Mata Santoshi: प्रथम पूज्य गणेश जी की पुत्री हैं माता संतोषी, क्यों शुक्रवार के ही दिन होती है इनकी पूजा? ये है जन्म से जुड़ीं पौराणिक कथाएं
Mata Santoshi: शुक्रवार का दिन हिंदू धर्म की देवियों को समर्पित होता है। ऐसा हम इस आधार पर कह रहे हैं कि यह दिन माता लक्ष्मी, माता संतोषी, माता काली की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। यह दिन धन-वैभव और सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जिस पर भी माता की कृपा बरसती है उसके भाग्य खुल जाते हैं।
Mata Santoshi: देवी दुर्गा का स्वरूप हैं माता संतोषी, शुक्रवार के दिन होती मां की पूजा
शुक्रवार का दिन हिंदू धर्म की देवियों को समर्पित होता है। ऐसा हम इस आधार पर कह रहे हैं कि यह दिन माता लक्ष्मी, माता संतोषी, माता काली की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। यह दिन धन-वैभव और सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जिस पर भी माता की कृपा बरसती है उसके भाग्य खुल जाते हैं। इस दिन जो भी जातक सच्चे मन से किसी भी देवी के व्रत का पालन करता है और शुक्र यंत्र लॉकेट को धारण करता है उसकी कुंडली में मौजूद शुक्र के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। साथ ही शुक्र शुभ फल देने लगता है। जो भी व्यक्ति शुक्रवार के दिन माता संतोषी की सच्चे मन से आराधना करता है, मां उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि मां संतोषी किसकी पुत्री हैं। और उनका जन्म कैसे हुआ था। आइए जानते हैं मां संतोषी के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा-
गणेश जी की पुत्री हैं माता संतोषी Mata Santoshi
गणेश जी का विवाह रिद्धि-सिद्धि के साथ हुआ था। इसके बाद उनके दो पुत्र हुए जिनका नाम शुभ-लाभ रखा गया। हिंदू धर्म की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान गणपति अपनी बहन से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे। तभी गणेश जी से उनके पुत्रों ने इस रस्म के बारे में पूछा। तब गणेश जी ने कहा कि यह धागा नहीं, रक्षासूत्र आशीर्वाद और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। यह बात सुनकर शुभ-लाभ बड़े उत्साहित हुए।
भगवान गणेश और रिद्धि-सिद्धि की आत्मशक्ति शामिल Mata Santoshi
शुभ लाभ ने गणेश जी से कहा कि उन्हें भी एक बहन चाहिए, जिससे वो भी इस रक्षा सूत्र को बंधवा सकें। शुभ-लाभ की इस मनोकामना को पूरा करने के लिए भगवान गणेश ने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि की आत्मशक्ति के साथ उसे सम्मिलित कर लिया। इस ज्योति ने कुछ देर बाद एक कन्या का रूप ले लिया, जिसका नाम संतोषी रखा गया। तब से उस कन्या को संतोषी माता के नाम से जाना जाने लगा। आपको बता दें कि संतोषी माता में भगवान गणेश और रिद्धि-सिद्धि तीनों की ही आत्मशक्ति शामिल है। जिस कारण रिद्धि और सिद्धि दोनों ही उनकी मां हैं।
मां संतोषी का स्वरूप Mata Santoshi
संतोषी माता को दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। उन्हें आनंद और संतुष्टि की देवी माना जाता है। वह देवी दुर्गा का एक दयालु, शुद्ध और कोमल रूप हैं। कमल पुष्प पर विराजमान मां संतोषी जीवन में संतोष प्रदान करने वाली देवी हैं। शुक्रवार को माता संतोषी की पूजा किए जाने का विशेष विधान है। कहा जाता है कि जो भक्त माता संतोषी की सच्चे दिल से अराधना करते हैं, मां उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
शुक्रवार के दिन होती संतोषी माता की पूजा Mata Santoshi
संतोषी माता का जन्म शुक्रवार के दिन हुआ था। इस कारण से उनकी पूजा और व्रत शुक्रवार के दिन ही किया जाता है। शुक्रवार के दिन माता संतोषी की पूजा अर्चना करने से माता प्रसन्न होती हैं। संतोषी माता का व्रत 16 शुक्रवार तक करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है और व्यवसाय में भी लाभ होता है। सिर्फ यही नहीं, जो भक्त माता संतोषी की पूजा विधि पूर्वक करते हैं उनके घर में सुख-समृद्धि भी आती है। माना जाता है कि अविवाहित कन्याएं अगर संतोषी माता का व्रत करें तो मां की कृपा से उन्हें सुयोग्य वर मिलता है।
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गौरा-शंकर की पौत्री हैं माता संतोषी Mata Santoshi
संतोषी माता (Santoshi Maa) सनातन धर्म में एक देवी हैं जो भगवान शंकर और देवी पार्वती की पौत्री हैं। उनके सबसे छोटे पुत्र भगवान गणेश और गणेश जी की पत्नी ऋद्धि , सिद्धि की पुत्री हैं। कार्तिकेय, अशोकसुन्दरी, अय्यप्पा, ज्योति और मनसा की भतीजी हैं। जबकि शुभ और लाभ की बहन तथा संतोष की देवी हैं। इनका दिवस शुक्रवार माना गया है।
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