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MiG-21 farewell ceremony: भारतीय वायुसेना ने दी मिग-21 को सलामी, आखिरी उड़ान के साथ विदाई

MiG-21 farewell ceremony, भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के लिए 27 सितंबर 2025 का दिन बेहद ऐतिहासिक और भावुक रहा।

MiG-21 farewell ceremony : इतिहास बना मिग-21 का फेयरवेल, चंडीगढ़ से गूंजी आखिरी गर्जना

MiG-21 farewell ceremony, भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के लिए 27 सितंबर 2025 का दिन बेहद ऐतिहासिक और भावुक रहा। देश के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले लड़ाकू विमान MiG-21 ने अपनी आखिरी उड़ान भरी। चंडीगढ़ एयर बेस से कुल 6 मिग-21 ने आसमान में उड़े और इस विदाई समारोह को यादगार बना दिया।

एयर चीफ मार्शल ने खुद उड़ाया मिग

इस अवसर की खास बात यह रही कि भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी (या एपी सिंह) खुद एक मिग-21 उड़ा रहे थे। यह पल इस विमान के महत्व को और भी खास बना गया। जब विमान आसमान से उतरकर रनवे पर लौटे, तो उनका भव्य वॉटर कैनन सेल्यूट से स्वागत किया गया। यह दृश्य देखकर हर कोई भावुक हो उठा।

आखिरी बार गूंजी मिग की आवाज

मिग-21 जब टारमैक पर उतरे तो उनके शक्तिशाली इंजनों की आवाज से पूरा एयरबेस गूंज उठा। इसके बाद पायलटों ने इंजन बंद कर दिए और मिग-21 हमेशा के लिए शांत हो गए। यह क्षण केवल एक विमान की विदाई नहीं थी, बल्कि भारतीय वायुसेना के गौरवशाली अध्याय का समापन भी था।

रक्षा मंत्री की श्रद्धांजलि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस अवसर पर मिग-21 को सलाम किया। उन्होंने कहा कि अक्सर कहा जाता है कि भारतीय वायुसेना 60 साल पुराने विमान उड़ा रही थी, लेकिन सच्चाई यह है कि जिन मिग-21 विमानों ने अब तक सेवा दी, वे अधिकतम 40 साल पुराने थे। रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह उम्र किसी भी आधुनिक फाइटर जेट के मानकों के अनुसार सामान्य है।

उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन

राजनाथ सिंह ने मिग-21 की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस विमान ने न केवल अपने खरीददार (भारत) बल्कि अपने विक्रेता (रूस) की अपेक्षाओं से भी कहीं बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि मिग-21 का योगदान केवल वायुसेना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत और रूस की गहरी दोस्ती का भी प्रतीक है।

स्वर्णिम अध्याय का अंत

रक्षा मंत्री ने कहा, “हम एक ऐसे अध्याय को विदा कर रहे हैं जो भारतीय वायुसेना ही नहीं बल्कि भारतीय सैन्य विमानन (Military Aviation) के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा।” उन्होंने इसे सिर्फ एक एयरक्राफ्ट नहीं, बल्कि भारत की रक्षा क्षमता और रणनीति का अहम स्तंभ बताया।

हर युद्ध में निभाई अहम भूमिका

मिग-21 का योगदान केवल एक युद्ध या एक मिशन तक सीमित नहीं रहा। 1971 के भारत-पाक युद्ध से लेकर कारगिल संघर्ष तक, इस विमान ने हमेशा भारत की जीत में योगदान दिया। इतना ही नहीं, हाल के बालाकोट एयरस्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में भी मिग-21 ने अपनी ताकत दिखाई।

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रणनीति और आत्मविश्वास की पहचान

मिग-21 केवल एक हथियार नहीं था, बल्कि यह भारतीय वायुसेना के कॉन्फिडेंस और स्ट्रैटजी का अहम हिस्सा रहा। इसने न सिर्फ भारतीय पायलटों को आत्मविश्वास दिया, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर अपनी सैन्य क्षमता प्रदर्शित करने में मदद की।

भारतीय वायुसेना की शान

करीब 60 साल की सेवा के दौरान मिग-21 ने हर परिस्थिति में वायुसेना को मजबूती प्रदान की। यह विमान भारतीय स्काईलाइन पर शक्ति और साहस का प्रतीक बन गया। इसके जरिए भारत ने तकनीकी चुनौतियों को पार किया और अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत किया।

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मिग-21 की विदाई, पर यादें हमेशा कायम

मिग-21 भले ही अब भारतीय वायुसेना का हिस्सा नहीं रहेगा, लेकिन इसकी गूंज आने वाली पीढ़ियों तक सुनाई देती रहेगी। जिस तरह पायलटों ने अपनी आखिरी उड़ान के बाद इसे विदा किया, वह हमेशा इतिहास का हिस्सा रहेगा। मिग-21 ने भारतीय आसमान में जो गौरवशाली अध्याय लिखा है, वह आने वाले वक्त में भी वायुसेना के जवानों और देशवासियों को प्रेरणा देता रहेगा।

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