काम की बात

क्या चिराग पासवान का बदला तेवर बिहार चुनाव में कोई कमाल कर पायेगा

जेडीयू पर वार, बीजेपी से प्यार


बिहार चुनाव के पहले चरण का चुनाव आज हो गया है. सभी 71 सीटों पर लगभग 1066 प्रत्याशी  अपनी किस्मत को आजमां रहे हैं. कई महत्वपूर्ण लोग इस जंग-ए-मैदान में शामिल हैं. लेकिन इन सबमें एक चेहरा है जिसने अपने एक फैसले से सबको अचम्भित कर दिया है. लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान से एनडीए से अलग होने के फैसले ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया. आज काम की बात पर उसी विषय में बात पर करेंगे.

बिहार1stबिहारी1st

जमुई के सांसद चिराग पासवान ने बिहार चुनाव में अपने बिहार को आगे लाने का संकल्प लिया है. जिसके तहत अपने घोषणापत्र को बिहार1stबिहारी1st के नाम जारी किया. जिसमें बिहार के युवाओं को नौकरी देने से लेकर कला संस्कृति में लोगों को आगे बढ़ाने तक की बात की गई है. इसको विजन को लेकर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी ठनी थी. जिसके बाद चिराग ने एनडीए से अपने को अलग कर लिया.

एनडीए से हुए अलग

एनडीए में सीटों के बांटवारे को लेकर लगातार होती बातचीत के बीच चिराग पासवान ने लोजपा को बिहार चुनाव में एनडीए से अलग कर लिया. अलग होने से पहले वह गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलें. इसके कुछ दिन बाद ही चिराग ने बिहार में अकेले लड़ने का फैसला किया और अपनी पार्टी से बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता और पूर्व विधायक जिनको बीजेपी और जेडीयू ने टिकट नहीं था उन्हें लोजपा की तरफ से मैदान में उतारा है. अब देखना यह है कि चिराग का यह फैसला लोजपा को बिहार चुनाव में किस मोड़ पर लाकर खड़ा करता है . वैसे सर्वे की मानें तो सीएसडीएस के अनुसार इस चुनाव में लोजपा की झोली में महज 6-7 सीटें जाएंगी.

 

भावनात्मक दृष्टिकोण

चिराग पासवान के पिता केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद बिहार चुनाव में चिराग पासवान के लिए भावनात्मक ऐंगल भी जोड़ा जा रहा है. साल 2015 के चुनाव में लोजपा के 42 प्रत्याशियों में से मात्र 2 ही जीत हासिल कर पाएं थे. इस बार लोगों का कहना है कि चिराग के साथ लोगों का भावत्मक लागव हो गया है. बिहार में लगभग 16 प्रतिशत दलित वोट है जिसका कुछ हिस्सा चिराग की पार्टी में जा सकते हैं. सर्वे में 6-7 सीटों का जिक्र किया जा रहा है और राजनीतिक विशेषज्ञों का भी यही कहना है.

 

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बिहार में एनडीए से जुदा लेकिन केंद्र में है साथ

बिहार में चिराग पासवान ने कई अहम ट्विस्ट दिए हैं. जैसे लोजपा केंद्र में एनडीए के साथ है लेकिन बिहार चुनाव में वह एनडीए के गठबंधन से एक एकदम जुदा है. जबकि बिहार एनडीए में बीजेपी, जेडीयू और अन्य क्षेत्रिय पार्टियां शामिल हैं. मजे की बात यह है कि गठबंधन की जिस पार्टी से उनका बिहार में कोई नाता नहीं है उनके लिए चिराग लोगों से वोट करने अपील कर रहे हैं. वही गठबंधन की दूसरी पार्टी के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले हुए हैं. इन सबमें देखने वाली बात है यह कि बिहार का चुनाव किस रुख की ओर बढ़ रहा है. चिराग पासवान ने साफ तौर पर कह दिया है कि जहां हमारी र्टी के लोग मैदान में नहीं है वहां आप बीजेपी के प्रत्याशी का समर्थन करें. इन सारी बातों से कई बातों साफ होती जा रही है.

 

बीजेपी के साथ

गठबंधन से अलग होने के बाद बीजेपी के प्रदेश प्रभारी और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा था जो एनडीए के साथ नहीं है वह प्रधानमंत्री की तस्वीर को नहीं लगा सकता है. जिसके जवाब में चिराग ने कहा कि प्रधानमंत्री किसी एक के नहीं है. हमें उनकी तस्वीर लगाने की जरुरत नहीं है. वह तो हमारे ह्दय में रहते हैं. मैं उनका हनुमान हूं. इतना ही नहीं वह लगातार कई जगहों पर प्रधानमंत्री की तरफ करते सुने गए हैं.

 

जेडीयू पर वार, बीजेपी का साथ

इस बार बिहार चुनाव में चिराग पासवान अपने बदले हुए तेवर के कारण राजनीतिक चर्चाओ के केंद्र में है. अपनी चुनावी रैलियों के दौरान वो लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 15 सालों के कार्यकाल पर जमकर हमला बोल रहे हैं. कहीं उनसे शिक्षा, स्वस्थ और रोजगार पर सवाल उठा रहे हैं. इसके इतर कह रहे है कि अगर उनकी सरकार आई तो जेडीयू के विधायको को सजा देंगे. इन सबमें सोचने वाली बात यह है कि 15 साल के कार्यकाल में बीजेपी भी जेडीयू के साथ थी लेकिन चिराग पासवान का एक भी सवाल उनसे नहीं है. 10 नवंबर को आने वाले परिणाम में यह देखना है कि चिराग किसका साथ देते हैं.

मोदी के नक्शे कदम पर चिराग

बिहार की चुनावी सभाओं में लगभग हर रैली में ऐसे देखा जा रहा है चिराग का जनता को संबोधित करने का अंदाज़ प्रधानमंत्री मोदी जैसा होता है. चिराग हर रैली में नीतीश कुमार के 15 साल का जिक्र करते हैं जैसे 2014 के लोकसभा के चुनाव में पीएम मोदी कांग्रेस के 70 साल पर सवाल उठाते थे. इसके अलावा पीएम मोदी हर रैली में जनता को भाषण नहीं देते थे बल्कि उनसे संवाद करते थे उनसे साथ देने के लिए कहते थे, चिराग भी लोगों से पूछते हैं उनसे संवाद की मुद्रा में रैली करते है. इतना ही नहीं 2014 में पीएम मोदी अपने आप को माँ भारती का शेर कहकर संबोधित करते थे, यही१ चिराग पासवान बिहार चुनाव में करते हैं वो हर जगह कहते हैं मैं शेर का बच्चा हूं जो जंगल चीर कर निकाल जायेगा.

अब देखना है कलाकार से राजनेता बने चिराग पासवान बिहार चुनाव में कितना कलाम कर पाते हैं.

 

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