Amitabh Bachchan : अमिताभ बच्चन का संघर्ष, कोलकाता में 8 लोगों के साथ एक कमरे में बिताए दिन
Amitabh Bachchan की यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि सफलता रातोंरात नहीं मिलती, इसके पीछे लंबे संघर्ष और धैर्य की कहानी छुपी होती है। कोलकाता के उस छोटे से कमरे से लेकर बॉलीवुड के शहंशाह बनने तक का सफर वाकई प्रेरणादायक है।
Amitabh Bachchan : बॉलीवुड के शहंशाह बनने से पहले, जानिए कोलकाता में अमिताभ बच्चन का संघर्षपूर्ण जीवन
बॉलीवुड के शहंशाह Amitabh Bachchan की जिंदगी का संघर्षपूर्ण दौर हर किसी के लिए प्रेरणा है। आज भले ही वह भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े और सफलतम अभिनेताओं में से एक हैं, लेकिन उनका सफर आसान नहीं था। 1960 के दशक में, जब अमिताभ बच्चन ने कोलकाता में अपने करियर की शुरुआत की थी, तब उनका जीवन बेहद कठिन था। उस समय वह थिएटर और रेडियो में काम की तलाश में थे और संघर्ष कर रहे थे।
एक कमरे में आठ लोगों के साथ रहते थे
अमिताभ बच्चन के संघर्ष के दिनों की कहानी कोलकाता की गलियों से जुड़ी हुई है। उन दिनों वह एक साधारण नौकरी की तलाश में कोलकाता आए थे और वहां की एक फर्म में काम करने लगे। इस दौरान वह एक साधारण से कमरे में रहते थे जहां कुल आठ लोग एक साथ रहते थे। यह स्थिति बेहद कठिन थी, लेकिन उस समय उनके पास और कोई विकल्प नहीं था।बहुत मजा आता था। वह कमरा बहुत छोटा था और उसमें आठ लोग रहते थे, जो कि सभी के लिए एक बड़ा संघर्ष था। जगह की कमी के कारण वहां सोने के लिए कोई बिस्तर भी दो थे। अमिताभ बच्चन को अन्य साथियों के साथ बारी-बारी से सोना पड़ता था। एक समय पर केवल कुछ ही लोग बिस्तर पर सो सकते थे, जबकि बाकी को फर्श पर या जहां जगह मिले, वहां सोना पड़ता था। ऐसे में बिस्तर पर सोने के लिए एक तरह से ‘संग्राम’ जैसा माहौल होता था।
अमिताभ बच्चन संघर्ष और धैर्य की मिसाल
अमिताभ बच्चन के लिए यह समय केवल शारीरिक कठिनाइयों का ही नहीं, बल्कि मानसिक धैर्य और सहनशक्ति की भी परीक्षा थी। ऐसे कठिन हालातों में भी उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया और अपने सपनों की ओर बढ़ते रहे। अमिताभ का मानना था कि यह संघर्ष ही उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसने उन्हें आज इस मुकाम पर पहुंचाया है। यह उनका दृढ़ संकल्प और कभी हार न मानने की भावना थी, जिसने उन्हें हर मुश्किल के बाद भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
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अमिताभ बच्चन के फिल्मी करियर की शुरुआत
आज अमिताभ बच्चन जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंचने के लिए उन्होंने न जाने कितने संघर्षों का सामना किया है। उनके कोलकाता के दिन न केवल उनकी मेहनत की गवाही देते हैं, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि किस प्रकार कठिनाई और चुनौतियों का सामना करते हुए भी जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है। उनके संघर्ष की यह कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्षरत हैं। अमिताभ बच्चन ने 1969 में फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन अमिताभ के अभिनय को सराहा गया। इसके बाद उन्हें 1971 में फिल्म ‘आनंद’ में एक सहायक भूमिका मिली, जिसमें उन्होंने राजेश खन्ना के साथ काम किया। इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।
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