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Domestic Violence Report शॉकिंग! भारत में एक – तिहाई से अधिक महिलाएं हैं घरेलू हिंसा से पीड़ित, NFHS की नई रिपोर्ट में खुलासा

Domestic Violence Report: कर्नाटक की महिलाएं हैं सबसे ज्यादा शारीरिक हिंसा की शिकार, जानें बाकी राज्यों क्या है हाल?


Highlights-

  • 5 मई 2022 को गुजरात के वडोदरा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने NFHS – 5 का नया डाटा जारी किया।
  • इस नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश की एक तिहाई महिलाओं ने शारीरिक या यौन हिंसा का सामना किया है।

Domestic Violence Report: 5 मई को NFHS का नया डाटा जारी हुआ है। जी हाँ, NFHS मतलब National Family Health Survey. इस डाटा में घरेलू हिंसा से शिकार हुए महिलाओं की सूची जारी की गई है। आपको आगे हम पूरी बात बताएं इससे पहले हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह सर्वे समाज में हो रहे हिंसा के हर पहलू और कारण को आधार मानकर किया जाता है।

5 मई 2022 को गुजरात के वडोदरा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने NFHS – 5 का नया डाटा जारी किया। इस नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश की एक तिहाई महिलाओं ने शारीरिक या यौन हिंसा का सामना किया है।

हांलांकि यह बात भी सामने निकल कर आई है कि देश में घरेलू हिंसा का दर पहले से लगभग 2 प्रतिशत घटा है। जी हाँ घरेलू हिंसा दा दर घटा जरूर है, बंद नहीं हुआ है। इसलिए इस पर बात – विमर्श करना बहुत जरूरी है। रिपोर्ट में यह बात पता चली है कि देश में घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या 31. 2% से घटकर 29.3 % हो गई है।

इस सर्वे में सेक्शुअल, मेंटल और फिजिकल वाइलेंस के कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

रिपोर्ट में यह पता चला है कि 18 से 49 साल के करीब 30 प्रतिशत महिलाओं ने 15 साल की उम्र से शारीरिक हिंसा का सामना किया है। वहीं सर्वे में शामिल 6 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन में सेक्शुअल वाॉयलेंस का शिकार हुई हैं। आपके सामने हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह मात्र सर्वे में शामिल महिलाओं का डाटा है। जी हाँ ऐसी, कई महिलाएं हैं जो समाज के डर से सामने भी नहीं आती हैं।

इस सर्वे को समाज के हर तबके की महिलाओं के बीच किया गया। गाँव, शहर, अमीर, गरीब समाज का हर तबका इस सर्वे में शामिल है।

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शादीशुदा महिलाओं के आंकड़े

किसी भी समाज में हिंसा के आंकड़े डरा देने वाले होते हैं। ख़ास करके समाज का वो तबका जिस पर जिम्मेदारी का बोझ बहुत है वह हिंसा से सबसे अधिक पीड़ित हैं। यह हम नहीं कह रहें यह NFHS की रिपोर्ट में सामने आई है। समाज के डर से कई महिलाएं रिपोर्ट तक दर्ज नहीं करें और यह संख्या देशभर में 14 फीसदी है।

वैवाहिक हिंसा यानी पार्टनर द्वारा की गई हिंसा। सर्वे में यह पाया गया है कि 18 – 49 साल के एज – ग्रुप की 32% शादीशुदा महिलायें फिजिकल, सेक्शुअल या इमोशनल हिंसा से पीड़ित है। इसमें में भी सबसे अधिक मामले शारीरिक हिंसा के हैं। कर्नाटक वो राज्य है जहाँ शारीरिक हिंसा के सबसे अधिक मामले हैं। यहाँ 48 प्रतिशत महिलाएं शारीरिक हिंसा से पीड़ित हैं। इसके बाद बिहार, तेलंगाना, मणिपुर का स्थान आता है।

देश में सबसे कम रिपोर्ट किये गए मामले वाले स्थान की बात करें तो वह लक्ष्य द्वीप है। यह आंकड़ा 2.1 फीसदी है।

घरेलू हिंसा की वजहों के बारे में बात की जाए तो सबसे बड़ी वजह शुरू से ही शिक्षा को बताई जाती है। चलिए इस मामले में एक – एक करके सारे प्वाइंट्स को रखते हैं। जब भी कभी घरेलू हिंसा की बात सामने आती है तो उस बीच से निकलकर आता है पितृसत्ता। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा के 80 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में अपराधी पति निकलता है।

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रिपोर्ट में खुलासा

कॉन्ट्रासेप्टिव से संवंधित मामला भी सामने आय़ा है। रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं कामकाजी हैं उनमें मॉडर्न कॉन्ट्रसेप्टिव के इस्तेमाल की संभावनाएं अधिक हैं ख़ासकरके उनकी तुलना में जो कामकाजी नहीं हैं।

चिंता डालने वाली एक और बात सामने निकल कर आई है। वह बाल विवाह से जुड़ी हुई है। जी हाँ नए आँकड़े में यह बात सामने आई है कि राष्ट्रीय स्तर पर शादी की कानूनी उम्र से कम उम्र में शादी करने की दर में कमी जरूर आई है, लेकिन पंजाब, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा और असम में इस दर में बढ़ोतरी हुई है। NFHS-5 के अनुसार, सर्वे में शामिल 23.3 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल से पहले ही हो गई। पुरुषों में कम उम्र में शादी का आंकड़ा 17.7 फीसदी दर्ज किया गया है।

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