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Chhath Pooja 2024: जानिए क्यों छठ को बिहार का महापर्व कहा जाता है? ये हैं इसका बड़ा कारण

हिंदू धर्म में छठ पर्व का विशेष महत्व है। यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, लेकिन अब यह पर्व पूरे देश में लोकप्रिय हो चुका है।

Chhath Pooja 2024: जानिए कब से शुरू हुई छठ महापर्व मनाने की परंपरा? जानें इसके पीछे का इतिहास


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Chhath Pooja 2024: दीपावली के बाद अब सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा 05 नवंबर से शुरू होने वाला है। 4 दिनों तक चलने वाली यह महापर्व 08 नवंबर तक मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश और बिहार के यह पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती है। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को यदि विधि-विधान के साथ संपन्न किया जाता है कि संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान को लंबी उम्र प्राप्त होती है। छठ पर्व बिहार की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो वैदिक काल से ही मनाया जा रहा है। छठ पर्व में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना की जाती है।

माता सीता ने की थी छठ पर्व की शुरुआत

वाल्मीकि रामायण में भी छठ पूजा के संकेत मिलते हैं। इसके मुताबिक, पौराणिक नगर अंग प्रदेश की राजधानी मुंगेर में माता सीता ने 6 दिनों तक छठ पूजा की थी। रावण वध के बाद जब भगवान श्रीराम 14 साल का वनवास भोग कर अयोध्या वापस आए थे तो रावण वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने राजसूय यज्ञ किया था।

इस यज्ञ के लिए भगवान राम ने मुद्गल ऋषि को भी न्योता दिया था, लेकिन मुद्गल ऋषि ने अयोध्या जाने के बजाय भगवान राम और सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया। ऋषि आज्ञा पर भगवान राम और सीता खुद जब वहां पहुंचे तो ऋषि मुद्गल ने उन्हें पहली बार छठ पूजा का महत्व बताया था। ऋषि मुद्गल की ओर से बताई गई विधि के आधार पर माता सीता ने पहली बार सूर्य देव की उपासना करके 6 दिनों तक छठ पूजा की थी।

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द्रौपदी ने पांडवों के लिए रखा था छठ व्रत

पौराणिक कथाओं में छठ व्रत के प्रारंभ को द्रौपदी से भी जोड़कर देखा जाता है। द्रौपदी ने पांच पांडवों के बेहतर स्वास्थ्य और सुखी जीवन लिए छठ व्रत रखा था और सूर्य की उपासना की थी, जिसके परिणामस्वरुप पांडवों को उनको खोया राजपाट वापस मिल गया था।

दानवीर कर्ण ने की थी सूर्य पूजा

महाभारत के अनुसार, दानवीर कर्ण सूर्य के पुत्र थे। वह प्रतिदिन सूर्य की उपासना करते थे। इस प्रकार देखा जाए तो सबसे पहले कर्ण ने ही सूर्य की उपासना शुरू की थी। वह प्रतिदिन स्नान के बाद नदी में जाकर सूर्य को अर्घ्य दिया करते थे।

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छठ ही क्यों है बिहार का महापर्व?

बिहार के बक्सर में ऋषि कश्यप और माता अदिती का आश्रम था। माता अदिती ने कार्तिक महीने की षष्ठी तिथि को ही भगवान सूर्य को पुत्र के रूप में जन्म दिया था। माता अदिती का पुत्र होने की वजह से ही भगवान सूर्य को आदित्य भी कहा जाता है। इस कारण से वर्षभर में कार्तिक मास को पवित्र महीना माना जाता है। कार्तिक के महीने में गंगा किनारे लोग प्रवास भी करते हैं, जहां सात्विकता के साथ रहते हुए लोग गंगा में खड़े रहकर अगते हुए सूर्य को जल अर्पण करते हैं। यही वह विशेष कारण है, जिसकी वजह से इस पर्व को बिहार का महापर्व कहा जाता है।

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