केरल के मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को जाने की अनुमति
केरल के मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को जाने की अनुमति
बढ़ता महिला सशक्तिकरण का नारा देश के हर कोने-कोने में फैलता जा रहा है। मंदिर मस्जिद में महिलाओं की जाने की अनुमति ने ही महिला को मनोबल को ओर भी बढ़ा दिया है। इस साल देश के कई हिस्सों में जहां महिलाओं का जाना वर्जित था ऐसी कई जगहों में महिलाओं का जाने की अनुमति दी गई है। ताजा मामले में केरल के सबरीमाला मंदिर का है।
केरल के लेफ्ट की सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा जताई है कि केरल के सबरीमाला मंदिर ने सभी उम्र की महिलाओं को जाने की अनुमति दी जाए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई फरवरी में करेगा।
महिलाओं की जानें की दी अनुमति
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा था कि विश्व के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को जाने की अनुमति दी जाएं।
इससे पहले अप्रैल में कोर्ट ने कहा था कि मंदिरों में या तो किसी खास वर्ग के लोगों को जानें की अनुमति दी जाएं नहीं तो प्रार्थना के लिए किसी की भावना को खेदित न किया जाएं।
इसके साथ ही कहा कि कानून के आधार पर महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया गया है। अगर कानूनी तौर पर महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया गया है तो मंदिरों में भी बराबरी का अधिकार क्यों नहीं है।
कानूनी तौर पर महिलाओं का बराबरी का अधिकार
जस्टिस दीपक मिश्र द्वारा लीड किए दा रहे बेंच ने कहा है कि किसी खास जगह में महिलाओं की आवाजाही पर रोक सही नहीं है। अगर कानून उन्हें प्रत्येक कार्य के लिए बराबरी का अधिकार दे रहा है तो मंदिरों में उनका अधिकार क्यों छीना जा रहा है।
आपको बता दें केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर स्थिति सबरीमाला मंदिर में सिर्फ बूढ़ी औरतों और छोटी लड़कियों को ही जाने की अनुमित है। सबरीमाला मंदिर मक्का मदीना के बाद दूसरे सबसे बड़ा तीर्थस्थल माना जाता है।