरा वायरस राजस्थान और गुजरात में बच्चों पर पर कहर बनकर टूट रहा है. इसे मिस्ट्री वायरस भी कहा जाता है। यह वाइरस पहली बार महाराष्ट्र के नागपुर स्थित 1996 में इससे जुड़ा केस मिला इसीलिए चांदीपुरा गांव में इस वायरस का नाम गांव के नाम पर ही रख दिया।

भारत में वायरस का प्रकोप खत्म ही नहीं हो रहा है। वायरस ने लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है। पहले कोरोना वायरस ने देश में अपना कहर बरपाया था अब एक नया चांदीपुरा वायरस ने राजस्थान और गुजरात में दस्तक दी है। चांदीपुरा वायरस महाराष्ट्र से निकलकर गुजरात पहुंचा लगातार खतरनाक होता जा रहा है। बच्चों को हर किसी न किसी दिन अपना शिकार बन रहा है। गुजरात और राजस्थान मे अब तक 12 केस मिल चुके हैं जिसमें छह बच्चे अपनी जान गवा चुके हैं।

और 6 का इलाज जारी है। इस वायरस का संक्रमण बारिश के मौसम में काफी ज्यादा देखने को मिलता है और 1 साल से बच्चे से लेकर 14 साल तक के बच्चों तक संक्रमण देखने को मिलता है। आईए जानते हैं इस वायरस के बारे में विस्तार से

क्या है चांदी पुरा वायरस के लक्षण

चांदीपुरा वायरस बुखार के कारण होता है जिसमें फ्लू के समान लक्षण होते हैं।और तीव्र एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) होता है। रोगज़नक़ रबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलोवायरस जीनस का एक सदस्य है। इस वायरस के प्रभाव में तेज बुखार, दस्त, उल्टी,दौरे पड़ना, दिमाग में सूजन की शिकायत होती है जो व्यक्ति की मौत का कारण बनता है।

कैसे पड़ा इसका नाम?

महाराष्ट्र के नागपुर में स्थित चांदीपुरा गांव में साल 1996में 2 महीने से 15 साल के बच्चों की मौत होने लगी थी। जांच के दौरान इसे एक वायरस के रूप में पाया गया। ऐसे ही गांव के नाम पर इस वायरस का नाम चांदीपुरा वायरस रख दिया।

कैसे फैलता है Chandipura virus?

कीट पतंग और मच्छरों के जरिए चांदी पुरा वायरस फैलता है। यह वायरस वेसिकुलोवायरस गण का सदस्य है. मच्छर इस वायरस से सबसे पहले संक्रमित होते हैं। जब यह मच्छर बच्चों को काट लेते हैं। जिससे वह दिमागी बुखार की चपेट में आ जाते हैं। कहा जाता है कि यह वायरस सैंडफ्लाइज़ फ़्लेबोटोमस पापाटासी के माध्यम से फैलता है, जो कुछ कीड़ों और मच्छरों में होता है. ये कीड़े जब बच्चों को काटते हैं। तो उनसे इंफेक्शन फैल जाता है।

Chandipura virus का इलाज कैसे होता है?

इस वायरस का सिस्टमैटिक इलाज होता है। पीड़ित में जो लक्षण दिखाई देते हैं डॉक्टर उसी के हिसाब से इलाज करते हैं। शुरुआत में अगर फ्लू है तो डॉक्टर उसी की दवा देते हैं। इस वायरस की ना तो कोई वैक्सीन है ना ही कोई ज्यादा दवाइयां कुछ एंटीवायरल ड्रग हैं जिनसे मरीज का इलाज किया जाता है।

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इस वायरस से कैसे करें अपना बचाव?

1)अपने घर के आस-पास अच्छे से सफाई रखें
2) जल भराव किसी भी हाल में न होने दे
3) रात को सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें

4) बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े ही पहनाए

5)कीड़ों और मच्छरों से बचाकर रखे

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दुनिया में कहां-कहां मिले हैं बीमारी के केस

चांदीपुरा वायरस का पहला मामला 1965 के दौरान महाराष्ट्र में मिला था। इसके बाद गुजरात के कई इलाकों में वायरस के केस पाए गए अब धीरे-धीरे महाराष्ट्र राजस्थान गुजरात में यह वायरस नजर आने लगा।

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