भारत

Savitribai Phule: सावित्रीबाई फुले पुण्यतिथि 2025, नारी सशक्तिकरण की मिसाल को नमन

Savitribai Phule, भारत की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और नारी सशक्तिकरण की प्रतीक सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि हर साल 10 मार्च को मनाई जाती है।

Savitribai Phule : सावित्रीबाई फुले पुण्यतिथि विशेष, भारत की पहली महिला शिक्षिका की प्रेरणादायक गाथा

Savitribai Phule, भारत की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और नारी सशक्तिकरण की प्रतीक सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि हर साल 10 मार्च को मनाई जाती है। 2025 में, यह दिन एक बार फिर उनके महान योगदान को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर होगा। सावित्रीबाई फुले ने न केवल महिलाओं की शिक्षा के लिए संघर्ष किया, बल्कि समाज में फैली जाति-व्यवस्था, छुआछूत और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाई।

सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था। उनका विवाह 9 साल की उम्र में ज्योतिराव फुले से हुआ, जो खुद समाज सुधारक और दलित उत्थान के लिए कार्य कर रहे थे। सावित्रीबाई ने शिक्षा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया और महिलाओं की शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी।

महिला शिक्षा की दिशा में क्रांतिकारी कार्य

19वीं सदी में जब महिलाओं की शिक्षा को पाप माना जाता था, तब सावित्रीबाई फुले ने 1848 में पुणे में पहला बालिका विद्यालय खोलकर इतिहास रच दिया। यह विद्यालय उन लड़कियों के लिए था, जिन्हें समाज शिक्षा से वंचित रखता था। उन्होंने देश की पहली महिला शिक्षिका बनने का गौरव प्राप्त किया। ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर उन्होंने 18 से अधिक स्कूलों की स्थापना की। उनकी शिष्या फातिमा शेख भी देश की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका बनीं। सावित्रीबाई ने अछूतों के लिए विद्यालय और पुस्तकालयों की भी स्थापना की ताकि शिक्षा सभी तक पहुंचे।

Read More : Game Changer: बॉक्स ऑफिस पर असफल ‘Game Changer’ अब विवादों में, मेकर्स पर धोखाधड़ी का केस!

सामाजिक सुधारों में योगदान

सावित्रीबाई फुले केवल शिक्षा तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने समाज में फैली अन्य कुरीतियों के खिलाफ भी संघर्ष किया। उन्होंने विधवा महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। उनके द्वारा संचालित बाल हत्या प्रतिबंधक गृह (Infanticide Prevention Home) में वे अनाथ और विधवा महिलाओं के बच्चों की देखभाल करती थीं। वे जातिवाद और छुआछूत के कट्टर विरोधी थीं और उन्होंने सत्यशोधक समाज के माध्यम से समानता और सामाजिक न्याय का संदेश फैलाया।

Read More : Khajoor Benefits: बस 5 खजूर रोज़ खाने से मिलेंगे 10 गजब के फायदे, शरीर बनेगा दमदार!

मृत्यु और पुण्यतिथि

1897 में जब प्लेग महामारी फैली, तब सावित्रीबाई फुले ने पीड़ितों की सेवा की। इस दौरान वे खुद इस बीमारी की चपेट में आ गईं और 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया। उनकी पुण्यतिथि पर हर साल उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके कार्यों को याद किया जाता है।

सावित्रीबाई फुले की विरासत

सावित्रीबाई फुले ने जो अलख जगाई, वह आज भी महिलाओं और दलित समाज को प्रेरित करती है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है और समानता की दिशा में नए कदम उठाए जा रहे हैं। 2025 में उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर पूरे देश में उन्हें सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, उनके विचारों और कार्यों पर चर्चा होगी, और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनकी भूमिका को सराहा जाएगा।

We’re now on WhatsApp. Click to join.

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button