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Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary : देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता, अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि

Atal Bihari Vajpayee की मृत्यु के बाद भी उनका नाम और उनका काम आज भी भारतीय राजनीति और समाज में जीवित है। उन्होंने भारतीय राजनीति में एक नई दिशा दी, जहां विरोधी भी उनके विचारों और नीतियों का सम्मान करते थे।

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary : अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि, जानिए एक महान नेता की कहानी


Atal Bihari Vajpayee, भारतीय राजनीति के एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनका नाम सुनते ही देशभक्ति, उदारवादी सोच और स्वतंत्रता की छवि सामने आती है। 16 अगस्त 2018 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन आज भी हमारे दिलों में जीवित है। अटल जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करना, उनके जीवन के अद्वितीय पहलुओं और देश के प्रति उनके अपार योगदान को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

atal bihari vajpayee death anniversary
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अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए सदैव अटल पहुंचे। यहां पर उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया। पीएम मोदी अपने भाषणों में अटल बिहारी का जिक्र करते हुए आए हैं ,उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शुक्रवार को अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि के मौके पर सदैव अटल पहुंचे। उन्होंने यहां पहुंचकर पूर्व पीएम को याद किया। शुक्रवार को राजनाथ सिंह सदैव अटल पहुंचे और उन्होंने अपने गुरु वाजपेयी को पुष्पांजलि अर्पित की।उनकी पुण्यतिथि के मौके पर कई सारे एनडीए नेता सदैव अटल पहुंचे। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी सुबह-सुबह अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि स्थल सदैव अटल पहुंचे और उन्होंने पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक स्कूल शिक्षक थे और काव्य रचनाओं में गहरी रुचि रखते थे। अटल जी की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से शुरू हुई और आगे की पढ़ाई ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से की। उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री कानपुर के डीएवी कॉलेज से प्राप्त की।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

अटल जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनसंघ से की, जिसे बाद में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के रूप में जाना गया। अटल जी का राजनीति में प्रवेश राष्ट्रवादी सोच और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके अटूट प्रेम के कारण हुआ। 1951 में उन्होंने भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारतीय जनता पार्टी का गठन और नेतृत्व

1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद, अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने। उन्होंने पार्टी को एक सशक्त और प्रभावशाली राजनीतिक दल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने 1996 में पहली बार केंद्र में सरकार बनाई, हालांकि वह सरकार मात्र 13 दिनों तक ही चल सकी। इसके बाद, 1998 और 1999 में उनके नेतृत्व में बीजेपी ने फिर से सत्ता हासिल की और अटल जी ने प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।

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प्रधानमंत्री के रूप में योगदान

अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल भारत के विकास और प्रगति के लिए कई मायनों में मील का पत्थर साबित हुआ। उनके नेतृत्व में किए गए परमाणु परीक्षणों ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक सुधार किए, जिनमें सड़कों का निर्माण, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, और ग्रामीण विकास योजनाएं शामिल हैं।

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विदेश नीति में अहम भूमिका

अटल जी की विदेश नीति उदारवादी और संतुलित थी। उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने के लिए कई पहल की, जिनमें 1999 में लाहौर बस यात्रा का आयोजन और 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन शामिल है। हालांकि, करगिल युद्ध के दौरान उनकी कूटनीतिक क्षमता ने यह साबित कर दिया कि वह देश की सुरक्षा के मामले में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे।

स्वास्थ्य और विदाई

2005 में स्वास्थ्य कारणों से अटल जी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। उनके जीवन के अंतिम कुछ वर्ष बीमारियों के कारण कठिन रहे। 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका निधन हो गया।

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