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Bleeding Eye Disease : आंखों की खतरनाक बीमारी, आठ दिन में जान ले लेती है ब्लीडिंग आई डिजीज

Bleeding Eye Disease, आंखों से जुड़ी कई तरह की बीमारियां होती हैं, लेकिन "ब्लीडिंग आई डिजीज" (Bleeding Eye Disease) एक अत्यंत खतरनाक और जानलेवा बीमारी है, जिसके बारे में सुनकर लोग सहम जाते हैं। यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि इसके शिकार व्यक्ति की मौत आठ दिनों के भीतर हो सकती है।

Bleeding Eye Disease : आंखों की वो खतरनाक बीमारी, जिसमें खून के रिसाव से हो जाती है मौत

Bleeding Eye Disease, आंखों से जुड़ी कई तरह की बीमारियां होती हैं, लेकिन “ब्लीडिंग आई डिजीज” (Bleeding Eye Disease) एक अत्यंत खतरनाक और जानलेवा बीमारी है, जिसके बारे में सुनकर लोग सहम जाते हैं। यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि इसके शिकार व्यक्ति की मौत आठ दिनों के भीतर हो सकती है। इसे मेडिकल भाषा में “केरेन्टेड हेमोरेजिक प्यूफी” या “ब्लीडिंग रेटिनोपैथी” भी कहा जाता है। हालांकि यह बीमारी बहुत ही दुर्लभ है, फिर भी इसके होने पर यह व्यक्ति के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है। आइए जानते हैं इस खतरनाक बीमारी के बारे में विस्तार से।

ब्लीडिंग आई डिजीज क्या है?

ब्लीडिंग आई डिजीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंख के अंदर रक्तस्राव (bleeding) होने लगता है। सामान्यतः आंख में रक्तस्राव की समस्या कई कारणों से हो सकती है, लेकिन इस बीमारी के दौरान यह रक्तस्राव अत्यधिक गंभीर और तीव्र होता है, जिससे आंख के विभिन्न हिस्सों में नुकसान पहुंचता है। इस बीमारी का प्रमुख कारण आंख के रेटिना में अत्यधिक रक्तस्राव होता है, जो धीरे-धीरे पूरे नेत्र पटल (Retina) को प्रभावित करता है।

ब्लीडिंग आई डिजीज के लक्षण

ब्लीडिंग आई डिजीज के लक्षण बहुत स्पष्ट और खतरनाक होते हैं। इस बीमारी का सबसे पहला और प्रमुख लक्षण आंखों से खून बहना होता है। साथ ही, आंखों में सूजन, जलन, धुंधली दृष्टि और दर्द भी महसूस हो सकता है। रोगी को रात के समय आंखों में अधिक जलन महसूस हो सकती है और दिन में उसकी दृष्टि भी सामान्य नहीं रहती। इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं:

1. आंखों में खून का दिखना – जब रक्तस्राव आंख के अंदर होने लगता है, तो रोगी को अपनी आंखों में खून दिखाई देने लगता है।

2. दृष्टि में धुंधलापन – रोगी को दिखाई देना धुंधला हो सकता है, जिससे वस्तुओं को ठीक से देखना कठिन हो जाता है।

3. आंखों में दर्द – आंखों में तीव्र दर्द और जलन की समस्या उत्पन्न होती है।

4. आंखों में सूजन – रक्तस्राव के कारण आंखों में सूजन हो सकती है।

5. अंधापन – अगर इलाज समय पर न किया जाए, तो यह समस्या अंधेपन का कारण बन सकती है।

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ब्लीडिंग आई डिजीज के कारण

यह बीमारी मुख्य रूप से निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न हो सकती है:

1. डायबिटीज – डायबिटीज (मधुमेह) के रोगियों में रक्तवाहिनियों में कमजोरी आ जाती है, जिससे रक्तस्राव की संभावना बढ़ जाती है।

2. हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) – उच्च रक्तचाप के कारण रक्तवाहिनियों में तनाव बढ़ता है, जिससे खून निकलने की समस्या हो सकती है।

3. चोट या आघात – आंखों पर किसी प्रकार का गंभीर आघात या चोट लगने से रक्तस्राव हो सकता है।

4. संक्रमण – किसी प्रकार के आंखों के संक्रमण के कारण रक्तस्राव हो सकता है।

5. गंभीर आंखों की बीमारियां – आंखों से संबंधित अन्य गंभीर बीमारियां, जैसे रेटिनल वेंस ऑक्लूजन (रेटिना के रक्तवाहिकाओं का रुकना) या रेटिनल डिटैचमेंट, भी इस बीमारी का कारण बन सकती हैं।

ब्लीडिंग आई डिजीज का इलाज

ब्लीडिंग आई डिजीज का इलाज समय रहते कराना बहुत आवश्यक है, क्योंकि अगर इसका इलाज न किया जाए, तो व्यक्ति की दृष्टि permanently खराब हो सकती है और मृत्युदर भी बढ़ सकती है। इलाज के कई तरीके हैं:

1. मेडिकल उपचार – अगर रक्तस्राव हल्का है, तो दवाइयों से इलाज किया जा सकता है। यह दवाइयां आंखों के अंदर के रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।

2. लेजर थेरेपी – लेजर का उपयोग रक्तस्राव को रोकने और रेटिना को बचाने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया रक्तस्राव के स्थान को चिह्नित करने और उसे बंद करने में सहायक होती है।

3. सर्जरी – अगर रक्तस्राव अत्यधिक हो और अन्य उपचार काम न करें, तो डॉक्टर ऑपरेशन द्वारा आंख के अंदर के रक्त को निकालने के लिए सर्जरी कर सकते हैं।

4. रेटिना सर्जरी – इस प्रक्रिया में रेटिना को फिर से जोड़ने के लिए सर्जरी की जाती है, ताकि दृष्टि में सुधार हो सके।

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ब्लीडिंग आई डिजीज से बचाव

इस बीमारी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

1. ब्लड प्रेशर और शुगर का नियंत्रण – अगर किसी को डायबिटीज या उच्च रक्तचाप है, तो इनका नियंत्रण जरूरी है।

2. आंखों की सुरक्षा – किसी भी प्रकार के आघात से बचने के लिए आंखों को सुरक्षा प्रदान करना जरूरी है।

3. समय-समय पर आंखों की जांच – आंखों की नियमित जांच से इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचाना जा सकता है।

4. स्वस्थ जीवनशैली अपनाना – संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और अच्छी नींद लेने से आंखों से संबंधित समस्याओं से बचा जा सकता है।

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