माँ कात्यायनी की उपासना से मिल सकता है आपको शादी का वरदान : कैसे करे उनकी पूजा ?
नवरात्रि का छठा दिन होता है माँ कात्यायनी, जाने माँ की पूजा, आरती और मंत्र
आज शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है. आज के दिन माँ कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि माँ कात्यायनी की पूजा करने से शादी में आ रही सारी बाधाएं दूर हो जाती है. और भगवान बृहस्पति खुश हो कर विवाह का योग बनाते हैं. इतना ही नहीं मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि अगर सच्चे मन से माँ की पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माँ कात्यायनी की उपासना से भक्तों को अपने आप आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां मिल जाती हैं. साथ ही वह माँ कात्यायनी के आशीर्वाद से इस लोक में स्थित रह कर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है. इतना ही नहीं, माँ कात्यायनी की उपासना से रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं.
जाने कौन है माँ कात्यायनी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि कात्यायन की तपस्या से खुश हो कर आदिशक्ति ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था. इस लिए उनका नाम माँ कात्यायनी पड़ा. इतना ही नहीं माँ कात्यायनी को ब्रज की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार गोपियों ने श्रीकृष्ण को अपने पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी के तट पर माँ कात्यायनी की ही पूजा की थी. कहा तो ये भी जाता है. माँ कात्यायनी ने अत्याचारी राक्षस महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया था.
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माँ कात्यायनी का ध्यान
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पञ्वाधरां कांतकपोला तुंग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम॥
माँ कात्यायनी की आरती
जय-जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
बृहस्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे
माँ कात्यायनी के रूप
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य होता है. माँ कात्यायनी की चार भुजाएं होती है. माँ कात्यायनी के दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाला वरमुद्रा में होता है. बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित होता है. माँ कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं.
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