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Divya Deshmukh: चेस वर्ल्ड चैंपियन बनकर लौटीं दिव्या देशमुख, नागपुर ने किया जीत का जश्न

Divya Deshmukh, जॉर्जिया के बटुमी में संपन्न हुए विश्व शतरंज कप (World Chess Cup) में भारत की 19 वर्षीय प्रतिभाशाली खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने विजयी प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया।

Divya Deshmukh : भारत की शान दिव्या देशमुख का नागपुर में हुआ जोरदार स्वागत, माता-पिता को दिया जीत का श्रेय

Divya Deshmukh: जॉर्जिया के बटुमी में संपन्न हुए विश्व शतरंज कप (World Chess Cup) में भारत की 19 वर्षीय प्रतिभाशाली खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने विजयी प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया। बुधवार को जब दिव्या अपने गृहनगर नागपुर लौटीं, तो नागपुर एयरपोर्ट पर उनके रिश्तेदारों, दोस्तों और प्रशंसकों ने उनका जोरदार स्वागत किया।

खिताब जीतने का रोमांचक सफर

दिव्या ने इस टूर्नामेंट में अनुभवी भारतीय शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को टाई-ब्रेकर में हराकर खिताब अपने नाम किया। टूर्नामेंट के दो क्लासिकल मुकाबले ड्रॉ रहे, लेकिन टाई-ब्रेकर में दिव्या ने शानदार खेल दिखाते हुए बाज़ी मारी। इस जीत से दिव्या को ग्रैंडमास्टर (GM) बनने का गौरव प्राप्त हुआ, साथ ही उन्हें कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में खेलने का मौका और 50,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 42 लाख रुपये) का पुरस्कार भी मिला।

अंडरडॉग से चैंपियन तक का सफर

टूर्नामेंट में दिव्या को अंडरडॉग माना जा रहा था, क्योंकि उनका लक्ष्य केवल ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल करना था। लेकिन उन्होंने सबकी उम्मीदों को पीछे छोड़ते हुए विश्व चैंपियनशिप जीत ली। यह उपलब्धि उनके दृढ़ संकल्प, मेहनत और आत्मविश्वास का प्रमाण है।

मां के साथ नागपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे दिव्या

दिव्या अपनी मां के साथ बटुमी से मुंबई होते हुए नागपुर पहुंचीं। एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। इस अवसर पर दिव्या ने कहा, “मुझे खुशी है कि इतने लोग मेरा स्वागत करने आए हैं। शतरंज को इस स्तर पर सम्मान मिलना मेरे लिए गर्व की बात है।”

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परिवार और कोच को समर्पित जीत

दिव्या ने इस सफलता का श्रेय अपने परिवार और अपने शुरुआती कोच राहुल जोशी को दिया, जिनका 2020 में निधन हो चुका है। उन्होंने कहा, “मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा समर्थन किया। उनके बिना मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती। मेरी बहन आर्या, दादा-दादी और राहुल सर ने भी मेरी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राहुल सर हमेशा चाहते थे कि मैं ग्रैंडमास्टर बनूं, यह जीत उनके लिए है।” इसके साथ ही दिव्या ने ग्रैंडमास्टर अभिजीत कुंटे को भी अपनी जीत का ‘लकी चार्म’ बताया। उन्होंने कहा, “जब भी अभिजीत सर मेरे साथ होते हैं, मुझे जीत मिलती है।”

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उज्बेकिस्तान में ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट

विश्व कप की इस बड़ी जीत के बाद दिव्या अब कुछ समय आराम करेंगी। इसके बाद वे 2 से 16 सितंबर तक उज्बेकिस्तान के समरकंद में होने वाले ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट में हिस्सा लेंगी। उन्होंने कहा, “इस महीने मैं थोड़ा आराम करूंगी और फिर अगले महीने ग्रैंड स्विस में खेलूंगी।”

नागपुर के लिए गर्व का पल

दिव्या देशमुख की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार या नागपुर के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और लगन ने उन्हें शतरंज की दुनिया में एक चमकता सितारा बना दिया है। आने वाले समय में उनसे और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद की जा रही है।

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