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Krishna Janmashtami 2024 : कृष्ण जन्माष्टमी 2024, जानिए इस पर्व का इतिहास, महत्व, और परंपराएँ

Krishna Janmashtami 2024, यह पर्व भगवान कृष्ण की लीला और उनके जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को याद करने का समय है। चाहे वह धर्म की स्थापना हो, अधर्म का नाश हो, या निष्काम कर्म का संदेश, भगवान कृष्ण का जीवन हमें सच्चाई और भक्ति के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है।

Krishna Janmashtami 2024 : भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी, क्यों मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए इतिहास और महत्व

Krishna Janmashtami 2024 हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार भारत और दुनिया के कई हिस्सों में भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, जिन्होंने धरती पर अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए जन्म लिया था।श्रीकृष्ण का जन्म दिनांकानुसार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ था। इस समय काल को ‘रोहिणी नक्षत्र’ का योग भी होता है, जो इस पर्व को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। इसी दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।

Krishna Janmashtami 2024
Krishna Janmashtami 2024

कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास

कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास महाभारत और पुराणों में विस्तृत रूप से वर्णित है। भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा नगरी में हुआ था, जो आज उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। कहा जाता है कि मथुरा का राजा कंस, जो कृष्ण की माता देवकी का भाई था, अत्यंत क्रूर और अधर्मी था। जब कंस को यह भविष्यवाणी सुनाई दी कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा, तो उसने देवकी और उनके पति वासुदेव को कारागार में बंदी बना लिया।

कंस ने देवकी के पहले सात बच्चों को मार डाला, लेकिन आठवें बच्चे के जन्म के समय अद्भुत घटनाएं घटीं। भगवान विष्णु ने वासुदेव को प्रकट होकर आदेश दिया कि वे कृष्ण को रातों-रात यमुना नदी पार कर गोकुल पहुंचाएं और नंद और यशोदा के पास छोड़ दें। वासुदेव ने कृष्ण को टोकरी में रखकर यमुना पार की, और सुरक्षित रूप से गोकुल पहुंचे, जहाँ कृष्ण का पालन-पोषण हुआ।

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कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष का प्रतीक है। भगवान कृष्ण ने अपने जीवनकाल में धर्म की स्थापना की और अधर्म का नाश किया। गीता में उन्होंने कहा है, “जब-जब धर्म की हानि और अधर्म का उत्थान होता है, तब-तब मैं अवतार लेता हूँ।”कृष्ण जन्माष्टमी भक्ति और श्रद्धा का पर्व है। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं, भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, और उनके जन्म की खुशी में भजन-कीर्तन और नृत्य करते हैं। भगवान कृष्ण ने भगवद गीता में निष्काम कर्म का महत्व बताया है। यह पर्व हमें अपने कर्मों के प्रति समर्पित रहने और बिना किसी फल की इच्छा के कार्य करने की प्रेरणा देता है।

Krishna Janmashtami 2024
Krishna Janmashtami 2024

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कृष्ण जन्माष्टमी की विधियाँ और परंपराएँ

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की मूर्ति को झूले में रखा जाता है और आधी रात को उनकी पूजा की जाती है, जो उनके जन्म का समय माना जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भक्तगण उपवास रखते हैं, जिसे निर्जला व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत सूर्योदय से लेकर आधी रात तक चलता है, जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। कुछ लोग फलाहार और दूध का सेवन करते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की बाल रूप में झाँकियाँ सजाई जाती हैं। कई जगहों पर झूला भी सजाया जाता है, जिसमें भगवान की मूर्ति को रखा जाता है।विशेषकर महाराष्ट्र में, कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर दही हांडी उत्सव का आयोजन होता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण के माखन चुराने की लीला से प्रेरित है। इस खेल में मटकी (हांडी) को ऊँचाई पर टांगा जाता है और युवाओं की टोली इसे फोड़ने का प्रयास करती है।वृंदावन और मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर रासलीला का आयोजन होता है, जिसमें भगवान कृष्ण की बाललीलाओं का मंचन किया जाता है।कई मंदिरों में भगवान कृष्ण की मूर्ति का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और सुंदर आभूषणों से सजाया जाता है।

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