Famous Ghats of Kashi: मां गंगा के पावन किनारों की अद्भुत यात्रा अब तस्वीरों में देख सकते हैं-काशी के सभी प्रमुख घाट और उनकी कहानियां
वाराणसी, मां गंगा के तट पर बसा यह शहर, अपने घाटों की अद्भुत श्रृंखला के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां गंगा का हर घाट अपनी अलग महिमा, कथा और धार्मिक महत्व समेटे हुए है।
Famous Ghats of Kashi: वाराणसी के पावन घाटों की सैर
Famous Ghats of Kashi: वाराणसी-मां गंगा के तट पर बसा ये शहर अपने घाटों की अद्भुत श्रृंखला के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां गंगा का हर घाट अपनी अलग महिमा, कथा और धार्मिक महत्व समेटे हुए है। अगर आप इस समय काशी नहीं जा पा रहे हैं, तो निराश मत होइए। इन तस्वीरों और कहानियों के जरिए आप घर बैठे ही घाटों की उस अद्भुत यात्रा का अनुभव ले सकते हैं।
दशाश्वमेध घाट
वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध और व्यस्त घाट है दशाश्वमेध घाट। यह घाट सिर्फ़ गंगा स्नान का स्थान नहीं, बल्कि एक ऐसा तीर्थ है जहाँ आस्था, अध्यात्म और अद्भुत नज़ारे सब एक साथ देखने को मिलते हैं। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहाँ दस अश्वमेध यज्ञ किए थे, इसी कारण इसका नाम पड़ा दशाश्वमेध घाट। हर शाम यहाँ होने वाली गंगा आरती पूरे वातावरण को दिव्य बना देती है। बड़े-बड़े दीप, मंत्रोच्चार, घंटियों की आवाज़ और गंगा की लहरों पर पड़ती दीपक की रोशनी-यह नज़ारा देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।
अस्सी घाट
वाराणसी का दूसरा सबसे प्रसिद्ध और हमेशा जीवंत रहने वाला घाट है अस्सी घाट। यह वह जगह है, जहाँ परंपरा और आधुनिकता दोनों का संगम देखने को मिलता है। मान्यता है कि देवी दुर्गा ने शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध करने के बाद अपनी तलवार यहीं धरती में गाड़ दी थी। इसी कारण इस जगह का नाम पड़ा अस्सी। यह घाट गंगा और अस्सी नदी के संगम पर स्थित है, जो इसे और भी पवित्र बनाता है।
मणिकर्णिका घाट
वाराणसी के सभी घाटों में सबसे पवित्र और रहस्यमयी घाट माना जाता है मणिकर्णिका घाट। इसे काशी का मोक्षदायी स्थल कहा जाता है, क्योंकि यहाँ मृत्यु को अंत नहीं बल्कि मुक्ति का मार्ग माना जाता है। मान्यता है कि जब किसी की मृत्यु होती है तो भगवान शिव स्वयं मृतक के कान में “राम नाम” का उपदेश देते हैं। इसी कारण यहाँ अंतिम संस्कार को मोक्ष प्राप्ति का साधन माना जाता है। और यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती का मणिकर्ण (कान का आभूषण) इसी घाट पर गिरा था, जिससे इसका नाम पड़ा मणिकर्णिका। यह घाट सदियों से अंत्येष्टि संस्कार के लिए प्रसिद्ध है। चिताओं की लपटें यहाँ कभी बुझती नहीं-इसीलिए इसे “अमर श्मशान” भी कहा जाता है। मान्यता है कि मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार होने से आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाती है। मणिकर्णिका घाट सिर्फ़ एक श्मशान घाट नहीं, बल्कि वह स्थान है जहाँ जीवन और मृत्यु का अद्भुत रहस्य छुपा है।
हरिश्चंद्र घाट
काशी का दूसरा प्रमुख श्मशान घाट है हरिश्चंद्र घाट। यह घाट भी मणिकर्णिका की तरह अंतिम संस्कार के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ का वातावरण जीवन और मृत्यु की गहरी सच्चाई को सामने लाता है। मान्यता है कि सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र ने यहाँ पर डोम राजा के अधीन काम किया था। सत्य और धर्म के पालन के लिए राजा ने अपना सब कुछ त्याग दिया था और इसी घाट पर श्मशान कर्म किए। तभी से इस घाट का नाम पड़ा हरिश्चंद्र घाट। यहाँ अंतिम संस्कार करने से मृतक आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है। जलती चिताओं की अग्नि यहाँ कभी ठंडी नहीं होती, जो इसे काशी के पवित्रतम स्थलों में से एक बनाती है।
पंचगंगा घाट
पंचगंगा घाट वाराणसी के सबसे पवित्र घाटों में से एक है। इसका नाम पाँच नदियों – गंगा, यमुना, सरस्वती, किरणा और धूतपापा – के संगम से पड़ा। कहा जाता है कि यहाँ स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि यह घाट हजारों सालों से संतों और साधकों की तपस्या का केंद्र रहा है। माना जाता है कि संत कवि गोस्वामी तुलसीदास सहित अनेक महात्माओं ने यहाँ साधना की थी। भक्तों का विश्वास है कि इस घाट का जल आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। पंचगंगा घाट सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और श्रद्धा का अद्भुत संगम है।
तुलसी घाट
तुलसी घाट, वाराणसी के प्रमुख और पवित्र घाटों में से एक है। इसे मुख्य रूप से तुलसीदास जी से जोड़ा जाता है, जिन्होंने रामचरितमानस की रचना यहाँ की थी। यह घाट धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां का वातावरण बेहद शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा होता है। यह घाट गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ सुबह-सुबह आरती और स्नान का विशेष महत्व है। तुलसीदास जी का मंदिर या स्मारक पास ही स्थित है, और श्रद्धालु उनकी पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। फ़ोटोग्राफी और घूमने के लिए भी यह घाट बहुत लोकप्रिय है।
दरभंगा घाट
दरभंगा घाट, वाराणसी के उन घाटों में से एक है जो थोड़े कम लोकप्रिय होने के बावजूद अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक महिमा के लिए प्रसिद्ध हैं। इसका नाम दरभंगा राजघराने से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इसे बनवाया और यहाँ कई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए। काशी के ये घाट सिर्फ़ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और अध्यात्म का संगम हैं। कहा भी गया है- “काशी के घाट, गंगा के साथ-साथ अनगिनत कहानियाँ बहाते हैं।”
We’re now on WhatsApp. Click to join.
अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com






