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Gandhari Curse To Lord Krishna: …जब गांधारी के श्राप ने उजाड़ दिया था पूरा यदुवंश, इस कारण हुई थी श्री कृष्ण की मृत्यु

Gandhari Curse To Lord Krishna: महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने शस्त्र नहीं उठाए थे लेकिन फिर भी युद्ध में उनकी अहम भूमिका रही। युद्ध में वह अर्जुन के सारथी बनकर उसका मार्गदर्शन करते रहे। लेकिन इस भीषण युद्ध के कारण उन्हें श्राप का सामना भी करना पड़ा। इसी कारण उन्होंने अपना मानव शरीर त्यागना पड़ा। चलिए जानते हैं कि वह श्राप क्या था।

Gandhari Curse To Lord Krishna: श्रीकृष्ण ने स्वीकार किया था गांधारी का श्राप, महाभारत युद्ध में कौरवों की हो गई थी मौत

सनातन मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण को प्रभु श्री हरि का 8वां अवतार माना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में कई लीलाएं की हैं। क्या आप जानते हैं कि महाभारत के दौरान भगवान कृष्ण को भी एक श्राप मिला था, जो न केवल उनकी मृत्यु का कारण बना, बल्कि यदुवंश के नाश का कारण भी बना। धर्म और अधर्म के बीच हुए महाभारत के युद्ध में जहां एक तरह कौरव सेना थी, तो वहीं दूसरी तरफ पांडवों की सेना थी। 18 दिनों तक चले इस भीषण युद्ध में पांडवों की जीत हुई और कौरवों को हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध का परिणाम यह हुआ कि इसमें गांधारी और धृतराष्ट्र के सभी 100 पुत्रों की मृत्यु हो गई। इस भीषण युद्ध के लिए गांधारी ने श्री कृष्ण को दोषी ठहराया। क्योंकि वह जानती थी कि श्री कृष्ण चाहते तो इस युद्ध को रोक सकते थे। गांधारी ने श्री कृष्ण को श्राप दिया था कि जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है, ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा और तुम भी अधिक समय तक इस धरती पर जीवित नहीं रह सकोगे। आइए, जानते हैं महाभारत की यह कहानी।

गांधारी के सभी 100 पुत्रों की हो गई थी मौत Gandhari Curse To Lord Krishna

महाभारत युद्ध के बाद महर्षि व्यास के शिष्य संजय ने जब गांधारी को इस बात की जानकारी दी कि अपने साथियों और द्रौपदी के साथ पांडव हस्तिनापुर में आ चुके हैं, तो उनका दुखी मन गम के सागर में गोते लगाने लगा। सारी पीड़ा एकदम से बाहर आ गई। दरअसल, महाभारत की लड़ाई में कौरवों की हार हुई थी और गांधारी के सभी 100 पुत्रों की मौत हो गई थी। महाभारत का युद्ध समाप्‍त होने पर गांधारी क्रोध में आ गईं। इस बीच श्रीकृष्‍ण वहां शोक जताने पहुंच गए। आपको बता दें कि श्रीकृष्ण गांधारी का बेहद सम्मान करते थे।

श्रीकृष्ण को गांधारी ने दिया श्राप Gandhari Curse To Lord Krishna

बेटों के शवों पर विलाप कर रहीं गांधारी को भगवान श्रीकृष्ण के आने का पता चल गया। उसके बाद उन्‍होंने अपने पुत्रों की मौत का जिम्मेदार श्रीकृष्ण को ठहराया। गांधारी ने कहा कि अगर उनके बेटों के खिलाफ षड्यंत्र न किया जाता तो उनकी मौत न होती और षड्यंत्र का जिम्‍मेदार और कोई नहीं, केवल श्री कृष्‍ण हैं। गांधारी ने यह भी कहा कि श्रीकृष्ण चाहते तो युद्ध होता ही नहीं लेकिन उन्‍होंने ऐसा होने नहीं दिया।

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श्रीकृष्ण ने स्वीकार किया गांधारी का श्राप Gandhari Curse To Lord Krishna

इसके बाद गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को उनके वंश के नाश होने का श्राप दे दिया। श्रीकृष्ण ने गांधारी को उठाते हुए कहा कि आपके श्राप का असर एक दिन जरूर होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि यह सिर्फ मेरे प्रति सच्ची श्रद्धा की वजह से नहीं बल्कि बदलते समय की वजह से भी होगा। कुछ साल बीतने के बाद भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब एक बार शरारत करने के मन से मित्रों के साथ गर्भवती स्त्री का वेष धारण कर ऋषि-मुनियों से मिलने पहुंच गए।

ऋषि का सांब को श्राप Gandhari Curse To Lord Krishna

इससे ऋषि नाराज हो गए और स्त्री रूपी सांब को श्राप दे दिया कि तुम एक ऐसे लोहे के तीर को जन्म दोगे जो तुम्हारे कुल-साम्राज्य का सर्वनाश करेगा। सांब यह सुनकर डर गए और जाकर उग्रसेन को पूरी घटना के बारे में बताया। उग्रसेन ने सांब को श्राप से बचाने के लिए कहा कि वो एक तीर का चूर्ण बनाकर प्रभास नदी में प्रवाहित कर दें। इससे श्राप खत्म हो जाएगा। हालांकि, जिस इलाके में इस चूर्ण को जमा किया गया, वहां एक खास तरह की घास उग गई।

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द्वारका में बढ़ गया अपराध और पाप Gandhari Curse To Lord Krishna

दूसरे ओर, उग्रसेन ने आदेश पारित कर दिया कि कभी भी यादव राज्य में किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का उत्पादन और वितरण नहीं किया जाएगा। कुछ समय बाद्र द्वारका में सुदर्शन चक्र, श्रीकृष्ण का शंख, उनका रथ और बलराम के हल का अदृश्य हो जाने जैसी अशुभ घटनाएं हुईं। द्वारका में अपराध और पाप बढ़ गया। नगर के लोग नशे में होकर एक दूसरे के खून के प्यासे होने लगे।

समाधि में रहे श्रीकृष्ण के पैर में लगा तीर Gandhari Curse To Lord Krishna

नशे में चूर नगरवासी एक दूसरे से लड़ने लगे और गांधारी के श्राप के अनुसार ही यादव वंश के सभी लोग एक दूसरे के दुश्मन बन गए। इसी बीच एक दिन श्रीकृष्ण पेड़ के नीचे योग समाधि ले रहे थे। इसी दौरान वहां जरा नाम का एक शिकारी आ पहुंचा। वह एक हिरण की तलाश कर रहा था। उसने कृष्ण के हिलते हुए पैरों को हिरण समझ लिया और तीर चला दिया। जैसे ही उसे इस बात का अंदाजा हुआ, वह श्रीकृष्ण के पास पहुंचकर क्षमा मांगने लगा।

पिछले जन्म में जरा ही था सुग्रीव का बड़ा भाई बाली Gandhari Curse To Lord Krishna

वहीं तब श्रीकृष्ण ने उसे सांत्वना दी और बताया कि कैसे उनकी मृत्यु निश्चित थी। भगवान कृष्ण ने कहा, ‘त्रेता युग में लोग मुझे राम के नाम से जानते थे। सुग्रीव के बड़े भाई बाली का राम ने छिपकर वध किया था। अपने पिछले जन्म की सजा उन्हें इस जन्म में मिली है। दरअसल जरा ही पिछले जन्म में बाली था। यह कहकर श्रीकृष्ण ने अपना शरीर त्याग दिया। श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद से ही कलियुग की शुरुआत हो गई।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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