क्यों आईआईटी और आईआईएम के स्टूडेंट कर रहें है ड्रॉपआउट
आईआईटी और आईआईएम में दाखिला पाना हर किसी का सपना होता है। लेकिन एंट्रास पेपर पास नहीं के कारण सभी छात्र इसमें दाखिला नहीं ले सकते है। लेकिन अगर कोई एडमिशन पाने के बाद उसे छोड़ दे तो? उसका कारण क्या हो सकता है।
सरकार के अनुसार इस साल 2015 और 2106 सत्र के आईआईटी के कुल 656 छात्र और 49 आईआईएम के छात्रों ने ड्रॉपआउट कर दिया है।
जिसमें से 256 दिल्ली और खड़गपुर, 198 कानपुर, 47 मद्रास, 35 मुंबई और 22 पटना की आईआईटी ब्रांच के छात्र शामिल हैं।
मानव एवं संसाधान मंत्रालय राज्य के मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा है कि साल 2014-2016 के दौरान सभी 16 आईआईटी कॉलेजों से लगभग 1,782 छात्र कॉलेज छोड़कर चले गए है।
आईआईटी संस्थान
वहीं दूसरी ओर मैनेजमेंट के देश के नंबर वन इंस्टीट्यूट आईआईएस(इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट) के सभी 13 संस्थानों से 104 बच्चें अपने कोर्स बीच में ही छोड़ दिया है।
लोकसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि छात्रों द्वारा आईआईटी और आईआईएम छोड़ने की वजह का पता लगाया जा रहा है। साथ ही कहा कि छात्र की पहचान कर उन्हें संस्थानों के तनाव का मुकाबला करने की हिम्मत दी जा रही है।
बेंगलूरु आईआईटी के प्रोफेसर एस सदागोपन के अनुसार छात्र दूसरे इंस्टीट्यूट के चाह में भी ड्रॉपआउट कर देते हैं। लोगों को इनसे ज्यादा अच्छे विकल्प नजर आते हैं। ज्यादातर बच्चें मुंबई और दिल्ली की ओर भागते हैं।
आईआईएम के स्टूडेंट श्रीकांत श्रीधर के अनुसार एकेडमी प्रेशर के कारण बच्चे कॉलेज छोड़ कहीं और चले जाते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आईआईएम और आईआईटी की बढ़ती फीस की वहज भी स्टूडेंट ड्रॉपआउट कर देते हैं, क्योंकि कई बच्चें आर्थिक तौर मजबूत नहीं होते है और कॉलेज की तरफ से उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जाती है जिसके कारण अपनी आर्थिक तंगी से तंग आकर कोर्स बीच में ही छोड़ देते हैं।
इसके बाद उन पर पढ़ाई का भी बहुत प्रेशर होता है अगर क्लास में हाजिरी न लगाई तो कोर्स कंपलीट नहीं होगा। जिसके कारण बच्चें इन प्रतिष्ठित संस्थानों को छोड़ रहें है।