Hindu Calendar : क्या आप जानते है दुनिया का अकेला देश जो अब भी हिंदू कैलेंडर से चलता है सरकारी कामकाज, जानिए ये रोचक बातें
हिंदू नव विक्रम संवत वर्ष की शुरुआत हो गई है। लेकिन दुनिया में एक ऐसा भी देश है, जहां आज भी सारे आधिकारिक तौर पर नया साल मनाया जाता है और इस देश का सारा कामकाज इसी हिंदू कैलेंडर के आधार पर किया जाता है।
Hindu Calendar :नेपाल में होता है विक्रम संवत के तिथि के अनुसार कामकाज,अंग्रेजी कैलेंडर की नहीं है कोई अहमियत
हिंदू नव विक्रम संवत वर्ष की शुरुआत हो गई है। लेकिन दुनिया में एक ऐसा भी देश है, जहां आज भी सारे आधिकारिक तौर पर नया साल मनाया जाता है और इस देश का सारा कामकाज इसी हिंदू कैलेंडर के आधार पर किया जाता है।
नेपाल में आज भी है हिंदू कैलेंडर –
साल 1954 से ही प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने हिंदू कैलेंडर यानि विक्रम संवत को ग्रेगोरियन फॉर्मेट के साथ अपना लिया था लेकिन देश का सारा कामकाज ग्रेगोरियन कैलेंडर फॉर्मेट से ही होता है। लेकिन नेपाल ने हमेशा हिंदू कैलेंडर को ही मानते है। और इसे विक्रमी कैलेंडर भी कहा जाता हैं। साथ ही ये ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 साल आगे ही चलता है,और इसे विक्रम संवत कैलेंडर भी कहते हैं।
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विक्रम संवत क्या है अर्थ –
क्या आप जानते है कि विक्रम संवत कैलेंडर का नाम राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया था। यहां पर संस्कृत शब्द ‘संवत’ का प्रयोग “वर्ष” यानी साल को दर्शाने के लिए किया गया है। कहा जाता है कि विक्रमादित्य का जन्म 102 ईसा पूर्व और उनकी मृत्यु 15 ईस्वी को हुई थी। ये कहा जाता है कि 57 ईसा पूर्व में भारतवर्ष के प्रतापी राजा विक्रमादित्य ने देशवासियों को शकों के अत्याचारी शासन से मुक्त कराया था। इस विजय की स्मृति में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से विक्रम संवत की भी शुरुआत हुई थी।
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विक्रम संवत की खास रोचक बातें –
इसमें भी 12 महीने का एक साल और 07 दिन का हफ्ता होता है। विक्रम संवत में महीने का हिसाब सूर्य व चन्द्रमा की गति पर रखा जाता है। विक्रम संवत में ये 12 राशियां 12 सौर मास होती हैं।यहां पर पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। सबसे खास बात चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घंटे 48 पल छोटा होता है,और इसलिए प्रत्येक 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है। हिन्दुओं के सभी तीज-त्यौहार, मुहूर्त, शुभ-अशुभ योग, सूर्य-चंद्र ग्रहण, हिन्दू पंचांग की गणना के आधार पर ही तय होते हैं। यहां तक कि इंसान के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर एक महत्वपूर्ण काम की शुरुआत हिन्दू पंचांग से मुहूर्त देखकर ही की जाती है।
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