Menopause: मेनोपॉज के दौरान सिरदर्द क्यों बढ़ता है? जानें माइग्रेन से बचाव के तरीके
Menopause, मेनोपॉज (Menopause) महिलाओं के जीवन का वह प्राकृतिक चरण है जब उनके पीरियड्स स्थायी रूप से बंद हो जाते हैं। आमतौर पर यह 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच होता है।
Menopause : मेनोपॉज में बढ़ते माइग्रेन से परेशान हैं? जानें आयुर्वेदिक और नेचुरल उपाय
Menopause, मेनोपॉज (Menopause) महिलाओं के जीवन का वह प्राकृतिक चरण है जब उनके पीरियड्स स्थायी रूप से बंद हो जाते हैं। आमतौर पर यह 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच होता है। इस दौरान शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं खासकर एस्ट्रोजेन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) के स्तर में उतार-चढ़ाव। ये बदलाव सिर्फ प्रजनन तंत्र को नहीं, बल्कि दिमाग, मूड और सिरदर्द जैसी स्थितियों को भी प्रभावित करते हैं। यही कारण है कि कई महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान या उसके बाद माइग्रेन (Migraine) की समस्या बढ़ जाती है।
क्या है माइग्रेन?
माइग्रेन सामान्य सिरदर्द से अलग होता है। यह एक न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका संबंधी) समस्या है, जिसमें सिर के एक हिस्से में तेज़ धड़कन जैसा दर्द होता है। इसके साथ अक्सर ये लक्षण दिखाई देते हैं:
- मिचली या उल्टी
- रोशनी और आवाज़ से परेशानी
- आंखों के आसपास दर्द
- थकान और चिड़चिड़ापन
माइग्रेन कई बार हार्मोनल बदलावों से ट्रिगर होता है, यही वजह है कि यह महिलाओं में ज़्यादा आम है।
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मेनोपॉज के दौरान माइग्रेन क्यों बढ़ता है?
मेनोपॉज में माइग्रेन बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है हार्मोनल असंतुलन। मेनोपॉज के समय शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर अचानक घटता है, जो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह और न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन) को प्रभावित करता है।
यह बदलाव माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है।
कुछ मुख्य कारण हैं —
- एस्ट्रोजेन लेवल का गिरना:
एस्ट्रोजेन दिमाग के दर्द नियंत्रण से जुड़ा होता है। इसके घटने पर सिरदर्द की आवृत्ति बढ़ जाती है। - नींद की समस्या (Insomnia):
मेनोपॉज में नींद कम या बाधित होने से माइग्रेन के अटैक बढ़ सकते हैं। - तनाव और चिंता:
हार्मोनल उतार-चढ़ाव मूड स्विंग और एंग्जायटी पैदा करता है, जिससे सिरदर्द ट्रिगर होता है। - गर्माहट और हॉट फ्लैशेस:
शरीर के तापमान में अचानक बढ़ोतरी और पसीना भी माइग्रेन की एक बड़ी वजह बन सकता है।
क्या हर महिला को मेनोपॉज में माइग्रेन होता है?
नहीं, हर महिला को यह समस्या नहीं होती। कुछ महिलाओं में माइग्रेन पहले से होता है और मेनोपॉज के दौरान बढ़ जाता है, जबकि कुछ में उम्र के साथ यह धीरे-धीरे कम भी हो जाता है। दरअसल, मेनोपॉज का असर हर महिला के शरीर पर अलग-अलग होता है —
- प्री-मेनोपॉज (Perimenopause) में हार्मोनल बदलाव ज्यादा होते हैं, इसलिए इस दौर में माइग्रेन अटैक बढ़ सकते हैं।
- जबकि पोस्ट-मेनोपॉज (Postmenopause) में जब हार्मोन स्थिर हो जाते हैं, तब माइग्रेन की आवृत्ति कम हो जाती है।
मेनोपॉज में माइग्रेन से बचाव के तरीके
अगर मेनोपॉज के दौरान माइग्रेन बढ़ रहा है, तो कुछ सावधानियों और लाइफस्टाइल बदलावों से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है:
1. हार्मोनल बैलेंस बनाए रखें
- डॉक्टर की सलाह पर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) या नेचुरल सप्लीमेंट्स लें।
- सोया, अलसी के बीज, तिल, और साबुत अनाज जैसे फूड हार्मोन संतुलन में मदद करते हैं।
2. तनाव को नियंत्रित करें
- योग, ध्यान (Meditation), और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
- पर्याप्त नींद लें और ज्यादा स्क्रीन टाइम से बचें।
3. डाइट पर ध्यान दें
- कैफीन, चॉकलेट, अल्कोहल और जंक फूड माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।
- हरी सब्जियां, फल, ओमेगा-3 फैटी एसिड और पानी की पर्याप्त मात्रा लें।
4. नियमित व्यायाम करें
- हल्की वॉक, स्ट्रेचिंग और योगासन न सिर्फ माइग्रेन बल्कि मेनोपॉज के अन्य लक्षणों में भी राहत देते हैं।
5. डॉक्टर से सलाह लें
- अगर सिरदर्द बार-बार या बहुत तेज़ हो, तो न्यूरोलॉजिस्ट या गायनोकॉलजिस्ट से परामर्श लें।
- कभी-कभी डॉक्टर माइग्रेन प्रिवेंटिव मेडिसिन्स या हॉर्मोन थेरेपी की सलाह दे सकते हैं।
नींद और हाइड्रेशन का खास ध्यान
मेनोपॉज के दौरान नींद की कमी माइग्रेन को और बढ़ा देती है। हर दिन 7–8 घंटे की अच्छी नींद लें, सोने से पहले कैफीन या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग न करें। इसके अलावा, शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है क्योंकि डिहाइड्रेशन माइग्रेन का प्रमुख ट्रिगर है।
होम रेमेडीज़ जो दे सकती हैं राहत
- ठंडा या गर्म सेक (Cold/Hot Compress): सिर या गर्दन पर लगाने से दर्द कम होता है।
- पुदीना या लैवेंडर ऑयल: अरोमा थेरेपी से तनाव और सिरदर्द में राहत मिलती है।
- अदरक की चाय: माइग्रेन के दौरान मतली और दर्द दोनों में फायदेमंद होती है।
- गहरी सांस लेना: तनाव को कम करके माइग्रेन की तीव्रता घटाता है।
मेनोपॉज एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन इससे जुड़ी तकलीफों को नियंत्रित किया जा सकता है। माइग्रेन को लेकर सबसे जरूरी है शरीर के संकेतों को समझना, समय पर डॉक्टर की सलाह लेना और स्वस्थ दिनचर्या अपनाना। मेनोपॉज के दौरान अगर महिलाएं संतुलित आहार, योग, पर्याप्त नींद और सकारात्मक सोच अपनाएं, तो माइग्रेन जैसी परेशानी को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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