Nag Panchami: क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथाएं और महत्व
कालसर्प दोष से मुक्ति, भाई की लंबी उम्र और प्रकृति के संतुलन की कामना के साथ नाग पंचमी का पर्व पूरे भारत में श्रद्धा से मनाया जाता है।श्रावण मास में मनाया जाने वाला यह पवित्र त्योहार नाग देवताओं को समर्पित है, जिसमें श्रद्धालु दूध, फूल और मिठाई चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
Nag Panchami :सांपों की पूजा क्यों करते हैं?
Nag Panchami : कृष्ण और कालिया नाग से लेकर आस्तिक ऋषि की कथा तक, नाग पंचमी का इतिहास पुराणों और लोककथाओं में रचा-बसा है। नाग पंचमी भारत का एक महत्वपूर्ण और आस्थापूर्ण त्योहार है। इस दिन देशभर में हिंदू श्रद्धालु नाग देवताओं की पूजा करते हैं। कुछ लोग लकड़ी, चांदी या पत्थर से नाग की मूर्तियाँ बनाते हैं, तो कुछ घर की दीवारों पर सांपों की आकृतियाँ बनाकर पूजा करते हैं। इस दिन दूध, फल, और मिठाई नागों को अर्पित की जाती है। कई स्थानों पर जीवित साँपों, विशेषकर कोबरा को भी दूध पिलाया जाता है और इसके लिए सपेरों की मदद ली जाती है।
नाग पंचमी का पूजन मुहूर्त
नाग पंचमी के दिन भगवान शिव और नाग देवता की पूजा के लिए यह शुभ चौघड़िया मुहूर्त सबसे उपयुक्त माने गए हैं:
- पहला मुहूर्त: सुबह 10:46 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक
- दूसरा मुहूर्त: दोपहर 12:27 बजे से 2:09 बजे तक
- तीसरा मुहूर्त: दोपहर 3:51 बजे से शाम 5:32 बजे तक
- इन शुभ समयों में आप शिवलिंग पर जलाभिषेक, नाग पूजन, और विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं
- सुझाव: पूजा करते समय दूध, कुश, पुष्प और नाग देवता की मूर्ति या चित्र का प्रयोग करें।
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पौराणिक मान्यताएँ और कथाएँ
नागों की उत्पत्ति
पुराणों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा के पुत्र कश्यप ऋषि ने कद्रु और विनता से विवाह किया। कद्रु के गर्भ से नाग जाति की उत्पत्ति हुई। यह वर्णन अग्नि पुराण, स्कंद पुराण, नारद पुराण और गरुड़ पुराण में मिलता है।
तक्षक नाग और आस्तिक ऋषि की कथा (महाभारत)
राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने मार डाला था। इससे क्रोधित होकर उनके पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ का आयोजन किया, जिससे संपूर्ण नाग जाति का नाश हो जाए। लेकिन आस्तिक ऋषि ने यज्ञ को रोक दिया। जिस दिन उन्होंने यज्ञ को रोका, वही दिन Naga Panchami के रूप में मनाया जाता है।
कृष्ण और कालिया नाग
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने कालिया नाग का वध कर गोकुल वासियों को बचाया था। इसे भी Naga Panchami से जोड़ा जाता है।
नाग पंचमी कैसे मनाई जाती है?
भारत के अलग-अलग हिस्सों में Naga Panchami की पूजा विधियाँ थोड़ी भिन्न हो सकती हैं, परंतु मुख्य अनुष्ठान समान होते हैं:
- नाग देव की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना कर दूध, मिठाई और फल अर्पित करना
- घरों की दीवारों और दरवाज़ों पर सांप की आकृति बनाना या रंगोली सजाना
- दीया जलाकर नाग पूजा करना
- एंथिल (बिलों) में जाकर वहां दूध चढ़ाना, अगरबत्ती लगाना
- संकल्प लेकर नागों की सुरक्षा की कामना करना
- इस दिन भूमि खुदाई नहीं की जाती — ऐसा माना जाता है कि इससे साँपों की जान को खतरा हो सकता है
नाग पंचमी का महत्व
Naga Panchami के दिन नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलने की मान्यता है। इस दोष से छुटकारा पाने के लिए इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है, जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
इस दिन आप चाहें तो नीचे दिए गए दो विशेष मंत्रों का 108 बार जाप कर सकते हैं:
- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
- ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः
इन मंत्रों के जाप से न सिर्फ कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है, बल्कि ग्रहों की नकारात्मकता भी दूर होती है। साथ ही, Naga Panchami के दिन माथे पर तिलक लगाना शुरू करना एक खास उपाय माना गया है। यह उपाय आपको पितृ दोष से भी राहत दिला सकता है और जीवन में शांति व संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
Naga Panchami केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रकृति, जीवों और मानव जीवन के बीच संतुलन को दर्शाने वाला पर्व है। यह हमें सिखाता है कि हर जीव का इस सृष्टि में एक स्थान है और उसका सम्मान करना हमारा धर्म है।
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