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Gaganyaan Mission: जानिए कौन हैं भारत के वे 4 अंतरिक्ष यात्री जो स्पेस में जाएंगे, कैसे हुआ चयन...
विज्ञान

Gaganyaan Mission: जानिए कौन हैं भारत के वे 4 अंतरिक्ष यात्री जो स्पेस में जाएंगे, कैसे हुआ चयन…

Gaganyaan Mission: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को उन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की, जो देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन-‘गगनयान’ के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं।

Gaganyaan Mission: पीएम मोदी ने अंतरिक्ष में जाने के लिए चुने गए 4 पायलटों का किया खुलासा

चांद और सूरज के बाद भारत एक बार फिर अंतरिक्ष पर इतिहास रचने को तैयार है। दरअसल भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO अपने गगनयान मिशन पर काम रही है। चंद्रयान और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद ये मिशन इसरो को और बुलंदियों पर पहुंचाएगा। गगनयान भारत का पहला मानव मिशन होगा। भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान लॉन्च होने वाला है। पीएम मोदी ने जब 2018 में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान की घोषणा की थी, तभी से संभावित अंतरिक्ष यात्रियों के नामों पर सस्पेंस बना हुआ था। आज उस सस्पेंस से पर्दा उठ गया है। इनके नाम हैं- प्रशांत बालकृष्ण नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला।

चारों लोग, जो बेंगलुरु में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में ट्रेनिंग ले रहे हैं, मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में थे, जहां प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें दुनिया के सामने पेश किया। Times Of India ने जुलाई 2019 में सबसे पहले बताया था कि गगनयान के सभी चयनित अंतरिक्ष यात्री टेस्ट पायलट होंगे, क्योंकि यह भारत का पहला अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। अपने विशेषज्ञता के कारण, टेस्ट पायलटों को आमतौर पर उस हर चीज का अध्ययन करने के लिए कहा जाता है जो पहले कभी नहीं आजमाई गई चीज में गलत हो सकती है।

चर्चा में क्यों ग्रुप कैप्टन नायर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) का दौरा किया। साथ ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए प्रशिक्षण ले रहे चार टेस्ट पायलटों के नामों की घोषणा की। केरल के लिए गौरव की बात यह है कि इन चार टेस्ट पायलटों में से एक, ग्रुप कैप्टन प्रशांत बी. नायर, केरल से ही ताल्लुक रखते हैं। सूत्रों के मुताबिक, वह पिछले कुछ सालों से इस मिशन के लिए रूस में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। अब वह भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग (इसरो) की एक इकाई में इस मिशन की बारीकियों को समझ रहे हैं।

पायलट इस काम के लिए उपयुक्त

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के एक पूर्व परीक्षण पायलट और विंग कमांडर ने कहा था कि ज्यादातर पायलट लगभग 28 साल की उम्र में परीक्षण-उड़ान शुरू करते हैं इसलिए वे इसके लिए उपयुक्त होते हैं। उनका मानना है, “अंतरिक्ष उड़ान के लिए आवश्यक परिस्थितियों के अनुकूल ढलने के लिए उन्हें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाने के कारण, वे जल्दी ही नई प्रणालियों से परिचित हो जाते हैं। वे विभिन्न प्रकार के दबावों और गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध काम करने के भी आदी होते हैं। सभी टेस्ट पायलट लड़ाकू स्ट्रीम से हैं।”

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रूस में लिया शुरुआती प्रशिक्षण

ज्यादातर लोगों ने कहा कि टेस्ट पायलट विफलताओं का शीघ्र निदान करने और नियंत्रण स्टेशनों से कमांड निष्पादित करने के लिए सबसे उपयुक्त थे। विश्व स्तर पर भी अधिकांश अंतरिक्ष यात्री टेस्ट पायलट रहे हैं। इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी जब भारत ने चार टेस्ट पायलटों को चुना। इन चार लोगों ने रूस में अपना शुरुआती प्रशिक्षण समाप्त करने के बाद बेंगलुरु के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में अपने भारत मॉड्यूल का पहला सेमेस्टर पूरा कर लिया है। वे लगातार प्रशिक्षण में हैं और अपना मिशन-विशिष्ट चालक दल प्रशिक्षण जारी रखेंगे।

ऐसे चुने गए चार जांबाज

गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए सैकड़ों टेस्ट पायलट ने आवेदन किया था। भारतीय वायुसेना के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आइएएम) ने 2019 में बेंगलुरु में इनमें से 12 टेस्ट पायलटों का सेलेक्शन किया। कई चरणों के बाद इसरो ने चार लोगों का अंतिम चयन किया। इन चारों को शुरुआती प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा गया। प्रशिक्षण 2021 में पूरा हुआ। अब इन्हें बेंगलुरु में कई एजेंसियां और सशस्त्र बल प्रशिक्षण दे रहे हैं। चारों नियमित रूप से वायुसेना के विमान भी उड़ाते हैं।

कोई महिला पायलट क्यों नहीं?

हालांकि कई लोगों को आश्चर्य हुआ कि अंतरिक्ष उड़ान के लिए किसी महिला पायलट को क्यों नहीं चुना गया। इससे पहले अंतरिक्ष में जाने वाले चार भारतीय मूल के व्यक्तियों में से दो महिलाएं थीं। दिवंगत कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स राष्ट्रीय प्रतीक हैं और उन्होंने पीढ़ियों को प्रेरित किया है। फिर भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए किसी महिला को क्यों नहीं चुना गया?

ISRO के अध्यक्ष बोले- महिलाओं को मिलेगा मौका

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक चैनल से कहा है कि उन्हें आने वाले समय में महिला अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष उड़ानों पर भेजने में खुशी होगी। सोमनाथ ने कहा, “बहुत जल्द भारत को मिशन विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी और महिलाओं को अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में उस भूमिका में अच्छी तरह से समायोजित किया जा सकता है, लेकिन चालक दल वाले गगनयान के पहले कुछ मिशन स्पष्ट रूप से उस चालक दल को ले जाएंगे, जिन्हें चुना और प्रशिक्षित किया गया है।”

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भविष्य में महिलाओं को शामिल किया जा सकता

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक और भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक प्रमुख खिलाड़ी डॉ. उन्नीकृष्णन नायर कहते हैं कि “भविष्य में महिलाओं को इसमें शामिल किया जा सकता है, क्योंकि इसरो लिंग में कोई भेद नहीं करता है, केवल प्रतिभा ही मायने रखती है।” हालांकि 2025 के लिए प्रस्तावित गगनयान मिशन से पहले अगर सभी परीक्षण सफल रहे तो एक भारतीय महिला के लिए भी अंतरिक्ष में उड़ान भरने का अवसर अभी भी हो सकता है।

अंतरिक्ष यात्रियों को किया गया प्रशिक्षित

इसके अलावा, इस साल के अंत में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए नासा-इसरो का आगामी मानव अंतरिक्ष मिशन है और भारतीय वायुसेना की कुशल महिला लड़ाकू पायलटों में से एक को स्थान दिया जा सकता है। हो सकता है कि वे परीक्षण पायलट न हों, लेकिन फिर भी वे वायु योद्धा हैं, लेकिन इसरो चयनित चार पुरुष अंतरिक्ष यात्रियों में से एक को भेजने के लिए अधिक इच्छुक है, क्योंकि उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।

क्या है गगनयान मिशन

चांद और सूरज के बाद भारत अंतरिक्ष में एक और इतिहास रचने की तैयारी कर रहा है। गगनयान मिशन में कामयाबी मिलने पर अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। गगनयान मिशन अगले साल लॉन्च होगा। इसके शुरुआती चरणों को इसी साल पूरा किया जा सकता है। इनमें दो मानवरहित मिशन अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। इन मिशन की कामयाबी के बाद ही अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

इसरो ने लॉन्च किया था गगनयान स्पेसक्राफ्ट

मिशन के लिए ‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट का इस्तेमाल होगा। गगनयान मिशन में चालक दल के चार सदस्यों को तीन दिन के लिए पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा जाएगा और सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा। पिछले साल अक्टूबर में इसरो ने श्रीहरिकोटा से गगनयान स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया था। परीक्षण यह जानने के लिए था कि क्या रॉकेट में खराबी की हालत में अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित बच सकते हैं।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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