Anurag Kashyap: अनुराग कश्यप को गानों की कमाई से शिकायत, T-Series पर साधा निशाना
Anurag Kashyap: भारतीय सिनेमा के जाने-माने निर्देशक और निर्माता अनुराग कश्यप ने हाल ही में म्यूजिक इंडस्ट्री को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिसने फिल्म जगत में हलचल मचा दी है।
Anurag Kashyap: ‘सिर्फ स्टार के लिए है पैसा!’– T-Series पर अनुराग कश्यप का तंज
Anurag Kashyap: भारतीय सिनेमा के जाने-माने निर्देशक और निर्माता अनुराग कश्यप ने हाल ही में म्यूजिक इंडस्ट्री को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिसने फिल्म जगत में हलचल मचा दी है। खास तौर पर उन्होंने टी-सीरीज पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि म्यूजिक की क्वालिटी को नज़रअंदाज़ कर सिर्फ स्टार्स के नाम पर पैसा खर्च किया जाता है। Anurag Kashyap ने दावा किया कि उनकी फिल्मों के म्यूजिक को भले ही आलोचकों और दर्शकों से सराहना मिली हो, लेकिन इसके बावजूद उन्हें इसके लिए उचित भुगतान नहीं मिला।
“टी-सीरीज अच्छे म्यूजिक को अच्छे पैसे में नहीं खरीदता”
एक इंटरव्यू के दौरान Anurag Kashyap ने खुलासा किया कि उनकी मशहूर फिल्मों देव डी, गैंग्स ऑफ वासेपुर और गुलाल जिनका म्यूजिक आज भी एक कल्ट स्टेटस रखता है, उनके राइट्स टी-सीरीज के पास हैं। लेकिन इन गानों के लिए उन्हें बेहद कम पैसे दिए गए। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा,“अगर भूषण कुमार इसे नहीं खरीद रहे हैं, तो यह अच्छा म्यूजिक है। अगर टी-सीरीज नहीं खरीद रहा है, तो समझो म्यूजिक बेहतरीन है।” इस बयान से साफ है कि Anurag Kashyap को म्यूजिक की गुणवत्ता के आधार पर न सही, बल्कि केवल स्टार पावर के आधार पर म्यूजिक की वैल्यू तय करने की टी-सीरीज की रणनीति से आपत्ति है।
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“कल्ट म्यूजिक के बावजूद भुगतान नहीं”
Anurag Kashyap ने अपनी फिल्मों के संगीत पर बात करते हुए बताया कि चाहे देव डी हो या गैंग्स ऑफ वासेपुर, इन फिल्मों के गाने आज भी युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। इन फिल्मों ने भारतीय फिल्म संगीत में एक अलग मुकाम हासिल किया, खासकर इंडी और फ्यूजन म्यूजिक के क्षेत्र में। लेकिन इसके बावजूद, इन ट्रैक्स के लिए उन्हें टी-सीरीज की ओर से बहुत ही मामूली भुगतान किया गया। उन्होंने कहा, “फिल्म का संगीत एक कल्ट साउंडट्रैक होने के बावजूद, उन्होंने ‘देव डी’ के ट्रैक के लिए मुझे कुछ भी भुगतान नहीं किया। वे सिर्फ स्टार के लिए पैसे देते हैं, म्यूजिक की क्वालिटी के लिए नहीं।”
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म्यूजिक इंडस्ट्री पर सवाल
Anurag Kashyap के इन बयानों से म्यूजिक इंडस्ट्री की एक बड़ी सच्चाई सामने आती है, जहां गुणवत्ता और रचनात्मकता की जगह स्टारडम और बाज़ारवाद हावी होता दिखता है। उनका अनुभव यह दर्शाता है कि स्वतंत्र और प्रयोगात्मक संगीत को वह पहचान और मूल्य नहीं मिलती, जिसकी वह हकदार होती है। यह चर्चा सिर्फ Anurag Kashyap तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन तमाम कलाकारों और संगीतकारों की आवाज़ है जो स्टार की चमक के पीछे छिपा रह जाते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या म्यूजिक इंडस्ट्री इस आलोचना से कुछ सीख लेती है या फिर यही सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।
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