Maha Shivratri 2025: पवित्र ज्योतिर्लिंग और उनका आध्यात्मिक सार
Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान शिव की उपासना का प्रतीक है। यह रात विशेष रूप से भगवान शिव के लिए समर्पित होती है, और 'महाशिवरात्रि' शब्द का अर्थ है "भगवान शिव की महान रात्रि"।
Maha Shivratri 2025: 12 ज्योतिर्लिंगों और उनके गहन आध्यात्मिक महत्व की खोज
Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान शिव की उपासना का प्रतीक है। यह रात विशेष रूप से भगवान शिव के लिए समर्पित होती है, और ‘महाशिवरात्रि’ शब्द का अर्थ है “भगवान शिव की महान रात्रि”। यह पर्व अपार भक्ति के साथ मनाया जाता है, जो शिव के लौकिक नृत्य और आध्यात्मिक शक्तियों के संयोग का प्रतीक है। इस रात करोड़ों भक्त बारह ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करते हैं, जो भगवान शिव के सबसे पवित्र धाम माने जाते हैं। ये ज्योतिर्लिंग अद्वैतवाद के प्रकाश स्तंभ की तरह हैं, जो शिव की दिव्य उपस्थिति और सृजनात्मक शक्ति का प्रतीक हैं।
अब आइए बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों के रहस्यों और उनके आध्यात्मिक महत्व को जानें।
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – अनंत प्रकाश का मंदिर
गुजरात स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को भारत में स्थापित पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह शिव पुराण और ऋग्वेद जैसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। इसे बार-बार नष्ट किया गया, लेकिन यह आस्था का प्रतीक बना रहा। यह मंदिर अरब सागर के किनारे स्थित है, और यहां का ‘सोमनाथ साउंड एंड लाइट शो’ दर्शनीय होता है।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – दक्षिण का कैलाश
आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के किनारे स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को ‘दक्षिण का कैलाश’ भी कहा जाता है। इस मंदिर में देवी भ्रामरांबा का भी मंदिर स्थित है, जिससे यह उन कुछ मंदिरों में से एक बनता है जो शिव और शक्ति दोनों को समर्पित हैं। यहां भक्तों को स्वयं ज्योतिर्लिंग को छूने की अनुमति होती है, जिससे उनकी आस्था और भी गहरी हो जाती है।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – स्वयंभू लिंगम
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्वयंभू लिंगम के रूप में प्रतिष्ठित है। यहां होने वाली ‘भस्म आरती’ विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस मंदिर का उल्लेख 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व से मिलता है, और यह शिवभक्तों के लिए एक अत्यंत पूजनीय स्थल है।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – ओंकार का पवित्र द्वीप
मध्य प्रदेश के नर्मदा नदी के बीच स्थित मंधाता द्वीप पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह द्वीप ‘ॐ’ के आकार का है, जिससे इसकी आध्यात्मिक महत्ता और बढ़ जाती है। महाशिवरात्रि के समय यहां हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
5. केदारनाथ – हिमालय में शिव का धाम
उत्तराखंड के बर्फीले हिमालय में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग सबसे ऊँचाई पर स्थित है और चारधाम यात्रा का प्रमुख हिस्सा है। माना जाता है कि इसका निर्माण पांडवों ने किया था और इसे आदि शंकराचार्य ने पुनर्जीवित किया। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए कठिन यात्रा करनी पड़ती है, जो भक्ति और संकल्प का प्रतीक मानी जाती है।
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6. भीमाशंकर – शिव का योद्धा अवतार
महाराष्ट्र के सह्याद्रि पर्वतों में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग घने जंगलों के बीच स्थित है। मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां ‘रुद्र’ रूप धारण करके त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया था। यह मंदिर नागर शैली में बना हुआ है और यहां एक वन्यजीव अभयारण्य भी स्थित है।
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – काशी के स्वामी
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है। इसे ‘वाराणसी का स्वर्ण मंदिर’ भी कहा जाता है। इसे मोक्ष का द्वार माना जाता है और मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं यहां एक ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – गोदावरी नदी का उद्गम स्थल
महाराष्ट्र के नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर का शिवलिंग तीन मुखों वाला है, जो शिव, विष्णु और ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करता है। इस मंदिर का संबंध महर्षि गौतम की तपस्या से जुड़ा है, जिनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
9. बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – दिव्य चिकित्सक
झारखंड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को स्वास्थ्य और धन प्राप्ति का केंद्र माना जाता है। कथा के अनुसार, रावण ने कठोर तपस्या कर अपने दस सिर भगवान शिव को अर्पित किए थे, जिसके बाद शिव ने उन्हें पुनः जीवित किया और उन्हें ‘बैद्यनाथ’ (दिव्य चिकित्सक) कहा।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – बुरी शक्तियों से रक्षा करने वाला
गुजरात में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की उस लीला का प्रतीक है जिसमें उन्होंने दारुक नामक राक्षस का वध किया था। यह मंदिर भक्तों को बुरी शक्तियों और विषों से बचाने का प्रतीक माना जाता है। यहां भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा भी स्थित है।
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11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग – पवित्र तीर्थ स्थल
तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मान्यता है कि भगवान राम ने रावण वध के बाद यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। इस मंदिर में दो शिवलिंग हैं— एक सीता माता द्वारा रेत से बनाया गया ‘रामलिंगम’ और दूसरा हनुमान द्वारा हिमालय से लाया गया ‘विष्वलिंगम’।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग – द्वादश ज्योतिर्लिंगों का अंतिम
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के निकट स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को ‘घुश्मेश्वर’ भी कहा जाता है। यह मंदिर शिखर शैली में निर्मित है और इसमें भगवान विष्णु के दशावतारों की सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है। मान्यता है कि एक भक्त घुश्मा की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए थे।
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