Bhopal Gas Tragedy: जानिए कैसे हुआ था भोपाल त्रासदी में गैस का रिसाव? आज भी याद कर लोगों की आंखे हो जाती है नम
3 दिसंबर 1984 की ठंडी रात में अचानक हुई हजारों लोगों की मृत्यु की बात आज भी जब कभी उठती है तो मानों रौंगटे खड़े हो जाते हैं। इतना भयानक मंजर देखने की पूरे देश-दुनिया में किसी ने कल्पना नहीं की थी। रातों रात भोपाल जैसा शहर तबाह हो गया।
Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी में गई 5,474 लोगों की जान, 1984 में हुआ था ये भीषण हादसा
Bhopal Gas Tragedy: दो-तीन दिसंबर 1984 की वो काली रात… जब मध्यप्रदेश के भोपाल में एक बेहद दर्दनाक हादसा हुआ। इस रात ने भोपाल के हजारों लोगों की जिंदगी में अंधकार भर दिया। यह दिन मानव इतिहास की सबसे दर्दनाक औद्योगिक त्रासदियों में से एक बन गया। यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कारखाने से निकलने वाली जहरीली गैस ने पूरे शहर को मौत और तबाही की चपेट में ले लिया। इस हादसे में 5,474 लोग मारे गए और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए। आज इस हादसे को 40 साल पूरे हो रहे हैं। लेकिन भोपाल समेत पूरा देश आज भी इस काली रात को नहीं भूल पाया है।
कैसे हुआ गैस का रिसाव?
यूनियन कार्बाइड का यह कारखाना कीटनाशकों के उत्पादन के लिए मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) नामक रसायन का इस्तेमाल करता था। सुरक्षा मानकों की अनदेखी और रखरखाव में लापरवाही के चलते टैंक से बड़ी मात्रा में MIC गैस का रिसाव हो गया। यह जहरीली गैस हवा के माध्यम से पास के घनी आबादी वाले इलाकों में फैल गई। यह गैस अत्यधिक जहरीली थी, और इसके संपर्क में आते ही लोगों को सांस लेने में दिक्कत, जलन, अंधापन, और फेफड़ों की समस्या होने लगी। इससे लोग बिना किसी चेतावनी के इसका शिकार हो गए।
तत्काल प्रभाव
भयभीत निवासी सांस लेने के लिए हांफते हुए उठे, भागने की कोशिश करते हुए सड़कों पर गिर पड़े। अन्य लोग जहरीले बादल से बचने के लिए बेताब होकर मीलों तक भागे। आठ घंटे बाद, गैस खत्म हो गई, लेकिन तबाही साफ दिख रही थी। अस्पताल भरे हुए थे, शवगृहों में शवों के लिए जगह नहीं थी। आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 3,787 लोग मारे गए, लेकिन गैर सरकारी संगठनों का अनुमान है कि मरने वालों की संख्या 25,000 से अधिक है।
Read More: Food Allergies: जानिए क्या होती है फूड एलर्जी, जानें किन आहारों से शरीर में होती है ये दिक्कतें
स्वास्थ्य देखभाल और पुनर्वास प्रयास
शुरुआत में सरकार ने भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के तहत छह अस्पताल और नौ डिस्पेंसरी स्थापित कीं। समय के साथ, ये सुविधाएं प्रभावी सहायता के बजाय प्रतीकात्मक इशारे बन गईं। आज, गैस पीड़ित आयुष्मान भारत निरामयम योजना के तहत उपचार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन कई अभी भी पर्याप्त देखभाल तक पहुंच से वंचित हैं।
We’re now on WhatsApp. Click to join.
अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com