काम की बात

जानें कोरोना वैक्सीन के लिए सरकार की क्या है योजना और कैसे पहुंचाई जाएंगी यह जनता तक

वैक्सीन के आते ही फर्जीवाड़े के मामले भी सामने आने लगे हैं


कोरोना को आएं एक साल से पूरा हो गया है. विश्व के विभिन्न देशों में मार्च के बाद से ही इसका प्रकोप लगातार जारी है. इस बीच बिट्रेन में दोबारा से संपूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है. जिससे इस पर नियंत्रण पाया जा सकें. हर किसी को इसकी वैक्सीन का इंतजार है. कई देशों ने अपनी वैक्सीन बना भी ली है. लेकिन उसमें भी कई तरह की परेशानियां है. पुर्तगाल में एक महिला  फाइजर कंपनी द्वारा बनाई वैक्सीन से महिला बीमार पड़ गई. भारत में भी वैक्सीन को लॉन्च कर दिया गया है. आज काम की बात में इस पर ही चर्चा करेंगे.

 

अहम बिंदु

– नए साल में कोरोना वैक्सीन

– इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी

– किसे और कब मिलेगा टीका

– वैक्सीन के नाम पर धोखा

 

कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत में भी लंबे समय से इंतजार चल रहा है. यहां तीन कंपनियां भारत बायोटेक, जायडस कैडिला और अरविंदो फॉर्मा वैक्सीन को तैयार कर रही थी. नए साल के साथ ही इसका इंतजार भी खत्म हो गया है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 कोविडशील्ड और भारत बायोटेक की “कोवैक्सीन” को साल के पहले रविवार को मंजूरी मिल गई है. डीसीजीआई(ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया)  के वी.जी. सोमानी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि दोनों कंपनियों ने ट्रायल रन  आंकडे जमा कर दिए हैं और दोनों कंपनियों को ही सीमित उपयोग की मंजूरी दे दी जाती है. इससे पहले नवंबर के महीने में प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद की जायडस कैडिला,  हैदराबाद और पूने के सीरम इंस्टीट्यूट में वैक्सीन के तैयारियों का जायजा लिया गया था.

 

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इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी के बाद विपक्ष ने उठाए सवाल

कोरोना की वैक्सीन तैयार होने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वह लगभग सात दिनों के भीतर कोविड 19 टीके को उपलब्ध कराने के लिए तैयार है लेकिन टीके की शुरुआत की तारीख पर अंतिम फैसला अभी लिया जाना है. इसके साथ ही बताया कि फीडबैक के आधार पर ही स्वास्थ्य मंत्रालय इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी के 10 दिन के भीतर ही कोविड 19 टीके को पेश करने के लिए तैयार है. वहीं दूसरी ओर वैक्सीन के लॉन्च को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. भारत बायोटेक की वैक्सीन को डीसीजीआई की मंजूरी मिलने बाद ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरुर और जयराम रमेश ने इस पर सवाल उठाएं हैं. शशि थरुर ने कहा कि कोवैक्सीन ने अबतक तीसरे चरण का परीक्षण नहीं दिया है. इस वैक्सीन को पहली ही अमुनित दे दी गई है और खतरनाक हो सकता है. वहीं दूसरी ओर जयराम रमेश ने इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब मांगा है. कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को बधाई देते  हुए कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन को डीसीजीआई की मंजूरी मिलने के बाद कोरोना मुक्त राष्ट्र होने के रास्ता साफ हो गया है.

किसे और कब मिलेगा टीका

1-     स्वास्थ्य कर्मचारी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों में काम करने वाले लगभग एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारियों को पहले वैक्सीन मिलेगी. यह COVID-19 या NEGVAC के लिए वैक्सीन प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह की सिफारिश के अनुरूप है. इन स्वास्थ्य कर्मचारियों को आगे उपसमूह में विभाजित किया जाता है – फ्रंटलाइन स्वास्थ्य और एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यकर्ता, चिकित्सा अधिकारी, नर्स और पर्यवेक्षक, पैरामेडिकल स्टॉफ, सहायक कर्मचारी और छात्र. उसी के लिए डेटा निजी और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं से एकत्र किया गया है

 

2-      सीमावर्ती और नगरपालिका कार्यकर्ता

स्वास्थ्यकर्मियों के बाद, अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स जो COVID-19 को अनुबंधित करने के लिए अधिक असुरक्षित हैं, उन्हें टीका लगाया जाएगा. इनमें राज्य और केंद्रीय पुलिस विभाग से जुड़े कार्यकर्ता, होमगार्ड, सशस्त्र बल, आपदा प्रबंधन और नागरिक सुरक्षा संगठन, नगरपालिका के कर्मचारी, जेल कर्मचारी और राजस्व अधिकारी शामिल हैं जो सीओवीआईडी -19 निगरानी, नियंत्रण और संबद्ध गतिविधियों में लगे हुए हैं. रक्षा, आवास और शहरी मामलों, गृह और राज्य सरकार के मंत्रालयों से जुड़े श्रमिकों को भी इस चरण में शामिल किया जाएगा.

3-      50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग

सूची में तीसरे स्थान पर 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग हैं. यह समूह भी दो उप-समूहों में विभाजित किया गया है . जिसमें 60 और 50-60 वर्ष की आयु से ऊपर के लोग शामिल है.  विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों के लिए  तैयार की गई नवीनतम मतदाता सूची का उपयोग कर  आबादी की पहचान कर उनका टीकाकरण किया जाएग.  इस समूह में लगभग 27 करोड़ लोग हैं जिन्हें जुलाई तक टीका लगाया जाएगा.

4-     उच्चCOVID-19 संक्रमण वाले क्षेत्र

केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जेनेरिक लचीलेपन के लिए प्राथमिकता वाले भौगोलिक क्षेत्रों में चिह्नित प्राथमिकता समूहों के लिए रोलआउट की प्राथमिकता के चरणबद्ध तरीके से करने के लिए दिया है जहां कोरोनोवायरस संक्रमण का प्रकोप अधिक है.

5-      शेष जनसंख्या

सरकार का लक्ष्य अगस्त 2021 तक टीकाकरण अभियान के पहले चरण को पूरा करना है, जिसमें 30 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा. बाकी आबादी के लिए समय सीमा ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है कि शेष आबादी को टीकाकरण अभियान के पहले चरण के पूरा होने के लिए इंतजार करना होगा. अन्य समूह कुछ हफ्तों या महीनों के बाद एक साथ टीका लगाना शुरू कर सकते हैं.

टीकाकरण की गति यहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि वह अपनी सुविधाओं पर निर्माण कर रहा है. इसके अलावा, आने वाले दिनों में भारत में उपयोग के लिए कोवैक्सीन और कोविडशील्ड के अलावा कई अन्य टीके भी लगाए जा सकते हैं. इनमें माडर्न, फाइजर, ज़ाइडस कैडिला के ZyCoV-D और रूसी स्पुतनिक-वी द्वारा बनाया गया टीका शामिल हैं.

6-       इन लोगों को टीका लगाने की योजना

टीकाकरण कार्यक्रम की तैयारी भारत की अब तक की सबसे बड़ी टीकाकरण अभियान की हफ्तों से  तैयारी चल रही है. मॉक ड्रिल के दो दौर आयोजित किए गए हैं – 28-29 दिसंबर को चार राज्यों में पहला, और दूसरा 2 जनवरी को, देश भर के 125 जिलों किया गया.

7,000 जिलों में किए गए प्रशिक्षकों के राष्ट्रीय प्रशिक्षण में 57,000 जिला-स्तरीय प्रशिक्षण और 2,360 सहित लगभग 96,000 टीकाकारों को प्रशिक्षित किया गया है. सह-विजेता मंच पर अब तक 75 लाख से अधिक लोग पंजीकृत हैं. सह-जीत को वैक्सीन स्टॉक, शॉट्स के व्यक्तिगत लाभार्थियों और भंडारण तापमान पर वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने शनिवार को कहा कि अंतिम मील वितरण सुनिश्चित करने के लिए देश की कोल्ड चेन संरचना को पर्याप्त रूप से उन्नत किया गया है और सीरिंज और अन्य रसद की पर्याप्त आपूर्ति की व्यवस्था की गई है.

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्यक्रम में लगे लगभग 1,54,000 नर्सों और दाइयों को लोगों को कोविद -19 टीके देने के लिए तैनात किया जाएगा. अंतिम वर्ष के नर्सिंग कार्यक्रमों को भी इस प्रक्रिया में स्वयंसेवक को आमंत्रित किया जाएगा. टीकों को स्टॉक करने के लिए लगभग 29,000 मौजूदा कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का उपयोग किया जाएगा. अधिकारियों ने कहा है कि देश में कर्नाटक, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर कृषि और पशुपालन केंद्रों में चरम कोल्ड स्टोरेज चेन पहले से ही उपलब्ध हैं.

 

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वैक्सीन  के लिए जरुरी दस्तावेज

कोरोना की वैक्सीन के लिए सभी को रजिस्ट्रेशन करना होगा. एक बार रजिस्ट्रेशन पूरा होना के बाद आपके रजिस्ट्रर मोबाइल नंबर पर एक  एसएमएस आएगा. जिसमें यह बताया गया है कि आपको कब, कहां और कौन सी वैक्सीन लगेगी. कई राज्यों में तो इसको लेकर तैयारियां भी शुरु कर दी गई है. इसके साथ ही कुछ और द्स्तावेजों की जरुरत पड़ेगी. रजिस्ट्रेशन करते वक्त आप ने जिस भी दस्तावेज का इस्तेमाल किया होगा जैसे आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर लाइसेंस, पासपोर्ट, कंपनी की आईडी और पेंशन के द्स्तावेज. इसके अलावा हेल्थ इंश्योरेंस स्मार्ट कार्ड जो केंद्रीय रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी किया गया हो. इतना ही नहीं सांसद, विधायक और विधान परिषद द्वारा जारी किया गया आधिकारिक कार्ड भी कोरोना की वैक्सीन लगाने के काम आएगा.

टीकाकरण के लिए स्थान

टीकाकरण एक निश्चित सत्र स्थल पर होगा जैसे कि सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाएं जहां एक डॉक्टर या चिकित्सा अधिकारी मौजूद होंगे. स्कूलों और सामुदायिक हॉल का उपयोग विभिन्न पहुंच वाले लोगों के लिए  किया जाएगा. दूरदराज के क्षेत्र, अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्र,  प्रवासी आबादी क्षेत्रों में विशेष मोबाइल साइटें स्थापित की जाएंगी. टीकाकरण के स्थल पर  तीन सीमांकित कमरे और क्षेत्र होंगे. एक प्रतीक्षालय- जहां लाभार्थी टीका लगाने से पहले प्रतीक्षा करेगा / करेगी, टीकाकरण कक्ष- जहां लाभार्थी को टीका लगाया जाएगा और अवलोकन कक्ष- जहां लाभार्थी को उसके टीकाकरण के 30 मिनट बाद देखा जाएगा. यह ध्यान दिया जाना है कि भारत पहले से ही दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम को चलाता है, जिसमें हर साल 12 बीमारियों के खिलाफ 4 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशु शामिल हैं. अब देखना है  कोरोना की वैक्सीन को कैसे लोगों तक पहुंचाया जाता है.

वैक्सीन के नाम पर धोखा

वैक्सीन आने के बाद ही लगातार इसके प्रयोग पर सवाल उठाए जा रहे हैं. अब मामला फर्जी ट्रायल का है. दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार भोपाल के एक अस्पताल में कोवैक्सीन के ट्रायल में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है. खबर की मानें तो भोपाल के पीपुल्स हॉस्पिटल ने 600 से ज्यादा लोगों को धोखे में रखकर उन पर वैक्सीन ट्रायल की गई. बाद में कुछ लोग बीमार पड़ गए. जितने लोग बीमार पड़े उनका बाद में ट्रीटमेंट भी नहीं किया गया. 600 में ज्यादातर लोग बस्ती के हैं. जिन्हें ट्रायल के लिए 750 रुपए दिए गए थे और जब लोग बीमार पड़ गए तो उनसे कागजात भी ले लिए गए. बाद में जब इस बात की तफ्तीश की गई तो हॉस्पिटल ने इससे इंकार कर दिया गया. वहां दूसरी ओर लगातार वैक्सीन पर उठते सवाल  बीच सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनेवाला ने सरकार से अपील की है कि वैक्सीन कंपनियों को मुकदमों से बचाने के लिए कानून बनाया जाए.

 

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