Makar Sankranti 2025 : तिल-गुड़ के स्वाद से खगोलीय घटनाओं तक, जानिए कब और क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति?
Makar Sankranti 2025, भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर वर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक है।
Makar Sankranti 2025 : मकर संक्रांति 2025, पवित्र स्नान, दान और खगोलीय घटना का पर्व
Makar Sankranti 2025, भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर वर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक है। धार्मिक दृष्टिकोण से यह त्योहार अत्यंत महत्वपूर्ण है, साथ ही इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। आइए, मकर संक्रांति के धार्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं के साथ-साथ इससे जुड़े रोचक तथ्यों पर विस्तृत चर्चा करें।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है। इस दिन को सूर्य देव की उपासना और पवित्र नदियों में स्नान के लिए शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, तिल-गुड़ और खिचड़ी का दान एवं सेवन इस पर्व का अभिन्न हिस्सा है, जो शुभ फलदायी माना जाता है।
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मकर संक्रांति के अनसुने पहलू
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे उत्तरायण की शुरुआत होती है। उत्तरायण के दौरान सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्ध पर सीधी पड़ती हैं, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह परिवर्तन पृथ्वी के 23.5 डिग्री के झुकाव और सूर्य के चारों ओर उसकी परिक्रमा के कारण होता है। इस खगोलीय घटना का प्रभाव मौसम और कृषि पर भी पड़ता है, जिससे फसलों की बुवाई और कटाई के समय में बदलाव आता है।
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कब है 2025 मकर संक्रांति?
पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर होगा। यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों, स्नान, दान और उत्सव के लिए विशेष महत्व रखेगा। लेकिन कभी-कभी यह 15 जनवरी को भी पड़ती है। यह एकमात्र हिंदू त्योहार है जो सौर कैलेंडर पर आधारित है, जबकि अधिकांश त्योहार चंद्र कैलेंडर के अनुसार मनाए जाते हैं।