Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rank-math domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/admin/domains/hindi.oneworldnews.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the hustle domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/admin/domains/hindi.oneworldnews.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
Kuti Village In Uttrakhand: प्राकृति की गोद में बसा है ये गांव, महाभारत काल से है संबंध, सिर्फ 6 महीने ही यहां ठहरते हैं ग्रामीण, जानिए क्या है कारण...
पर्यटन

Kuti Village In Uttrakhand: प्राकृति की गोद में बसा है ये गांव, महाभारत काल से है संबंध, सिर्फ 6 महीने ही यहां ठहरते हैं ग्रामीण, जानिए क्या है कारण…

Kuti Village In Uttrakhand: उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से एक अद्भुत राज्य हैं। यहां आपको झरने, पहाड़, नदी, रहस्यमयी मंदिर देखने को मिलेंगे। ऐसा ही एक बेहद खूबसूरत गांव है कुटी, जो 12000 फीट की ऊंचाई पर भारत- चीन सीमा पर बसा है। जिसे आखिरी आबादी कहा जाता है।

Kuti Village In Uttrakhand: माता कुंती के नाम पर पड़ा कुटी गांव का नाम, जानें क्या है खासियत

भारत अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है। भारत को प्राकृतिक खूबसूरती की धरोहर माना जाता है। वैसे देखा जाए तो पूरा उत्तराखंड ही खूबसूरती की एक मिसाल है। भारत के हर गांव, हर शहर की अपनी एक अलग पहचान और कहानी है। इसी श्रेणी में उत्तराखंड प्राकृतिक खूबसूरती का एक अद्भुत नज़ारा है। उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से एक अद्भुत राज्य हैं। यहां आपको झरने, पहाड़, नदी, रहस्यमयी मंदिर देखने को मिलेंगे। ऐसा ही एक बेहद खूबसूरत गांव है कुटी, जो 12000 फीट की ऊंचाई पर भारत- चीन सीमा पर बसा है। जिसे आखिरी आबादी कहा जाता है। इस गांव का नाम भी पांडवों की माता कुंती के नाम पर पड़ा है। आपकाे बता दें कि इस गांव का संबंध महाभारत काल से जुड़ा है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडव दुखी होकर अपनी माता कुंती और पत्नी द्रौपदी के साथ इस स्थान पर पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने लंबे समय तक महल बनाकर निवास किया। इसी जगह पर घूमते हुए युधिष्ठिर को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी और अन्य भाइयों और पत्नी ने युधिष्ठिर की तलाश करते हुए इसी स्थान पर अपने प्राण त्याग दिए थे। माता कुंती जो अपने बेटों और बहू के आने का इंतजार कर रही थीं, उन्हें अहसास हो गया था कि अब उनके बेटे वापस नहीं आने वाले, जिस कारण उन्होंने देवताओं की आराधना की और देवताओं ने उन्हें इस स्थान पर अमरत्व का वरदान दिया।

पवित्र गांव में है शामिल

गांव के लोग माता कुंती को आज भी देवी के रूप में पूजते हैं। धार्मिक यात्राओं में रुचि रखने वाले पर्यटक यहां जरूर आते हैं। यह गांव जितना खूबसूरत है, उतना ही धार्मिक मान्यताओं में इसे पवित्र गांव भी माना गया है। आपको बता दें कि कुटी के ग्रामीण सिर्फ 6 महीने ही अपने गांव में गुजारते हैं। हिमालय की गोद में बसा ये गांव सर्दियों में पूरी तरह बर्फ से ढक जाता है। आजादी के 70 दशक बाद भी यहां न तो बिजली है और न ही कोई हेल्थ सेंटर।

Read More:- Ram Navmi 2024: अयोध्या के साथ-साथ भारत के ये राम मंदिर भी हैं बेहद खास, रामायण काल से जुड़ी है मान्यता, रोजाना पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु

खेती कर पेट पालते हैं ग्रामीण

यहां पर ग्रामीण खेती के जरिए ही अपना पेट पालते हैं। यहां के कुछ लोग इंडो-चाइना ट्रेड में भी हिस्सेदारी करते थे। लेकिन, बीते 4 साल से ट्रेड बंद होने ये कारोबार भी ठंडा पड़ा है। बॉर्डर के इस अंतिम गांव में एक ही दुकान है, जो आने-जाने वाले सैलानियों के अलावा आईटीबीपी के जवानों से आबाद रहती है। पिथौरागढ़ जिलें के अति दुर्गम इन इलाको का धार्मिक मान्यताओं में खासा महत्व है।

We’re now on WhatsApp. Click to join

कैलाश मानसरोवर पहुंचने का है पौराणिक मार्ग

भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश मानसरोवर पहुंचने का यह पौराणिक मार्ग है, जिसे स्वर्ग जाने का रास्ता भी कहा जाता है। विपरीत परिस्थितियों में इस स्थान पर रहना किसी वरदान कम नहीं है। यहां के ग्रामीणों ने पर्यटकों के लिए अपने घरों में ही होमस्टे की सुविधा की हुई है। हिमालय के बीच इस पवित्र स्थान में स्थानीय संस्कृति के साथ रहना वाकई सुखद अहसास है। यहां पिथौरागढ़ जिले से टैक्सी करके इनर लाइन परमिट धारचूला एसडीएम कार्यालय से बना कर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
Back to top button