Dr. Rajendra Prasad Jayanti 2024: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज 140वीं जयंती, जानिए उनके जीवन के जुड़े कुछ रोचक तथ्य
देश के प्रथम राष्ट्रपति और बिहार के लाल डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज यानी 3 दिसंबर को 140वीं जयंती है। इस मौके पर बिहार के साथ-साथ पूरे देश में कई जगह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कई स्कूलों में राजेंद्र प्रसाद के संघर्ष की कहानी बच्चों को बताई जा रही है।
Dr. Rajendra Prasad Jayanti 2024: पीएम मोदी ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को दी श्रद्धांजलि, जानिए उनके प्रारंभिक शिक्षा- विवाह और भी कई किस्सें
Dr. Rajendra Prasad Jayanti 2024: राजनीतिक जीवन में सादगी, सेवा, त्याग की जब भी बात होगी तब देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का नाम अग्रिम पंक्ति में आयेगा। 03 दिसंबर, 1884 को जीरादेई में जन्मे डॉ राजेंद्र प्रसाद को स्थानीय लोग “बाबू” कह कर ही संबोधित करते थे। राजेंद्र बाबू जब भी अपने गांव आते थे तो लोगों से घुल-मिल जाते थे। उनके कई ऐसे किस्से हैं जो जो अभी भी लोग नहीं जानते हैं। आज उनकी जयंती पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ रोचक किस्से बता रहे हैं।
पीएम मोदी ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर मंगलवार को उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज जब देश संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहा है तो ऐसे में उनका जीवन एवं आदर्श कहीं अधिक प्रेरणादायी हो जाते हैं। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘देश के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी को उनकी जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में भारतीय लोकतंत्र की सशक्त नींव रखने में उन्होंने अमूल्य योगदान दिया।’
डॉ राजेंद्र प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा छपरा के जिला स्कूल से पूरी की थी। राजेंद्र बाबू के बारे में कहा जाता है कि उनकी परीक्षा की कॉपियां जानते वक्त एग्जामिनर ने लिख दिया था कि ‘एग्जामिनी इस बेटर देन एग्जामिनर’ आज भी यहां के छात्र और शिक्षक खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। दरअसल, राजेंद्र बाबू छपरा से पढ़ाई पूरी करने के बाद जब आगे की पढ़ाई करने कोलकाता गए थे। वहां कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंसी कॉलेज में ज्वाइन किये। वर्ष 1906 में उनकी पढ़ाई के दौरान एक परीक्षक ने राजेन्द्र बाबू को परीक्षक से बेहतर बताया था और कॉपी मूल्यांकन के दौरान एग्जामिनी इज बेटर देन एग्जामिनर (Examinee is better than examiner) लिख दिया था। एग्जामनर ने ‘एग्जामनी इज बेटर दैन एग्जामनर’ ने जिस कॉपी पर रिमार्क लिखा था वह कॉपी और नामांकन पंजी भी संरक्षित कर रखी गई थी।
डॉ राजेंद्र प्रसाद का विवाह
राजेंद्र प्रसाद का विवाह राजवंशी देवी से हुआ था। विवाह के बाद वे अपने बड़े भाई महेंद्र प्रसाद के साथ पढ़ाई के लिए पटना में उन्होंने टी.के. घोष अकादमी में दाखिला लिया था। इस संस्थान में उन्होंने दो साल अध्ययन किया था।
राजेंद्र बाबू से जुड़ी कुछ और खास बात
कलकत्ता विश्वविद्यालय से एएलएम और डॉक्टरेट करने के बाद जब महात्मा गांधी के छपरा आए तो राजेंद्र बाबू चंपारण सत्याग्रह के सारण का प्रतिनिधित्व करनेवालों में शामिल हो गए। स्वदेशी आन्दोलन के तहत दिघवारा प्रखंड के मलखाचक गांव में गांधी कुटीर की स्थापना से से लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय रहे थे। राजेन्द्र बाबू जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत से सहमत नहीं होते हुए भी अंत में सहमत हुए और 15 अगस्त 1947 को भारत दो भागों में विभाजित हुआ। स्वतंत्रता अधिनियमों के तहत 1935 के भारत सरकार अधिनियम के तहत गठित अंतरिम सरकार में कृषि और खाद्य मंत्री रहते हुए भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष बने और प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर बने। इसके बाद देश के डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने।
अपने नौकर से बाबू ने मांगी थी माफी
राजेंद्र प्रसाद के गांव के रहनेवाले सेवानिवृत्त शिक्षक रामनरेश द्विवेदी ने बताया कि एक दिन सुबह कमरे की झाड़पोंछ करते हुए राष्ट्रपति के पुराने नौकर तुलसी से एक हाथी दांत की बनी पेन टूट गयी। उन्हें उस पेन से बहुत लगाव था। उन्होंने गुस्से में तुलसी को अपनी निजी सेवा से हट जाने का आदेश दे दिया। लेकिन, दिन भर उन्हें लगता रहा कि उन्होंने तुलसी के साथ अन्याय किया है। जैसे ही वे खाली हुए, तुलसी को बुलाया और कहा कि मुझे माफ कर दो। कुछ ऐसे थे देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद।
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