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Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि आज, राष्ट्रपति समेत बड़ी हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि
भारत

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary:आज के दिन ही भारत की राजनीति का यह सूरज हमेशा के लिए अस्त हो गया, जानिए अटल जी की कुछ रोचक तथ्यों के बारे में

आज पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 5वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उनके समाधि स्थल 'सदैव अटल' पहुंचकर श्रद्धांजलि दी।

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: जानिए क्या कारण था कि नवाज शारीफ़ ने अटल जी को फोन करके कहा दर तक आ रहे हो घर नहीं आओगें?


पय पीकर सब मरते आये,  मै अमर हुआ लो विष पीकर ।

अधरो की प्यास बुझाई है,   पी कर मैंने वह आग प्रखर।

हो जाती दुनिया भस्मसात,  जिसको पलभर में ही छूकर।

ये अटल जी द्वारा लिखी अनगिनत कविताओं मे से ली गई चंद पंक्तियाँ  है जो  विषम परिस्थितियों मे भी आगे बढ़ने का साहस देती है। अटल जी का व्यक्तित्व ऐसा था की उनके विरोधी भी उनसे सामने सम्मान से सिर झुकाते थे। उनके जाने के बाद जो वैचारिक शून्य भारत की राजनीति मे आया है उसको भरने वाला दूर-दूर तक कोई नहीं दिखता। 

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 आज पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 5वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मूपूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंदप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उनके समाधि स्थल सदैव अटल‘ पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। इन सभी नेताओं के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाहरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी श्रद्धांजलि दी। बता दें 16 अगस्त, 2018 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।  

अटल बिहारी वाजपेयी की शुरुआती जीवन

25 दिसम्बर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के एक छोटे से गांव बटेश्वर में श्री कृष्ण बिहारी बाजपेई एवं उनकी पत्नी कृष्णा देवी बाजपई के घर एक बच्चे का जन्म हुआ जो आगे चलकर जिसका नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाने वाला था। भारत ही नहीं विश्व की राजनीति के पटल का वो सूरज बनने वाला था जिसके आगे विरोधी भी नतमस्तक थे।

 अटल जी ने प्रारम्भिक शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर विद्यालय , गोरखी से प्राप्त की एवं स्नातक लक्ष्मीबाई कॉलेज से की। उन्होंने कानपुर से कानून की डिग्री ली फिर अर्थशास्त्र की डिग्री भी ली।

अटल जी की राजनीतिक जीवन

अटल जी ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सन 1942 मे भारत छोड़ो आंदोलन से किया। उसी आंदोलन के दौरान अटल जी के भाई को गिरफ्तार कर लिया गया था फिर 23 दिन बाद उनको रिहा कर दिया गया। उसी दौरान अटल जी की मुलाक़ात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई और उन्हीं के आग्रह पर अटल जी ने जनसंघ पार्टी जॉइन कर ली।  1957 मे जनसंघ पार्टी के टिकिट से उत्तर प्रदेश के बलरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े ओर अपनी जीत दर्ज की।

अटल जी 9 बार लोकसभा सदस्य रहें

अटल जी पहली बार 16 मई 1996 में प्रधानमंत्री बने। वो अपने  जीवन काल में 9 बार लोकसभा के सदस्य रहें एवं  तीन बार प्रधानमंत्री बने। सर्वप्रथम 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक ,फिर 1998 में उसके बाद 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक। प्रधानमंत्री रहते हुए 1998 मे 11 मई एवं 13 मई को पोखरण मे भारतीय वेज्ञानिकों ने परमाणु परीक्षण कर के  भारत को परमाणु सम्पन्न देशो की श्रेणी में ला खड़ा  किया। सभी परमाणु सम्पन्न देश भारत के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ थे फिर भी हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत एवं  लगन से हम लोग  इसमे कामयाब रहें।

पाकिस्तान का यह न्योता स्वीकार किया

20 फरवरी 1999 को एक बस दिल्ली से लाहोर अमन एवं भाईचरे का पैगाम ले कर जाने वाली थी ताकि दोनों देशों मे अमन ओर शांति बहाल हो सके। अटल जी इस बस को हरी झंडी दिखा कर रवाना करने वाले थे।  ये जानकारी मिलते ही नवाज शारीफ़ ने अटल जी को फोन करके कहा दर तक आ रहे हो घर नहीं आओगे? इसके बाद केबिनेट की मीटिंग हुई ओर तमाम विरोधों के बावजूद भारत सरकार ने पाकिस्तान का यह न्योता स्वीकार किया। अटल जी स्वयं उस बस मे बैठ कर नवाज शारीफ़ से मिलने अमन ओर भाईचारे का संदेश कर गए और उनके साथ कला,सिनेमा एवं खेल जगत के कई नामचीन लोग भी वाघा बार्डर के रास्ते पाकिस्तान गए। जाने वालों मे कपिल देव, शत्रुघन सिन्हा, जावेद अख्तर, देवानन्द, सतीश गुजराल जैसे कई दिग्गज लोग थे।

 साफ सुथरी छवि वाले नेता

अटल जी को हमेशा ही एक साफ सुथरी  छवि वाले नेता के रूप मे देखा गया। मैं स्वयं उनका भाषण सुनने बिहार के भभुवा जिले के रामगढ़ स्थित एक मैदान मे गया था। उनके मंच पर आते ही ऐसे लगा जैसे चारो तरफ शांति छा गई। इतनी देर वो बोलते रहे लोग मंत्रमुग्ध हो कर सुनाते रहे। लेकिन उनके प्रधानमंत्री काल में कुछ विवाद भी हुए।

सबसे पहला विवाद बाबरी मस्जिद विध्वंश से जुड़ा है । विपक्ष के कुछ नेताओं ने अटल जी की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे

दूसरा विवाद कंधार विमान हाईजैक से जुड़ा है जिसमे एयर इंडिया के एक विमान को 176 सवारियो एव 15 क्रू मेंबर के साथ नेपाल से दिल्ली आते समय हाईजैक कर लिया गया था। उन सवारियों की सूरक्षा के बदले मे तीन खुखार उग्रवादीयों को छोड़ना पड़ा।

अटल जी एक अच्छे वक्ता होने के साथ साथ एक अच्छे कवि एवं सरल स्वभाव के व्यक्तित्व के स्वामी भी थे। अटल जी ने कभी शादी नहीं की । अपने मित्र बी एन कौल एवं राजकुमारी कौल की पुत्री नमिता को दत्तक पुत्री के रूप मे पाला ।

 आज भी जब संसद में पक्ष एवं विपक्ष में तना तनी होती है लोग अटल जी को याद करते हैं । वो हमेशा  राष्ट्र प्रथम के प्रेरणा स्रोत रहे । उनका मानना था की राष्ट्र हित ही सर्वोपरि है ।

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अटल जी का निधन

भारत की राजनीति का यह सूरज 16 अगस्त 2018 को शाम  5 बजकर 5 मिनट पर हमेशा के लिए अस्त हो गया। अपने पीछे छोड़ गया यादों की ऐसी किताब जिसका हर पन्ना उनके व्यक्तित्व को ओर भी महान बनाता है। आज उनकी पुण्यतिथि पर समस्त देशवासियों उनको कृतज्ञ हाथों से नमन करते हुए ,उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं और प्रण लेते हैं की जात पात, उंच-नीच ,अमीर गरीब एवं पक्ष-विपक्ष को भूल कर देश की प्रगति एवं अखंडता के लिए कर्तव्यनिष्ठ रहेंगे।

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