केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक के लिए लाएगा कानून
मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हो रहा है हनन
सोमवार को ट्रिपल तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समय की कमी के कारण सिर्फ तीन तलाक पर ही सुनवाई होगी। लेकिन केंद्र चाहती है कि बहुविवाह और निकाह हलाला जैसे मुद्दों को भविष्य में सुनवाई के लिए खुला रखा जाएं।
सभी तरह के तलाक बुरे हैं
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस ललित ने अटॉर्नी जरनल मुकुल रोहतगी से पूछा कि अगर हम तीन तलाक खत्म करते है तो आगे क्या रास्ता है। इस बात का जवाब देते हुए अटॉर्नी जरनल ने कहा कि हम इसको लेकर एक कानून लाएंगे।
सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि सभी प्रकार के तलाक बुरे हैं। इससे मुस्लिम महिलाओं को अधिकारों का हनन हो रहा है।
वहीं दूसरी ओर कोर्ट ने कहा कि वह इस देश में मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकारो का संरक्षक है।
बाकी देशों में मुस्लिम महिलाओं के पास ज्यादा अधिकार है
आज हुई सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि देश में मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार नहीं पा रहा है। जबकि दूसरे देशों में भारत के मुकाबले मुस्लिम महिलाओं के पास अधिकार है। तीन तलाक समाज, देश और दुनिया में मिल रहे अधिकारों से मुस्लिम महिलाओं को वंचित रखता है।
रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि तलाक का धर्म या धार्मिक प्रथा से कोई लेना देना नहीं। देखना तो यह कि किसी के जीवन को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है। कोर्ट पवित्र कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब या गीता की व्याख्या करने के लिए नहीं है।
तीन तलाक असंवैधानिक है
इससे पहले शुक्रवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 सभी नागरिकों को बराबरी का हक देते हैं और इनकी रोशनी में तीन तलाक असंवैधानिक है। जेठमलानी ने दावा किया कि वो बाकी मजहबों की तरह वो इस्लाम के भी छात्र है। उन्होंने हजरत मोहम्मद को ईश्वर के महानतम पैगंबरों में से एक बताया और कहा कि उनका संदेश तारीफ के काबिल है।
आपको बता दें ट्रिपल तलाक को लेकर 11 मई से पांच जजों की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है। जोकि 19 मई तक रोजाना चलने वाली है।