Goa Liberation Day: गोवा मुक्ति दिवस, 450 साल की गुलामी से आज़ादी की कहानी
Goa Liberation Day, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम केवल 15 अगस्त 1947 को ही समाप्त नहीं हुआ था। जब पूरा देश अंग्रेजों की औपनिवेशिक सत्ता से आज़ाद हुआ, तब भी भारत के कुछ हिस्से विदेशी शासन के अधीन थे।
Goa Liberation Day : गोवा मुक्ति दिवस, ऑपरेशन विजय का गौरवशाली इतिहास
Goa Liberation Day, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम केवल 15 अगस्त 1947 को ही समाप्त नहीं हुआ था। जब पूरा देश अंग्रेजों की औपनिवेशिक सत्ता से आज़ाद हुआ, तब भी भारत के कुछ हिस्से विदेशी शासन के अधीन थे। उन्हीं में से एक था—गोवा, जो पुर्तगालियों के कब्जे में 450 से अधिक वर्षों तक रहा। भारत ने गोवा को आज़ादी दिलाने के लिए कई शांतिपूर्ण प्रयास किए, लेकिन अंततः 1961 में ऑपरेशन विजय के माध्यम से गोवा को आज़ाद कराया गया। 19 दिसंबर को उसी ऐतिहासिक क्षण की स्मृति में गोवा मुक्ति दिवस मनाया जाता है।
गोवा पर पुर्तगालियों का शासन: एक लंबा औपनिवेशिक अध्याय
गोवा में पुर्तगाली शासन की शुरुआत 1510 में हुई, जब वास्को-दा-गामा के बाद अफोंसो द अल्बुकर्क ने गोवा पर कब्ज़ा कर लिया। अगले चार से पाँच शताब्दियों तक पुर्तगालियों का शासन वहाँ बना रहा।
इस दौरान गोवा में सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक बदलाव भी आए।
- पुर्तगालियों ने गोवा में ईसाई धर्म का प्रसार किया।
- यूरोपीय स्थापत्य कला, चर्च, और प्रशासनिक ढाँचे की झलक आज भी गोवा में दिखाई देती है।
- लेकिन स्थानीय जनता को कई प्रकार की पाबंदियों, धार्मिक प्रतिबंधों और राजनीतिक नियंत्रण का सामना भी करना पड़ा।
भारत 1947 में स्वतंत्र हो गया, लेकिन पुर्तगालियों ने गोवा को छोड़ने से इनकार कर दिया। इससे गोवा की स्वतंत्रता की लड़ाई और तेज हो गई।
गोवा मुक्ति की शुरुआत: संघर्ष और जनआंदोलन
1946 में गोवा के स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा मिली, जब प्रसिद्ध नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया ने गोवा में ‘सिविल डिसओबीडियंस मूवमेंट’ शुरू किया।
उनकी गिरफ्तारी के बावजूद गोवा के लोगों ने स्वतंत्रता की मांग को और मज़बूत किया।
- स्थानीय युवा संगठनों ने रैलियां कीं
- आज़ादी के नारे बुलंद हुए
- सीमावर्ती इलाकों में भारत के लोग भी समर्थन के लिए आगे आए
भारत सरकार ने पहले कूटनीतिक प्रयासों से पुर्तगाल को समझाने की कोशिश की, लेकिन पुर्तगाल ने किसी भी तरह की बातचीत से साफ़ इंकार कर दिया और गोवा को ‘पुर्तगाली राज्य’ घोषित कर दिया।
ऑपरेशन विजय: गोवा मुक्त होने का ऐतिहासिक क्षण
जब सभी शांतिपूर्ण प्रयास विफल हो गए, तब भारत ने दिसंबर 1961 में सैन्य अभियान चलाने का निर्णय लिया। इस अभियान का नाम था—ऑपरेशन विजय।
18 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त कार्रवाई शुरू की।
महज 36 घंटे में पुर्तगाली सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया, और 19 दिसंबर 1961 को गोवा पूरी तरह से भारत का हिस्सा बन गया।
इस विजय के साथ भारत ने गोवा, दमन और दीव को मुक्त कराया, और गोवा की जनता ने 450 साल पुराने विदेशी शासन से मुक्ति पाई।
गोवा मुक्ति दिवस का महत्व
गोवा मुक्ति दिवस केवल एक राज्य स्तरीय उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, साहस और राष्ट्रवाद का प्रतीक है। यह दिवस हमें कई महत्वपूर्ण संदेश देता है—
- स्वतंत्रता कभी भी आसानी से नहीं मिलती, इसके लिए संघर्ष और बलिदान जरूरी है।
- भारत की एकता और अखंडता सर्वोपरि है।
- कूटनीति और सैन्य शक्ति—दोनों ही एक मजबूत राष्ट्र की नींव होते हैं।
इस दिन भारत सरकार और गोवा सरकार वीर सैनिकों, स्वतंत्रता सेनानियों और स्थानीय जनता के संघर्ष को याद करती है।
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गोवा में गोवा मुक्ति दिवस कैसे मनाया जाता है?
गोवा में गोवा मुक्ति दिवस बड़े उत्साह, गर्व और सम्मान के साथ मनाया जाता है।
इस अवसर पर
- राज्य स्तरीय परेड आयोजित की जाती है
- स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान दिया जाता है
- विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनी लगाई जाती हैं
- स्कूलों और कॉलेजों में निबंध, भाषण और रैली का आयोजन होता है
- तिरंगा यात्रा और राष्ट्रगान से वातावरण देशभक्ति से भर जाता है
इसके अलावा, पुरानी गोवा में चर्चों और ऐतिहासिक स्थलों पर भी विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जहां लोग गोवा के इतिहास को याद करते हैं।
गोवा का आज का स्वरूप: परंपरा और आधुनिकता का संगम
आज गोवा भारत का एक प्रगतिशील, सुंदर और पर्यटन-प्रधान राज्य है।
- खूबसूरत बीच
- ऐतिहासिक चर्च
- ट्रेडिशनल गोअन संस्कृति
- जीवंत नाइटलाइफ़
- बेहतरीन व्यंजन
गोवा में भारतीय और पुर्तगाली संस्कृति का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। 1987 में गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और अब यह भारत के सबसे विकसित राज्यों में से एक है। गोवा मुक्ति दिवस भारत की आज़ादी की उस कहानी का अध्याय है, जिसे अक्सर मुख्य इतिहास से अलग कर दिया जाता है, लेकिन यह उतना ही महत्वपूर्ण है। गोवा के लोगों के संघर्ष, भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और सैन्य बलों की वीरता ने मिलकर गोवा को अनंतकाल के लिए आज़ादी दिलाई।
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