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जानिए क्या होती है घर के बुजुर्गों की उम्मीदें

घर के बुजुर्गों की उम्मीदें


कहते है हम जीवन की शुरुआत और जीवन का अंत अकेले करते है। हम ना तो किसी से के साथ आते है और ना ही किसी के साथ जाते है। पर माना जाता है कि जब हम जन्म लेते है तब दुनिया के किसी कोने में कोई व्यक्ति जन्म लेता है और उसी प्रकार जब हम मरते है तब भी दुनिया के किसी कोने में कोई आखरी साँसे ले रहा होता है। शायद तभी हमें एक परिवार मिलता है जो इस अकेलेपन को दूर करने में मदद कर सके। और शायद यही कारण होता है कि हमारे घर के बुजुर्गों की उम्मीदें अपने परिवार से ज़्यादा होती है।

बुढ़ापा एक ऐसा दौर है जहाँ लोग बहुत ही लाचार हो जाते है। उनके पास ना ही कुछ करने की क्षमता होती है और ना हिम्मत। बिमारी, कमज़ोरी और उम्र के जाल में फंसे ये सभी लोग चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते। उनकी खुशियाँ उनके परिवार के साथ होती है। उनका पूरा दिन हमारी इंतज़ार में निकल जाता है। अपने परिवार से ही घर के बुजुर्गों की उम्मीदें होती है।

जानिए क्या होती है घर के बुजुर्गों की उम्मीदें
बुज़ुर्गो की होती है उम्मीदें

जानते है कि उनकी उम्मीदे क्या होती है:

  • समय

हम समय की कमी के लिए परेशान होते है और वो हमारे थोड़े से समय की उम्मीद होती है। समय ऐसी चीज़ होती है जो उनके पास बहुत ज़याद होता है और उनके परिवार के पास बिलकुल नहीं होता। वो बस इसी चीज़ की उम्मीद करते है कि उनका परिवार उनके साथ कुछ समय बिताए। उनके साथ बैठ कर कुछ बाते करे।

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  • पालन

अक्सर ऐसा होता है कि हम जाने अनजाने में घर के बड़े बुजुर्गों की बातों को सुन के अनसुना कर देते है। वो कोई काम हमे बोलते रह जाते है पर हम वो अपनी ज़रूरत और ऊनी सुविधा अनुसार करते है। हम ये सोचते ही नहीं की उन्हें उस चीज़ की ज़रूरत हो सकती है। हम उनके आदेशों का पालन ही नहीं कर पाते।

जानिए क्या होती है घर के बुजुर्गों की उम्मीदें
प्यार और इज़्ज़त की करते है उम्मीद
  • ज़रूरत

हर व्यक्ति की तरह, बुज़ुर्गो की भी कुछ ज़रूरते होती हैं। अपनी व्यस्त दिनचर्या में हम ये देख और समझ ही नही पाते की हम उनकी ज़रूरतों और इच्छाओं को नज़रअंदाज़ कर रहे है। वो कुछ ज़्यादा नही चाहते, वो बस यही चाहते हैं कि हम उनको उनकी ज़रूरत की चीजो की कमी ना होने दें।

  • इज़्ज़त

घर के बुज़ुर्गो ने ही सब को इस काबिल बनाया है कि वो अपने पैरों पर खड़ा हो कर, इज़्ज़त और शौहरत कमा सके। पर हम इज़्ज़त कमाने में इतना व्यस्त हो जाते है कि हम भूल ही जाते है कि अपने परिवार के बुज़ुर्गो की इज़्ज़त करना भूल जाते है। हम ये भूल जाते है कि इज़्ज़त और प्यार का महत्व हमे इन्होंने ही सिखाया था।

लोगो की उम्मीदों पर खरा उतरने की इस दौड़ में हम अपने नींव से इतनी आगे निकल आये है कि अब पीछे मुड़ कर देखने का हम सोचते भी नहीं है। अपने परिवार की इज़्ज़त करना सीखें, उन्हें वही समय और प्यार दे जो उन्होंने आपको दिया है। उनकी जीवन हर समय आप ही के आस पास रही है। खुद को उनसे दूर ना करे।

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