Ethiopias volcano eruption: 10,000 साल बाद इथियोपिया का ज्वालामुखी जागा, भारत में मौसम को लेकर अलर्ट जारी
Ethiopias volcano eruption, इथियोपिया में रविवार सुबह हजारों वर्षों बाद एक निष्क्रिय ज्वालामुखी के अचानक फटने से दुनिया भर में चिंता का माहौल बन गया है। यह ज्वालामुखी लगभग 10,000–12,000 साल से शांत था,
Ethiopias volcano eruption : इथियोपिया ज्वालामुखी एक्टिव, क्या भारत में प्रदूषण और ठंड बढ़ेगी?
Ethiopias volcano eruption, इथियोपिया में रविवार सुबह हजारों वर्षों बाद एक निष्क्रिय ज्वालामुखी के अचानक फटने से दुनिया भर में चिंता का माहौल बन गया है। यह ज्वालामुखी लगभग 10,000–12,000 साल से शांत था, लेकिन रविवार को इसमें अचानक हुए विस्फोट ने वैज्ञानिकों को भी चौंका दिया। इस विस्फोट से निकला राख और धुएँ का विशाल गुबार लगभग 15 किलोमीटर की ऊँचाई तक फैल गया, जिसकी दिशा अब भारत की ओर बढ़ रही है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, यदि हवा की रफ्तार इसी तरह बनी रही, तो यह राख का बादल भारत के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है।
ज्वालामुखी कहाँ फटा और कैसे शुरू हुआ विस्फोट?
यह ज्वालामुखी इथियोपिया के अफार क्षेत्र की एर्टा अले रेंज में स्थित है। यह इलाका ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है, लेकिन जिस ज्वालामुखी में यह हादसा हुआ, वह लगभग दस हजार साल से “डॉर्मेंट” यानी निष्क्रिय था। तूलूज़ वोल्कैनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर (VAAC) के अनुसार, विस्फोट रविवार सुबह 8:30 AM UTC पर शुरू हुआ। कुछ समय बाद विस्फोट की तीव्रता कम हो गई, लेकिन इससे निकला राख का बादल लगातार ऊँचाई पर बढ़ता रहा और बेहद तेज़ हवाओं के साथ आगे बढ़ता गया।
15 किमी ऊँचा राख का गुबार – अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रभावित
ज्वालामुखी विस्फोट के बाद अरब क्षेत्र में कई उड़ानें रद्द और डायवर्ट करनी पड़ीं। राख के बादल का विमानन क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि राख के कण जेट इंजनों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसी वजह से एयरलाइंस ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तुरंत ऐक्शन लिए। VAAC ने कहा है कि भले ही विस्फोट रुक गया है, लेकिन राख का बादल अभी भी भारत की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, जिसके कारण सभी एयरलाइंस और मौसम एजेंसियाँ सतर्क मोड पर हैं।
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भारत में संभावित प्रभाव – मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी
India MetSky Weather के अनुसार, 25 नवंबर की शाम तक राख का यह बादल भारत के पश्चिमी हिस्सों में प्रवेश कर सकता है। पूर्वानुमान के अनुसार, राख का बादल सबसे पहले इन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है:
- गुजरात (पश्चिमी हिस्से)
- राजस्थान
- उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र
- दिल्ली NCR
- हरियाणा
- पंजाब
इसके बाद यह राख का गुबार हवा की दिशा के साथ हिमालयी क्षेत्रों और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों की ओर बढ़ेगा।
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राख कितनी तेज़ी से बढ़ रही है?
मौसम एजेंसियों के मुताबिक, ज्वालामुखी की राख 100–120 किमी/घंटा की रफ्तार से आगे बढ़ रही है। यह राख लगभग:
- 15,000–25,000 फीट
से लेकर - 45,000 फीट
तक की ऊँचाई पर यात्रा कर रही है।
इस राख में शामिल हैं:
- ज्वालामुखीय राख
- सल्फर डाइऑक्साइड
- काँच और चट्टान के छोटे कण
ये सभी तत्व हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं और दृश्यता कम कर सकते हैं।
भारत में क्या-क्या असर संभव है?
- आसमान धुँधला और गहरा दिख सकता है
राख के कण सूर्य की रोशनी को रोकते हैं, जिससे सामान्य से अधिक धुंधले आसमान की संभावना है। - हवाई यातायात प्रभावित हो सकता है
उड़ानों में देरी, मार्ग परिवर्तन, या अस्थायी रोक जैसी स्थिति बन सकती है। - हवा की गुणवत्ता बिगड़ सकती है
खासकर दिल्ली, पंजाब और उत्तर भारत में AQI पर असर संभव है। - हल्की Acidic बारिश की संभावना
सल्फर डाइऑक्साइड और नमी मिलकर हल्की अम्लीयता पैदा कर सकते हैं। - सांस से जुड़ी समस्याएँ बढ़ सकती हैं
संवेदनशील लोगों को खांसी, जलन और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
क्या भारत में कोई बड़ा खतरा है?
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल सीधे तौर पर कोई बड़ा खतरा नहीं, लेकिन हवा की गुणवत्ता और उड़ानों पर प्रभाव जरूर पड़ेगा। भारत के IMD और VAAC लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं ताकि समय रहते एडवाइजरी जारी की जा सके। इथियोपिया में हजारों साल बाद ज्वालामुखी का फटना प्राकृतिक घटनाओं की अनिश्चितता का विशाल उदाहरण है। इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा है, और भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा। राख का बादल अगले 24–48 घंटों में भारत के कई हिस्सों में पहुंच सकता है, जिससे मौसम, हवा की गुणवत्ता और हवाई यातायात प्रभावित हो सकते हैं।
मौसम वैज्ञानिक लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और जरूरत के अनुसार नई चेतावनी जारी की जा सकती है।
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