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Son Of Sardaar 2 Film Review: फुल फैमिली एंटरटेनर फिल्म है सन ऑफ सरदार 2, सिनेमाघरों में आज दें रहा दस्तक

13 साल पहले यानी 2012 में ‘सन ऑफ सरदार’ ने जब दर्शकों को हंसाया था, तब वो एक ऐसा दौर था जब ऐसी फिल्में बहुत कम बनती थीं। वो एक क्लीन कॉमेडी फिल्म थी, जिसने दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया था। अब सालों बाद एक बार फिर अजय देवगन ने जस्सी के किरदार के साथ वापसी की है।

Son Of Sardaar 2 Film Review: जानिए कैसी है फिल्म सन ऑफ सरदार 2 कि कहानी, कास्ट की एक्टिंग और भी बहुत कुछ…


Son Of Sardaar 2 Film Review: अजय देवगन की फिल्म ‘सन ऑफ सरदार 2’ का फैंस को बेसब्री से इंतजार था। अब ये इंतजार खत्म हो गया है और फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म की अच्छी ओपनिंग के लिए मेकर्स ने एक ट्रिक भी अपनाई है। वो एक डिसकाउंट कूपन भी लेकर आए हैं। फिल्म को इस डिस्काउंट से कितना फायदा हुआ है वो तो कलेक्शन सामने आने के बाद पता चलेगा। फिलहाल एडवांस बुकिंग से फिल्म ने करोड़ों में जरुर कमाई कर ली है। पहले ये फिल्म 25 जुलाई को रिलीज होने वाली थी लेकिन फिर इसे पोस्टपोन करके 1 अगस्त कर दिया गया है।

ऐसे होती है फिल्म में कहानी कि शुरुआत

कहानी की शुरुआत वहीं से होती है, जहां जस्सी (अजय देवगन) की शादी हो चुकी है. लेकिन उसकी पत्नी (नीरू बाजवा) उससे तलाक चाहती है। बीवी के दिए धोखे के बाद लंदन में यहां-वहां भटक रहे जस्सी की मुलाकात पाकिस्तानी रबिया (मृणाल ठाकुर) से होती है। रबिया अपनी बेटी और परिवार के साथ लंदन में रहती है, राबिया की बेटी को संधू परिवार के बेटे से प्यार हो जाता है। देशभक्त संधू परिवार को पाकिस्तानी लोगों से नफरत है ऐसे में, रबिया की मदद करने के लिए जस्सी, उसकी पाकिस्तानी लड़की का सरदार बाप बनने का नाटक करता है। अब आगे क्या धमाल होता है, ये जानने के लिए आपको सिनेमाघरों में जाकर ‘सन ऑफ सरदार 2’ देखनी होगी।

जानिए कैसी है फिल्म में कास्ट की एक्टिंग

अजय देवगन ने पूरी फिल्म को अपने कंधों पर संभाला है। उनकी कॉमिक टाइमिंग और शानदार एक्टिंग आपको हंसने पर मजबूर कर देती है। वो फिल्म में जान डाल देते हैं। मृणाल ठाकुर ने भी चौंकाया है। पहली बार उन्हें एक बोल्ड और बेबाक किरदार में दिखाया गया है, जिसे देखकर मज़ा आता है। उनकी एक्टिंग भी अच्छी है और वो फिल्म में एक ताजगी लाती हैं। रवि किशन हमेशा की तरह शानदार हैं और अपनी एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत लेते हैं। वहीं, मुकुल देव और विंदु दारा सिंह की जोड़ी कमाल करती है। उनकी कॉमेडी और टाइमिंग इतनी लाजवाब है कि आप इन दोनों को एक साथ देखकर बस हंसते चले जाते हैं। इस जोड़ी को देखकर हंसी तो आती है, लेकिन ये सोचकर आंखें नम हो जाती हैं कि हम मुकुल देव जैसे शानदार कलाकार को अब पर्दे पर नहीं देख पाएंगे।

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जानिए कुल मिलाकर कैसी है फिल्म

वैसे तो ये फिल्म बड़ी मजेदार है। लेकिन इसे देखकर आपको पंजाबी सिनेमा की याद आएगी, और ऐसा होना लाजिमी भी है। निर्देशक विजय कुमार अरोड़ा ने इसे बिल्कुल पंजाबी फिल्मों वाला ट्रीटमेंट दिया है। अगर आप एक आम दर्शक हैं, जो बस सब कुछ भूलकर हंसना चाहता है, तो यह फिल्म आपके लिए एक अच्छा विकल्प है। हंसी की कई जगहें ऐसी हैं, जहाँ आप पेट पकड़कर हंसेंगे, वहीं कुछ मौकों पर आप खुशी से वाह-वाह भी करेंगे। लेकिन इस फिल्म में कई जगह चुटकुले इतने खराब हैं कि आप हंसते नहीं, बल्कि ‘ये क्या है?’ कहकर हंसते हैं। कई जगह कुछ जोक्स आपको इतने खराब लग सकते हैं कि आप अपना सिर पकड़ लेंगे। हालांकि, पूरी फिल्म में आप कहीं भी बोर नहीं होते।

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