Bada Mangal: लखनऊ से जुड़ा है बड़ा मंगल का इतिहास, हनुमान मंदिर में मांगी दुआ कुबूल होने पर नवाब वाजिद अली शाह और बेगम ने करवाया था भंडारा
Bada Mangal: बड़ा मंगल उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि इसकी शुरूआत भी यहीं से हुई थी।
Bada Mangal: लखनऊ में बंदरों को मारने पर थी पाबंदी, जानें क्या है बड़ा मंगल का महत्व
शास्त्रों में मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन को हनुमान जी की पूजा करने का अलग महत्व बताया गया है, लेकिन ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है। इनमें विशेष रूप से राम भक्त हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी की भगवान राम से पहली बार मुलाकात ज्येष्ठ महीने के मंगलवार के दिन ही हुई थी। तभी से ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। Bada Mangal
इस खास दिन मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही भक्तों के लिए भंडारे भी किए जाते हैं। जगह-जगह पर प्याऊ लगवाए जाते हैं। आपको बता दें कि बड़ा मंगल उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि इसकी शुरूआत भी यहीं से हुई थी। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि लखनऊ में बड़ा मंगल मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई थी। आइए जानते हैं विस्तार से-
नवाब वाजिद अली शाह ने की थी बड़ा मंगल की शुरूआत Bada Mangal
आपको बता दें कि लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह ने बड़े मंगल पर्व की शुरुआत की थी। उनका परिवार हनुमान जी का बहुत बड़ा भक्त था। नवाब वाजिद अली शाह ने अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में भंडारा कराया था। इसके बाद उनकी बेगम ने इस परंपरा को जारी रखा और फिर लखनऊ से होते हुए उत्तर प्रदेश फिर पूरे देश में ज्येष्ठ के बड़े मंगल का महत्व बढ़ता गया।
बड़ा मंगल को क्यों कहते हैं बुढ़वा मंगल Bada Mangal
ज्येष्ठ माह में हनुमान जी की पूजा बेहद फलदायी मानी जाती है। जब प्रभु राम माता सीता की खोज में वन में भटकते हुए हनुमान जी से मिले थे तो उस दिन ज्येष्ठ माह का मंगलवार था, इसलिए ज्येष्ठ के हर मंगलवार को बड़ा मंगल के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, रावण के घमंड को चकनाचूर करने के लिए हनुमानजी ने वृद्ध वानर का रूप धारण किया था। साथ ही इस दिन बजरंगबली की बूढ़े वानर के रूप में पूजा की जाती है, इसलिए ही बुढ़वा मंगल भी कहते हैं।
यूपी के इस शहर से जुड़ा है बड़ा मंगल का इतिहास Bada Mangal
शास्त्रों के अनुसार, वैसे तो बुढ़वा मंगल यानी कि बड़ा मंगल का संबंध महाभारत और रामायण से है लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ से भी बड़ा मंगल का इतिहास जुड़ा हुआ है। आपको बता दें कि लखनऊ में बड़ा मंगल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसा बताया जाता है कि आज से 400 साल पहले अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह के बेटे की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। जिसकी वजह से उनकी बेगम बहुत दुखी रहती थीं।
नवाब की बेगम ने हनुमान मंदिर में मांगी थी दुआ Bada Mangal
लाख कोशिशों के बाद भी जब बेटे की तबीयत ठीक नहीं हुई तो तब कुछ लोगों ने नवाब मोहम्मद वाजिद अली शाह की बेगम को लखनऊ के अलीगंज में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में मंगलवार को दुआ मांगने की सलाह दी। उन्होंने ऐसा ही किया और थोड़े दिन बाद बेटे की तबीयत में सुधार होने लगा। मोहम्मद अली शाह अपने पुत्र के स्वास्थ्य को देख अधिक प्रसन्न हुए। इसकी खुशी में अवध के नवाब और उनकी बेगम ने अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की मरम्मत कराई, जिसका काम ज्येष्ठ माह में पूरा हुआ।
लखनऊ में हर जगह होता भंडारे का आयाेजन Bada Mangal
इसके साथ ही उन्होंने पूरे लखनऊ में गुड़ और प्रसाद का वितरण करवाया। तब से बुढ़वा मंगल के दिन लखनऊ में जलपान कराने, भंडारा कराने और प्रसाद वितरण का कार्य प्रारंभ हुआ। तब से यहां हर साल ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार पर जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस खास अवसर पर अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में श्रद्धालु राम भक्त हनुमान जी की पूजा और दर्शन करने के लिए आते हैं।
बंदरों को मारने पर थी पाबंदी Bada Mangal
आपको बता दें कि नवाब वाजिद अली शाह और उनकी बेगमों की तरफ से इसी मंदिर में बंदरों को चना भी खिलाया जाता था। खास बात यह है कि वाजिद अली शाह बजरंगबली के प्रति इतनी अधिक श्रद्धा रखते थे कि उनके नवाबी काल में बंदरों की हत्या पर भी प्रतिबंध था। स्वर्गीय इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीण ने अपनी किताब लखनऊनामा में लिखा है कि नवाब वाजिद अली शाह के नवाबी काल में एक बार किसी ने बंदरों पर बंदूक चला दी थी, तो उसको इसका भुगतान भी करना पड़ा था।
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मंदिर पर लगवाया था चांद Bada Mangal
नवाब वाजिद अली शाह ने अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के शिखर पर जो चांद लगवाया गया था, वह आज भी वहां मौजूद है। ऐसा कहा जाता है कि नवाब वाजिद अली शाह बजरंगबली से बेहद प्रभावित हुए थे। इसलिए प्राचीन हनुमान मंदिर में दर्शन पूजन करने के साथ ही वह भंडारा भी करवाते थे और उन्होंने निशानी के तौर पर वहां चांद लगवाया था।
बड़े मंगल का महत्व Bada Mangal
बड़े मंगल या बुढ़वा मंगल को सभी भक्तों के लिए हनुमान जी की पूजा अर्चना और व्रत आदि का बड़ा महत्व बताया गया है। साथ ही ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले बड़े मंगलवार को कई मंदिरों में भंडारे भी करवाए जाते हैं। मान्यता है कि इस माह के मंगलवारों को जो भक्त बजरंगबली की पूजा और व्रत करता है, उसके जीवन की नकारात्मकता दूर होती है। सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन सुंदरकांड पाठ और बजरंग बाण करना बड़ा फलदायी माना गया है।
बड़े मंगल पर करें इन चीजों का दान Bada Mangal
- बड़े मंगल पर जरूरतमंदों को दूध का दान करना चाहिए। माना जाता है कि इससे बीमारियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही व्यक्ति को निरोग स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- हनुमानजी की विशेष कृपा पाने के लिए बड़े मंगल पर दान-पुण्य के कार्य जरूर करने चाहिए। दान करने से जीवन की तमाम समस्याओं से निजात मिल सकती है। इस शुभ दिन पर आप हनुमानजी को चोला अर्पित करें और जरूरतमंदों लोगों को लाल कपड़े का दान करना चाहिए। इससे बजरंगबली का आशीर्वाद मिलता है।
- गुड़ का दान करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति और मंगल की स्थिति मजबूत होती है। यदि आप हनुमानजी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो बड़े मंगल पर मंदिर या जरूरतमंद लोगों को गुण का दान जरूर करें। इससे जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है।
- घी का दान भी बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में घी के बिना पूजा पूर्ण नहीं माना जाती है, इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है। यदि आप बड़े मंगल के शुभ अवसर पर घी का दान करते हैं तो जीवन उन्नति की ओर अग्रसर होता है। साथ ही कष्टों में कमी आ सकती है।
- हनुमान जी को लड्डू अति प्रिय है। सभी भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए इसका भोग लगाते हैं। ऐसे में आप बड़े मंगल पर बजरंगबली को लड्डू का भोग लगाएं। बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट दें, इससे करियर में उन्नति के साथ-साथ तरक्की के द्वार भी खुल सकते हैं।
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