Param Sundari Film Review: आज सिनेमाघरों में फिल्म परम सुंदरी ने दी दस्तक, जानिए कैसी है फिल्म की कहानी
ये एक फील गुड फिल्म है, आपको स्क्रीन पर जो हों चल रहा है उसकी खूबसूरती देखने में मजा आता है. कमाल के विजुअल्स आपका दिल जीत लेते हैं। जाह्नवी और सिद्धार्थ काफी अच्छे लगे हैं।
Param Sundari Film Review: जानिए कैसी हैं फिल्म की कास्ट की एक्टिंग, राइटिंग और डायरेक्शन…
Param Sundari Film Review: सिद्धार्थ मल्होत्रा और जान्हवी कपूर स्टारर फिल्म ‘परम सुंदरी’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। सोशल मीडिया पर चर्चा थी कि यह फिल्म शाहरुख-दीपिका स्टारर ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ की कॉपी है। आखिरी यह फिल्म कैसी है?
जानिए कैसी है फिल्म परम सुंदरी की कहानी
कहानी बेहद साधारण सी है। दिल्ली का रहने वाला लड़का परम सचदेव (सिद्धार्थ मल्होत्रा) अपने पिता से मदद मांगता है। मदद के बदले उसके पिता (संजय कपूर) उसे एक चुनौती देते हैं। इसे ही पूरा करने के लिए परम अपने दोस्त जग्गी (मनजोत सिंह) के साथ केरल निकल पड़ता है। यहां उसकी मुलाकात सुंदरी (जान्हवी कपूर) से होती है। इसके बाद कई तरह की स्थितियां बनती हैं जिनमें परम और सुंदरी फंसते हैं। अंत में क्या ही होगा? यह तो अब आप अनुमान लगा ही सकते हैं।
जानिए कैसी हैं फिल्म की कास्ट की एक्टिंग
जान्हवी कपूर का काम अच्छा है। कुछ सीन में उन्होंने ओवरएक्टिंग की है पर फिल्म कॉमेडी है इसलिए उसे दरकिनार कर सकते हैं। सिद्धार्थ मल्होत्रा को काश कोई थोड़ा अभिनय और चेहरे के भाव बेहतर करना सिखा था। वो पूरी फिल्म में एक जैसे ही दिखते हैं। या सच कहूं तो हर फिल्म में ही एक जैसे दिखते हैं। उनसे बेहतर काम मनजोत ने किया है। संजय कपूर इस फिल्म में संजय नहीं, बल्कि अपने भाई अनिल कपूर की तरह ही लगते हैं। कई सीन में उनकी एनर्जी और साइड लुक आपको ऐसा महसूस कराता है कि अनिल कपूर ही खड़े हैं। उनका काम कम है पर अच्छा है। बाकी कलाकाराें ने अपना काम ठीक-ठाक किया। बाल कलाकार इनायत वर्मा का काम भी मजेदार है।
क्या चीज़ करती है फिल्म को कमजोर
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी सपाट कहानी है। कहानी में कुछ था नहीं और स्क्रीनप्ले पर काम हुआ नहीं। इसी कहानी में अगर थोड़ी और मजेदार परिस्थितियां डाली जातीं तो यह काफी बेहतर हो सकती थी। फिल्म हर सीन में फीकी सी लगती है। डायलॉग भी कुछ खास नहीं है। सिद्धार्थ और जान्हवी की केमिस्ट्री अच्छी है पर जब दोनों तीन-चार मिनट से ज्यादा लंबा सीन करते हैं तो ऐसा लगता है जैसे उन्हें कोई संवाद दिए ही नहीं गए, वो बस हर सीन को खुद ही डेवलप कर रहे हैं। दूसरी बड़ी कमजोरी हैं सिद्धार्थ मल्होत्रा उन्हें एक ही जैसी एक्टिंग करते देख ऊब चुके हैं।
फिल्म की राइटिंग और डायरेक्शन
राइटिंग और स्क्रीनप्ले कमजोर है, कहानी में और मसाला डालना चाहिए था. तुषार जलोटा, अर्श वोरा और गौरव मिश्रा को यहां और मेहनत करनी थी। तुषार जलोटा का डायरेक्शन बढ़िया है।
फिल्म का म्यूजिक
सचिन-जिगर का म्यूजिक कमाल का है। ये फिल्म में अलग जान डालता है. बैकग्राउंड म्यूजिक भी बढ़िया है।
कुल मिला कर कैसी है फिल्म
ये एक फील गुड फिल्म है, आपको स्क्रीन पर जो हों चल रहा है उसकी खूबसूरती देखने में मजा आता है. कमाल के विजुअल्स आपका दिल जीत लेते हैं। जाह्नवी और सिद्धार्थ काफी अच्छे लगे हैं। आप केरल की ऐसी खूबसूरत देखते हैं कि लगता है ये फिल्म केरल टूरिज्म वालों ने बनवाई है। सनातन कृष्णन रविचंद्रन की सिनेमैटोग्राफी फिल्म की जान है। कहानी में कोई खास नयापन नहीं है लेकिन बाकी के एलिमेंट्स फिल्म को संभाल लेते हैं। म्यूजिक दिल जीत लेता है और कुल मिलाकर आप रिफ्रेश होकर आते हैं। ये ट्रेलर में ही बता दिया गया था कि नॉर्थ और साउथ की लव स्टोरी होगी और जो प्रोमिस किया गया था वो डिलीवर किया गया है।
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फिल्म को देखें या नहीं
सिद्धार्थ-जान्हवी की केमिस्ट्री, हल्की-फुल्की काॅमेडी और बेहतरीन गानाें के दम पर एक बार देखी जा सकती है। बाकी ‘सैयारा’, ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ और ‘टू स्टेट्स’ जैसी उम्मीदें लेकर न जाएं। फिल्म वैसी नहीं है, अलग है। कहानी छोड़कर, केरल की खूबसूरती देख सकते हैं।
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