Calcium : बच्चों के सही विकास के लिए जरूरी है कैल्शियम, कमी से दिखते हैं ये खास संकेत
Calcium बच्चों के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हड्डियों, दांतों, और मांसपेशियों के सही कार्य को सुनिश्चित करता है। कैल्शियम की कमी से बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे हड्डियों की कमजोरी, दांतों की समस्याएँ, मांसपेशियों की ऐंठन, और विकास संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
Calcium : बच्चों में कैल्शियम की कमी के लक्षण, सही विकास के लिए ध्यान रखें ये ख़ास बातें
Calcium, एक महत्वपूर्ण खनिज, बच्चों के विकास और उनके शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक है। यह हड्डियों और दांतों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कई शारीरिक प्रक्रियाओं के सुचारु संचालन में सहायक होता है। बच्चों में कैल्शियम की कमी होने पर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस लेख में, हम कैल्शियम की महत्वता, उसकी कमी के लक्षण और बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक सुझावों पर चर्चा करेंगे।
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बच्चों में कैल्शियम की कमी के संकेत
अगर बच्चों के शरीर में कैल्शियम की कमी होती है, तो इससे जुड़े कई लक्षण और संकेत उत्पन्न हो सकते हैं। इन संकेतों को पहचानना महत्वपूर्ण है ताकि समय पर उपाय किए जा सकें। यहाँ कुछ प्रमुख संकेत दिए गए हैं| कैल्शियम की कमी से हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं, जिससे हड्डियों में दर्द और सख्ती महसूस हो सकती है। लंबे समय तक कैल्शियम की कमी रहने पर हड्डियाँ भंगुर हो सकती हैं।कैल्शियम की कमी से दांतों में सड़न, कमज़ोरी, या दांतों के गिरने की समस्या हो सकती है। दांतों का विकास भी प्रभावित हो सकता है।
बच्चों में मांसपेशियों में ऐंठन, दर्द, या कमजोरी कैल्शियम की कमी के संकेत हो सकते हैं। यह अक्सर हाथ-पैर या गर्दन में महसूस होता है।कैल्शियम की कमी से बच्चों में चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, या ध्यान की कमी जैसी तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। कैल्शियम की कमी के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है।
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कैल्शियम की कमी से गंभीर बीमारियाँ
कैल्शियम की कमी लंबे समय तक रहने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकती हैं|
1. रैकिट्स : बच्चों में कैल्शियम की कमी से हड्डियाँ मुलायम हो जाती हैं, जिसे रैकिट्स कहते हैं। यह विकृति बच्चों की हड्डियों में असामान्य रूप से विकास का कारण बनती है।
2. ऑस्टियोपोरोसिस : यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियाँ अत्यंत कमजोर हो जाती हैं और टूटने का जोखिम बढ़ जाता है। हालांकि यह आमतौर पर बुजुर्गों में अधिक देखी जाती है, लेकिन बच्चों में लंबे समय तक कैल्शियम की कमी से इसकी शुरुआत हो सकती है।
3. टेटनी : कैल्शियम की गंभीर कमी से मांसपेशियों में अकड़न और ऐंठन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिसे टेटनी कहा जाता है।
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बच्चों में कैल्शियम की सही मात्रा
बच्चों की उम्र के अनुसार कैल्शियम की आवश्यकता बदलती है। सामान्यतः, निम्नलिखित कैल्शियम की सिफारिश की जाती है|
– 1 से 3 साल : 700 मिलीग्राम प्रति दिन
– 4 से 8 साल : 1,000 मिलीग्राम प्रति दिन
– 9 से 18 साल : 1,300 मिलीग्राम प्रति दिन
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कैल्शियम के स्रोत
कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए, बच्चों को उनकी आहार में कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए, दूध, पनीर, और दही कैल्शियम के प्रमुख स्रोत हैं। ये बच्चों के आहार में नियमित रूप से शामिल किए जाने चाहिए। पालक, मेथी, और सरसों के पत्ते जैसे हरी सब्जियाँ भी कैल्शियम से भरपूर होती हैं।बादाम, तिल, और चिया सीड्स कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं। सैल्मन और सारडिन जैसी मछलियाँ कैल्शियम और विटामिन डी का अच्छा स्रोत होती हैं।कुछ खाद्य पदार्थ जैसे अनाज और कुछ प्रकार के जूस कैल्शियम से फोर्टिफाइड होते हैं, जो अतिरिक्त कैल्शियम प्रदान कर सकते हैं।
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