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Saphala Ekadashi : सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्पित करें इन 3 भोगों से मिलेगा विशेष आशीर्वाद

Saphala Ekadashi, सफला एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की आराधना और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए समर्पित है। सफला एकादशी का महत्व केवल व्रत और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिन आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रदान करता है।

Saphala Ekadashi : सफला एकादशी पर भगवान विष्णु की प्रिय चीजें अर्पित करें, जानें भोग अर्पण विधि

Saphala Ekadashi, सफला एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की आराधना और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए समर्पित है। सफला एकादशी का महत्व केवल व्रत और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिन आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रदान करता है। साल 2024 में सफला एकादशी का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाने के लिए भक्त भगवान विष्णु को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करते हैं। आइए जानते हैं इस दिन के महत्व, पूजा विधि और भगवान विष्णु को अर्पित करने वाले भोग के बारे में विस्तार से।

सफला एकादशी 2024 का शुभ मुहूर्त

सफला एकादशी हर साल पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। 2024 में यह व्रत 8 जनवरी को मनाया जाएगा। एकादशी तिथि का आरंभ 7 जनवरी 2024 की रात 9:32 बजे से होगा और इसका समापन 8 जनवरी 2024 की रात 11:14 बजे पर होगा। व्रत का पारण अगले दिन यानी 9 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त में किया जाएगा।

सफला एकादशी का महत्व

सफला एकादशी का शाब्दिक अर्थ है “सफलता देने वाली एकादशी।” यह व्रत जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति लाने वाला माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। सफला एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है।

सफला एकादशी की पूजा विधि

1. स्नान और संकल्प:
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

2. भगवान विष्णु की पूजा:
भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और उनकी आरती करें।

3. विष्णु सहस्रनाम का पाठ:
इस दिन विष्णु सहस्रनाम या भगवद गीता का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

4. भोग अर्पण करें:
भगवान विष्णु को उनके प्रिय भोग अर्पित करें और उन्हें तुलसी के पत्ते जरूर चढ़ाएं।

5. रात्रि जागरण:
रात में भजन-कीर्तन का आयोजन करें और भगवान विष्णु की स्तुति करें।

6. पारण:
व्रत का पारण अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में करें।

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भगवान विष्णु को लगाएं ये 3 भोग

सफला एकादशी पर भगवान विष्णु को भोग लगाना बेहद महत्वपूर्ण है। उनके प्रिय भोग अर्पित करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। भगवान विष्णु को तीन विशेष प्रकार के भोग लगाएं:

1. पंचामृत

पंचामृत पांच तत्वों – दूध, दही, घी, शहद और चीनी से मिलकर बनता है। इसे भगवान विष्णु का सबसे प्रिय भोग माना जाता है। पूजा के दौरान पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें और फिर उन्हें इसे भोग स्वरूप अर्पित करें।

2. तुलसी के पत्तों से सजी खीर

भगवान विष्णु को खीर अत्यंत प्रिय है। सफला एकादशी पर शुद्धता के साथ खीर तैयार करें और उसमें तुलसी के पत्ते डालकर अर्पित करें। तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।

3. मिश्री और मक्खन

मिश्री और मक्खन का भोग भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है। इसे सफला एकादशी पर विशेष रूप से तैयार करें और भगवान को अर्पित करें।

भगवान विष्णु की प्रिय चीजें अर्पित करें

भगवान विष्णु की पूजा में उनकी प्रिय वस्तुएं चढ़ाने से व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसी वस्तुएं जिन्हें सफला एकादशी पर भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए:

1. तुलसी:
तुलसी भगवान विष्णु की सबसे प्रिय चीज है। पूजा में तुलसी के पत्ते अर्पित करना अनिवार्य है।

2. पीला वस्त्र:
भगवान विष्णु को पीला रंग बेहद प्रिय है। उन्हें पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें।

3. शुद्ध जल और गंगा जल:
भगवान विष्णु को शुद्ध जल और गंगा जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

4. पीले फूल:
पूजा में भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, जैसे गेंदे का फूल, अर्पित करें।

5. फल:
सफला एकादशी पर भगवान को मौसमी फल अर्पित करें।

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सफला एकादशी की पौराणिक कथा

सफला एकादशी की कथा राजा महिष्मत और उसके पुत्र लुंभक से जुड़ी है। लुंभक एक दुष्ट प्रवृत्ति का व्यक्ति था, जो चोरी और अन्य गलत काम करता था। उसके कृत्यों से नाराज होकर राजा ने उसे राज्य से निष्कासित कर दिया। एक बार पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर लुंभक ने उपवास किया और भगवान विष्णु का ध्यान किया। इससे उसके सारे पाप नष्ट हो गए, और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस कथा से पता चलता है कि सफला एकादशी का व्रत पापों को नष्ट कर जीवन को सफल बनाता है।

सफला एकादशी का व्रत जीवन में क्यों है महत्वपूर्ण?

1. सफलता और समृद्धि का प्रतीक:
सफला एकादशी का व्रत जीवन में सफलता और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।

2. पापों का नाश:
यह व्रत व्यक्ति के सारे पापों को नष्ट कर उसे शुद्ध और पवित्र बनाता है।

3. मोक्ष की प्राप्ति:
सफला एकादशी का व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रदान करता है।

4. धन-धान्य की वृद्धि:
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती।

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