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Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son: कौन थे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पुत्र, कैसे हुई थी उनकी उत्पत्ति, बेहद रोचक है ये कथा
धार्मिक

Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son: कौन थे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पुत्र, कैसे हुई थी उनकी उत्पत्ति, बेहद रोचक है ये कथा

Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son: बेहद कम लोग जानते हैं कि भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी को एक पुत्र भी था। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कौन थे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के बेटे।ंब

Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son: बहुर प्यार और संस्कारों से हुआ एकवीर का पालन पोषण, ऐसे हुई थी शादी

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को इस सृष्टि का पालनहार माना गया है तो माता लक्ष्मी को सुख-समृद्धि व धन की देवी माना गया है। धार्मिक शास्त्रों में भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी जी से जुड़े अनेक प्रसंग मिलते हैं, जिसमें उनके पुत्र का भी जिक्र मिलता है। बेहद कम लोग जानते हैं कि भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी को एक पुत्र भी था। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कौन थे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के बेटे। कौन थी उनकी बहु और कैसे हुआ था इनका विवाह। आइए जानते हैं विस्तार से-

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के बेटे का नाम एकवीर है। हालांकि जब हरिवर्मा नामक राजा ने भगवान विष्णु के जैसे पुत्र की प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की तब तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी ने उन्हें दर्शन दिया। कहा कि मैंने एक पुत्र उत्पन्न किया है, जिसे तुम अपना पुत्र समझ कर ले जाओ। वह बालक तमसा और यमुना नदी के किनारे है। राजा हरीवर्मा बालक को अपने साथ ले गए। आगे चलकर वह बालक एकवीर नाम से प्रसिद्ध हुआ।

बहुर प्यार और संस्कारों से हुआ एकवीर का पालन पोषण Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son

आपको बता दें कि राजा हरिवर्मा ने एकवीर को पालन पोषण बहुर प्यार और संस्कारों से किया और बाद में अपना सारा राजपाट एकवीर को सौंप दिया। राजा ने एकवीर को उनके सत्य से भी अवगत कराया और उनके विष्णु पुत्र होने की बात बताई। हरिवर्मा की मृत्यु के बाद एकवीर ने राजपाट संभाला।

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विष्णु जी ने दिया था लक्ष्मी जी को श्राप Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son

देवी भागवत पुराण के छठे स्कंद में श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी के पुत्र का वर्णन मिलता है। एक कथा के अनुसार, श्री हरि विष्णु ने लक्ष्मी जी को घोड़ी होने का श्राप दे दिया था। इसके बाद लक्ष्मी जी घोड़ी बन गईं और तमसा-यमुना नदी के संगम पर जाकर रहने लगीं। वहां लक्ष्मी जी ने भगवान शिव जी की आराधना की। लक्ष्मी जी की भक्ति भावना देखकर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर लक्ष्मी जी को वरदान दिया कि जल्द ही श्री हरि विष्णु उनका सानिध्य प्राप्त करेंगे और उनसे पुत्र की प्राप्ति होगी।

विष्णु जी का इंतजार कर रहीं थीं माता लक्ष्मी Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son

इसके बाद भगवान शिव ने अपने चित्ररूप को विष्णु जी के पास भेजा। चित्ररूप ने भगवान विष्णु जी से कहा कि लक्ष्मी जी से भेंट करें। तब विष्णु जी ने कहा कि मैं लक्ष्मी जी से भेंट करने जाऊंगा और शिवजी के वरदान स्वरूप लक्ष्मी जी को वापस लेकर आऊंगा। इसके बाद भगवान विष्णु अश्व का रूप धारण करके तमसा और यमुना नदी के किनारे पहुंच गए, जहां मां लक्ष्मी घोड़ी के रूप में बैठी थीं।

विष्णु जी और लक्ष्मी मां के संयोग से उत्पन्न हुआ बालक Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son

इस दौरान मां लक्ष्मी ने घोड़े के रूप में विष्णु जी को पहचान लिया। इसके बाद विष्णु जी और लक्ष्मी जी के संयोग से एक हैहय नाम का बालक उत्पन्न हुआ। उस बालक को विष्णु जी और लक्ष्मी जी जंगल में ही छोड़ कर चले गए। फिर लक्ष्मी जी और विष्णु जी पुन: अपने स्वरूप में आ गए। इसी के बाद भगवान विष्णु और माता पार्वती ने इस बालक को राजा हरिवर्मा को सौंप दिया था। जिसका आगे चलकर नाम एकवीर पड़ा था।

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भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के परम भक्त बन गए एकवीर Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son

एकवीर न सिर्फ राजा होने का कर्तव्य निभा रहे थे बल्कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा में मग्न रहने लगे थे। एक दिन एकवीर भ्रमण पर निकले और जंगल जा पहुंचे। वहां उनकी भेंट एक राज कन्या से हुई। वह कन्या राजा रैभ्य की पुत्री यशोमति थी। यशोमति नदी किनारे बैठकर रो रही थी। तब एकवीर ने उनसे उनके रोने का कारण पूछा। यशोमति ने एकवीर को बताया कि उनकी एक बहन है एकावली जिसका एक राक्षस ने हरण कर लिया और उस दैत्य ने एकावली को कारागार में बंधी बना लिया है।

राजा रैभ्य ने एकवीर का किया भव्य स्वागत Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son

एकवीर ने यशोमति को विश्वास दिलाया कि वह उनकी बहन एकावली को सुरक्षित उनके राज्य लौटा लाएंगे। और उन्होंने अपना वचन पूरा किया। विष्णु पुत्र का तेज और साहस भी भगवान विष्णु के समान ही था तो उन्होंने क्षण भर में ही दैत्य को पराजित कर दिया। एकावली और एकवीर साथ में राजा रैभ्य के पास पहुंचे। राजा रैभ्य को जैसे ही पता चला कि एकवीर एकावली को साथ लेकर राज्य में लौट आए हैं उन्होंने उनका जोरों-शोरों से स्वागत किया।

ऐसे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की बहु बनीं एकावली Lord Vishnu And Goddess Lakshmi Son

राजा रैभ्य विष्णु भक्त थे। लिहाजा एकवीर को देखते ही उनके भीतर छिपी भगवान विष्णु की छवि को पहचान गए। राजा रैभ्य समझ गए कि एकवीर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के पुत्र हैं। राजा रैभ्य ने एकवीर के समक्ष एकावली से विवाह का प्रस्ताव रखा जिसके बाद एकवीर को एकावली का विवाह हो गया। एकावली न सिर्फ एकवीर की पत्नी बल्कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पुत्रवधु यानी कि बहु कहलाईं। तो ये थी भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की बहु।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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