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Maharaja Agrasen Jayanti: महाराजा अग्रसेन जयंती 2025, जानिए कब है तिथि और क्यों मनाई जाती है?

Maharaja Agrasen Jayanti, भारत की भूमि महान संतों, ऋषियों और राजाओं की गाथाओं से भरी पड़ी है।

Maharaja Agrasen Jayanti : अग्रवाल समाज के जनक महाराजा अग्रसेन की जयंती का महत्व

Maharaja Agrasen Jayanti, भारत की भूमि महान संतों, ऋषियों और राजाओं की गाथाओं से भरी पड़ी है। इन्हीं महान व्यक्तित्वों में से एक हैं महाराजा अग्रसेन, जिन्होंने केवल एक आदर्श शासन ही नहीं चलाया बल्कि समाज में समानता, भाईचारे और सेवा का संदेश भी दिया। उनकी जयंती प्रतिवर्ष आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि को धूमधाम से मनाई जाती है।

महाराजा अग्रसेन का परिचय

महाराजा अग्रसेन का जन्म लगभग 5,000 वर्ष पूर्व हुआ माना जाता है। वे इक्ष्वाकु वंश के राजा और सूर्यवंशी क्षत्रिय थे। उनका नाम ‘अग्रसेन’ इसलिए पड़ा क्योंकि वे “अग्रवाल समाज” के प्रवर्तक थे। उन्होंने अपने जीवन में अहिंसा, दान और न्याय को सर्वोपरि रखा।

समाज सुधारक राजा

अग्रसेन जी ने समाज में फैली ऊँच-नीच और असमानता को खत्म करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने एक नए प्रकार के समाज की स्थापना की जिसे हम आज “अग्रवाल समाज” के रूप में जानते हैं। इस समाज की मूल भावना थी—

-किसी का शोषण न करना

-सबको समान अवसर देना

-जरूरतमंदों की मदद करना

“एक ईंट और एक रुपया” की परंपरा

महाराजा अग्रसेन ने समाज में भाईचारे को मजबूत करने के लिए एक अनोखी परंपरा शुरू की। जब भी कोई नया परिवार समाज में बसता था तो प्रत्येक परिवार उसे एक ईंट और एक रुपया देता था। ईंट से वह परिवार घर बनाता और रुपयों से व्यापार शुरू करता। यह परंपरा आज भी प्रेरणादायक मानी जाती है।

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अहिंसा और शांति के उपासक

महाराजा अग्रसेन को युद्ध नहीं, बल्कि शांति प्रिय थी। उन्होंने अपने राज्य में पशु बलि पर रोक लगा दी और व्यापार तथा कृषि को बढ़ावा दिया। वे मानते थे कि समृद्धि का मार्ग संघर्ष नहीं, बल्कि सहयोग और मेहनत से निकलता है।

अग्रवाल समाज की स्थापना

महाराजा अग्रसेन ने समाज को संगठित करने के लिए 18 गोत्रों की स्थापना की। प्रत्येक गोत्र का अपना महत्व है और यही गोत्र आज के अग्रवाल समाज की नींव हैं। इस समाज ने देश के व्यापार, शिक्षा और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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आज के संदर्भ में महत्व

आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में जहां लोग स्वार्थ और प्रतिस्पर्धा में उलझे हुए हैं, महाराजा अग्रसेन की शिक्षाएं और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो जाती हैं। यदि उनके आदर्शों को अपनाया जाए तो समाज में असमानता और तनाव काफी हद तक कम हो सकता है।

महाराजा अग्रसेन जयंती का आयोजन

इस दिन अग्रवाल समाज और अन्य अनुयायी विशेष पूजा, भजन, कीर्तन और शोभायात्राओं का आयोजन करते हैं। कई जगहों पर रक्तदान शिविर, भंडारे और सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। विद्यालयों और कॉलेजों में विशेष व्याख्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से उनके जीवन और शिक्षाओं को याद किया जाता है। महाराजा अग्रसेन केवल एक राजा ही नहीं बल्कि समाज सुधारक, दानवीर और न्यायप्रिय शासक थे। उनकी जयंती हमें यह याद दिलाती है कि इंसानियत, समानता और भाईचारा ही जीवन की असली संपत्ति है। यदि हम उनके आदर्शों पर चलें तो समाज को और बेहतर, समृद्ध और शांतिपूर्ण बना सकते हैं।

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