आखिर क्यों #Boycott ट्रेंड आ जाता है वापस: नेताओं को कड़े तेवर के बाद अक्टूबर में कई कपंनियों ने हटाए ऐड
नेताओं को कड़े तेवर के बाद अक्टूबर में कई कपंनियों ने हटाए ऐड
सोशल मीडिया को दौर में किसी भी मामले में पर लोग अपनी प्रतिक्रिया देने से पीछे नहीं हटते हैं। पक्ष और विपक्ष की लड़ाई लोगों को दो धड़ों में बांट देती है। राजनीतिक और सामाजिक पक्ष-विपक्ष की लड़ाई के बाद अब लोग ऐड पर भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जिसका नतीजा यह हो रहा है कि ऐड कंपनियों को अपना ऐड हटाना पड़ रहा है। जिससे साफ है कि जनता की बात को कंपनी को इसलिए मानना पड़ रहा है क्योंकि डिजिटल दुनिया में तुरंत ही बॉयकॉट होने लगता है। हाल ही ऐसी स्थिति कई ऐड के साथ देखने को मिली है। तो चलिए आपको कुछ अक्टूबर के कुछ ऐड के बारे मे बताते हैं जिन्हें लोगों को विरोध के बाद हटाना पड़ा।
सब्यसाची का मंगलसूत्र ऐड
त्योहारी मौसम के बीच सब्यसाची ने मंगलसूत्र का ऐड पब्लिश किया। जिसका विरोध इतना बढ़ गया कि मध्यप्रदेश के गृहमंत्री निरोत्तम मिश्रा ने 24 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया । उन्होंने कहा कि अगर ऐड 24 घंटे में नहीं हटाया गया तो वह इसके लिए कोई लीगल एक्शन लेगें। आखिर क्या था इस ऐड में जिसके लिए इतना विरोध हुआ।
#Sabyasachi faces backlash on its latest Jewellery Ad campaign.
What do you think about the ad? pic.twitter.com/btshDd5UNF— One World News (@Oneworldnews_) October 28, 2021
पिछले सप्ताह मशहूर फैशन डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने एक जूलरी कलेक्शन लॉन्च किया था। जिसका नाम ‘ द रॉयल बंगाल टाइगर आइकन’ रखा। जिसमें मंगलसूत्र के ऐड पर बवाल होना शुरु हो गया। जिसके ऐड में एक महिला अपने पार्टनर के साथ नजर आ रही है जहां उसने ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी है और उसके साथ में काले रंग का मंगलसूत्र पहन रखा है। इस ऐड के पब्लिश होती ही विरोध शुरु हो गया। सोशल मीडिया पर लोग पूछने लगे, सब्यसाची कपड़ों का प्रचार कर रहे हैं या कुछ और? क्या इतना अंग प्रदर्शन इंटिमेट जूलरी को जस्टिफाई करता है?
जिस पर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री निरोत्तम मिश्रा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘ मैंने डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी का मंगलसूत्र का विज्ञापन देखा, जो बेहद आपत्तिजनत है। हिंदू धर्म में आभूषणों में मंगलसूत्र की सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। मंगलसूत्र का पीला हिस्सा मां पार्वती है और काला हिस्सा भगवान शिव हैं। भगवान शिव की कृपा से महिला और उसके पति की रक्षा होती है। मां पार्वती की कृपा से वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है। मुझे इस बात को लेकर बेहद आपत्ति है कि तमाम चेतावनी के बाद भी हिंदू धर्म व उसके प्रतीकों के साथ छेड़छाड़ की सुनियोजित प्रक्रिया जारी है। मैं व्यक्तिगत रुप से सब्यसाची को चेतावनी और अल्टीमेटम दे रहा हूं कि विज्ञापन 24 घंटे में हटाएं नहीं तो केस दर्ज होगा। वैधानिक कारवाई होगी और अलग से फोर्स भेजी जाएगी। “
निरोत्तम मिश्रा के अल्टीमेटम के बाद सब्यसाची ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर ऐड को हटाने को सुनिश्चित किया।
डाबर का समलैंगिक ऐड
करवा चौथ के मौके पर कई ब्यूटी प्रोड्क्स के ऐड आते हैं। ऐसे में डाबर इंडिया द्वारा भी एक क्रीम ब्लीज का ऐड पब्लिश किया था। इस ऐड के पब्लिश होते ही विरोध भी शुरु हो गया। जिसके कारण कंपनी को यह ऐड हटाना पड़ा। इस ऐड को भी हटाने के लिए भी निरोत्तम मिश्रा ने अहम भूमिका निभाई।
दरअसल इस ऐड में करवा चौथ पर दो महिलाएं करवा चौथ मना रही थी। जिस पर लोगों के विरोध के साथ निरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ‘ आज वे समलैंगिकों को करवा चौथ का व्रत तोड़ते हुए दिखा रहे हैं…कल वे दो लड़कों को फेरा लेते हुए शादी करते हुए दिखा सकते हैं”।
बढ़ते विरोध के बीच डाबर कंपनी ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि ‘डाबर एक ब्रांड के रुप में विविधता, समावेश और समानता के लिए प्रयास करता है, और हम गर्व से अपने संगठन और अपने समुदायों के भीतर इन मूल्यों का समर्थन करते हैं। हम समझते हैं कि हर कोई हमसे सहमत नहीं हो सकता है हम अलग राय रखने वालों का सम्मान करते है। हमारा इरादा किसी भी विश्वास, रीति-रिवाजों, परंपराओं और धर्म को ठेस पहुंचना नहीं है।
सोशल मीडिया के दौर में हम किसी भी चीज पर अपनी प्रतिक्रिया आराम से दे देते हैं और उसे धर्म के साथ जोड़कर उसका विरोध करना शुरु कर देते हैं। डाबर के ऐड के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। एक तरफ हम लोगों को थर्ड जेडर के साथ अच्छा व्यवहार करने और उनके साथ बराबरी का हक देने की बात करते हैं लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है। भारतीय संविधान के अनुसार भी आर्टिकल 377 के उस प्रावधान को हटा दिया था। जिसके तहत एक ही जेंडर के दो लोग एक साथ नहीं रह सकते थे। इसके बाद भी ऐसे ऐड का विरोध हो रहा है।
फैबइंडिया का ऐड
त्योहारी मौसम में भारत का प्रसिद्ध फैशन ब्रांड फैबइंडिया ने अपने कुछ डिजाइन को लांन्च किया। लेकिन इस बार लोगों को कपड़ों या फिर उनके फैशन से परेशानी नहीं थी। इस बार तो सारा मामला टैगलाइन का था। जिसमें लिखा था “जश्न-ए-रिवाज”। इस लाइन के आते ही लोगों का विरोध होना शुरु हो गया। लोग इसे धर्म विशेष से जोड़कर देखने लगे। जिसमें राजनेता भी पीछे नहीं रहे। भाजपा के फायर बिग्रेड युवा नेता और साउथ बंगलुरु के सांसद तेजस्वी सूर्या ने लोगों से दीपावली पर फैबइंडिया का बॉयकाट करने की अपील की थी।
तेजस्वी सूर्या ने ट्वीट करते लिखा था कि “दीपावली पर्व जश्न-ए-रिवाज नहीं है। हिंदू त्योहारों का जानबूझकर अब्राहमीकरण किया जा रहा है। मॉल्स भी पारंपरिक हिंदू कपड़ों नहीं है। इसका विरोध और बहिष्कार होना चाहिए। फैब इंडिया जैसी किसी भी ब्रांड को ऐसी हरकत के लिए आर्थिक नुकसान झेलना चाहिए।
Deepavali is not Jash-e-Riwaaz.
This deliberate attempt of abrahamisation of Hindu festivals, depicting models without traditional Hindu attires, must be called out.
And brands like @FabindiaNews must face economic costs for such deliberate misadventures. https://t.co/uCmEBpGqsc
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) October 18, 2021
इस विरोध के बाद फैब इंडिया ने इस ऐड को हटा दिया। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि जिस देश में गंगा जमुनी तहजीब की बात करते है वहीं हमारे राजनेता ऐसी बातें करके एक अंतर को पैदा कर रहे हैं।
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