कोरोना में मरने वाले लोगों में 15 फीसदी वायु प्रदूषण के शिकार है-रिपोर्ट
कोरोना को कम करना है तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा- रिपोर्ट
देश मे लगातार बढ़ते कोरोना केस को देखते हुए एक फिर लॉकडाउन लगाया है। अप्रैल के महीने में ही एक दिन में दो लाख से अधिक केस सामने आएं। लगातार बढ़ते केसों से बीच कोई स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल उठाने लगा तो कई कुछ और कहने लगे। लेकिन इन सबके बीच एक ऐसी चीज थी जिस पर लोगों का ध्यान नहीं गया। वह था देश में जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और जीवाश्म ईधन(पेट्रोल,डीजल) आदि. जिनका लोगों के स्वास्थ्य को बिगाड़ने में अहम हाथ रहा है।
विश्व की मशहूर मैगजीन टाइम्स के अनुसार दुनिया में कई ऐसे शहर हैं जो पूरी तरह से प्रदूषण की चपेट में हैं। जिसमें भारत के भी ऐसे शहर है जो इस लिस्ट में शामिल है। अत्यधिक प्रदूषण के कारण यहां के लोगो का रेस्पिरेटरी सिस्टम यानि के सांस लेने की क्रिया में पहले ही कमजोर होती है। ऐसे में अगर वहां के लोगों को कोरोना जैसी बीमारी हो जाती है तो उनकी फेफड़ों की स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती हैं। इसकी साफ तस्वीरें टीवी में कई शहरों में देख सकते हैं जहां प्रदूषण सबसे ज्यादा है वहां लोगों को कोरोना के दौरान सामान्य से ज्यादा परेशानी हो रही है।
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वायु प्रदूषण और कोरोना को लेकर भारत में भी रिसर्च हुए हैं। पिछले साल दिसंबर में कार्डियोवस्कुलर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) से लोगों को क्रॉनिक एक्सपोजर होता है। ये प्रदूषण पराली जलाने, गाड़ियों के धुएं और इंडस्ट्री के धुएं की वजह से होता है। इसलिए आपने देखा होगा , दिल्ली एनसीआर में पराली जलाने के कारण अक्सर लोगों को ठंडे के दिनों में परेशानी होती है। चारों तरफ स्मॉग की चादर बन जाती है। रिपोर्ट की मानें तो कोरोना के कारण जितने लोगों को मौत हुई है उनमें से 15 फीसदी पहले से ही वायु प्रदूषण की वजह से क्रॉनिक बीमारियों के शिकार थे। देश में वायु प्रदूषण और कोरोना वायरस पर कई स्टडीज हुई है।
कोरोना के बढ़ते प्रकोप से पहले ही वर्ल्ड बैंक की स्टडी में भारत सरकार को यह सलाह दी गई थी कि देश में साफ सुथरे ईधन की व्यवस्था तत्काल करनी होगी। इतना ही नहीं आवाजाही को कम कर प्रदूषण को थामना होगा। इतना करने के बाद ही लोगों को मास्क और वैक्सीनेन की सलाह दी जानी चाहिए। रिपोर्ट की मानें तो लोगों को समझना होगा कि सिर्फ लॉकडाउन कर देने से महामारी को कम नहीं किया जा सकता है। लॉकडाउन के बाद लोगों को वाहनों को इस्तेमाल कम करना होगा। लोगों को अपने स्तर पर इसको कम करने में प्रयासरत रहना होगा। तभी इस महामारी से जल्दी निजात पाई जा सकती है।
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