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International Men’s Day: क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल मेंस डे

International Men’s Day: पुरुषों की सेफ्टी को लेकर आकड़ें कर सकते हैं आपको दंग


हर साल 19 नवंबर को दुनिया भर में इंटरनेशनल मेंस डे मनाया जाता है। अब सवाल तो यहाँ ये भी आता है की पुरुषों के लिए कोई खास दिन क्यों? तो इसका जवाब है की महिलाओं की तरह पुरुष भी असमानता का शिकार होते हैं। अगर हम अपने समाज की बात करें तो वो पुरुष प्रधान है, मलतब ये हुआ की हमारे समाज में पुरुषों का वर्चस्व है। यह सोच सिर्फ भारत जैसे देशों की ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देशों में इस तरह की सोच आज भी व्याप्त है। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि पुरुषों को कोई समस्या नहीं है, हकीकत यह है कि वह भी भेदभाव, शोषण और असमानता का शिकार होते हैं।

क्या कहते है आकड़े:

अगर हम आकड़ों की बात करें तो उसे देख पर आप चौक जायेगे:

76 फीसदी आत्महत्याएं पुरुष की भी होती है, वही 85 फीसदी बेघर लोग पुरुष भी होते है। 70 फीसदी हत्याएं पुरुषों की भी होती हैं, घरेलू हिंसा के शिकारों में भी 40 फीसदी पुरुष होते है। इस बार ‘इंटरनेशनल मेन डे’ की थीम ‘पॉजिटिव मेल रोल’ मॉडल्स पर रखी गई है।

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क्यों मनाते हैं पुरुष दिवस:

अमेरिका के मिसौर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर थॉमस योस्टर की वजह से पहली बार 7 फरवरी 1992 को अमेरिका, कनाडा और यूरोप के कुछ देशों ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया था, लेकिन साल 1995 से कई देशों ने फरवरी महीने में पुरुष दिवस मनाना बंद कर दिया था। हालांकि कई देशों में इस दौरान अपने-अपने हिसाब से पुरुष दिवस को मनाया जाता है। 1998 में त्रिनिदाद एंड टोबेगो में पहली बार 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया और इसका सारा श्रेय डॉ. जीरोम तिलकसिंह को जाता है। उन्होंने इसे मनाने की पहल की और इसके लिए 19 नवंबर का दिन चुना। इसी दिन उनके देश ने पहली बार फुटबॉल विश्व कप के लिए क्वालिफाई करके देश को जोड़ने का काम किया था। उनके इस प्रयास के बाद से ही हर साल 19 नवंबर को दुनिया भर के 60 देशों में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है, और यूनेस्को भी उनके इस प्रयास की सराहना कर चुकी है।

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