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Bollywood Boycott : कैसे शुरू हुआ बॉलीवुड में बॉयकॉट का ट्रेंड, जानें पूरी कहानी

Bollywood Boycott : सुनील शेट्टी ने बॉलीवुड बॉयकॉट पर की मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से बातचीत, कहा ‘ये टैग हटाना है जरूरी’


Highlights –

  • बॉलीवुड में बॉयकॉट ट्रेंड अपने चरम पर है।
  • सोशल मीडिया से लेकर सिनेमाघरों तक यह ट्रेंड अब आम बात हो गई है।
  • 5 जनवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई फिल्मी सितारों से मुलाकात की।
  • फिल्म स्टार सुनील शेट्टी ने मुख्यमंत्री योगी से बॉलीवुड में चल रहे बॉयकॉट ट्रेंड के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड से बॉयकॉट टैग हटना जरूरी है।

Bollywood Boycott : बॉलीवुड में बॉयकॉट ट्रेंड अपने चरम पर है। सोशल मीडिया से लेकर सिनेमाघरों तक यह ट्रेंड अब आम बात हो गई है। हाल के दिनों में आपने लाल सिंह चड्ढा, रक्षाबंधन, डार्लिंग्स और अब पठान के बहिष्कार का ट्रेंड खूब देखा होगा। सोशल साइट ट्विटर पर बॉलीवुड बायकॉट हैशटैग्स दिनचर्या का हिस्सा हो गए हैं। बायकॉट की सीमा अब फिल्म को न देखने तक ही सीमित नहीं रह गई है अब यह तोड़ – फोड़, दंगेबाजी तक पहुंच गई है।

एक वक्त था जब लोग हिंदी फिल्मों के रिलीज का बेसब्री से इंतज़ार करते थे । टिकट्स के लिए सिनेमाघरों के बाहर लंबी लाइनें इसका सबूत थी। वर्तमान समय में बॉलीवुड अपने सबसे खराब बॉयकॉट ट्रेंड की लहर से गुजर रहा है। कोई भी नई फिल्म और देश में बॉयकॉट का ट्रेंड यूं चलने लग जाता है।

आपको बता दें ये नया तरीका है किसी फिल्म या सेलिब्रिटी का विरोध करने का। ये शब्द देखने में तो काफी मामूली है, लेकिन इसके ट्रेंड होने से कई फिल्मों को करोड़ों का नुकसान होता है। वहीं कई सेलेब्स तो ऐसे हैं जो इस ट्रेंड का ऐसा शिकार हुए हैं कि जिनकी हर फिल्म जनता द्वारा ठुकराई जा रही है। इसमें शाहरुख से लेकर आलिया तक का नाम है।

अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदी सिनेमा के सितारों से मुलाकात की। इस मुलाकात में एक्टर सुनील शेट्टी ने मुख्यमंत्री से बॉलीवुड फिल्मों के बायकॉट को लेकर भी अपने बयान दिए। आइये इस आर्टिकल में हम आपको पूरी खबर बताते हैं और साथ ही यह बॉलीवुड बायकॉट ट्रेंड की पूरी कहानी विस्तार से समझाने की कोशिश करते हैं।

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5 जनवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई फिल्मी सितारों से मुलाकात की। बॉलीवुड सेलेब्स और मुख्यमंत्री की इस मुलाकात का मुख्य मुद्दा उत्तर प्रदेश को मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट इन इंडिया के तौर पर प्रमोट करना था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सुनील शेट्टी, कैलाश खेर, सुभाष घई, जैकी श्रॉफ, सोनू निगम , रवि किशन और बोनी कपूर से मुलाकात की। इस दौरान सुनील शेट्टी ने बॉलीवुड में लंबे समय से चल रहे बॉयकॉट ट्रेंड पर अपने विचार रखे।

फिल्म स्टार सुनील शेट्टी ने मुख्यमंत्री योगी से बॉलीवुड में चल रहे बॉयकॉट ट्रेंड के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड से बॉयकॉट टैग हटना जरूरी है। इसके अलावे मीटिंग में सुनील शेट्टी ने कहा कि 90 प्रतिशत बॉलीवुड ड्रग्स नहीं लेता। बॉलीवुड में लोग मेहनत करते हैं और अपना काम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इसलिए ये जरूरी है कि बॉलीवुड बायकॉट जैसे मुद्दे उठाए ताकि बॉलीवुड की बिगड़ी छवि को सुधारा जा सके।

देश के आज़ादी से पहले चल रहा है बायकॉट ट्रेंड

बायकॉट का हिंदी में मतलब है बहिष्कार। यानी अगर कोई चीज किसी शख्स को पसंद नहीं है तो वह उस चीज को उपयोग करने से मना करता है। कई बार यह मनाही विरोध प्रदर्शन के रूप में भी देखी जाती है।

ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड का बायकॉट ट्रेंड से यह रिश्ता नया है। बॉलीवुड और बॉयकॉट का रिश्ता उस वक्त से चला आ रहा है जब सोशल मीडिया नाम की चीज नहीं थी। बॉयकॉट का ट्रेंड देश आजाद होने से पहले से चला आ रहा है। देश आजाद होने से पहले जब तमिल एक्ट्रेस टीपी राजलक्ष्मी ने इंडिया थाई ( भारत माता ) फिल्म बनाई तो ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म पर रोक लगा दी और फिल्म के रिलीज को देश में कई जगहों पर विरोध का सामना करना पड़ा। इससे फिल्म को काफी नुकसान पहुंचा।

नील आकाशेर नीचे भारत की पहली फिल्म थी, जिसे राजनीति विरोध बताते हुए देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बैन कर दिया था।दरअसल फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे अपने पावर का इस्तेमाल कर नेता नीचे तबके के लोगों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते है। इस फिल्म ने तीन महीनों तक लगातार विवादों का सामना किया और तब जाकर यह फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज की गई। इसके बाद 1978 में आई फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम, 1967 में आई एन इवनिंग इन पेरिस को भी बॉलीवुड बहिष्कार का सामना करना पड़ा।

बॉलीवुड बॉयकॉट में फिल्मों की लिस्ट काफी लंबी है। 1974 में आई फिल्म गरम हवा, 1994 में आई बैंडिट क्वीन, 1996 में फायर और कामसूत्रा , 2000 में उर्फ प्रोफेसर, 2003 में द पिंक मिरर और पांच, 2004 में ब्लैक फ्राइडे, 2005 में परजानिया, सिन्स और वॉटर जैसी फिल्मों को बैन किया गया।

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कैसे शुरू हुआ बॉयकॉट ट्रेंड

पिछले कई सालों से जनता बॉलीवुड फिल्मों का बायकॉट कर रही है लेकिन बॉयकॉट ट्रेंड की पहली जोरदार झलक साल 2010 में शाहरुख खान की फिल्म माय नेम इज खान में देखने को मिली। दरअसल शाहरुख ने आई पी एल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को सपोर्ट करने की बात की थी। इसके बाद से वह विवादों के घेरे में आ गए। सोशल मीडिया से बढ़कर विवाद सिनेमाघरों तक पहुंच गई। शिवसेना ने फिल्म का विरोध किया और सिनेमाघरों पर हमला किया। कई जगहों पर फिल्म रिलीज नहीं हो पाई और इसी डर से सिनेमाघरों में सिक्योरिटी बढ़ा दी गई।

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