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जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण क्या बंगाल चुनाव में बाकी पार्टियों के लिए अलॉर्म है

बिहार के बाद अब बंगाल की तैयारी


बिहार चुनाव में एनडीए की जीत के साथ ही  बीजेपी प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी के रुप में उभरी है. इसके साथ ही बीजेपी अपनी जीत के रथ को बंगाल की तरफ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने वाला है. इसके लिए बीजेपी से अभी से ही कमर कस ली.

बीजेपी का अगला टारगेट बंगाल है

बीजेपी ने इसका आगाज सबसे पहले जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण करके किया है. आपको बता दें जेएनयू  छात्र राजनीति के लिए वामपंथ का गढ़ माना जाता है. यहां हमेशा से ही लेफ्ट पार्टियों के छात्रसंघ का ही दबदबा रहा है. कुछ वर्षों से राइट विंग की राजनीति का स्टूडेंट विंग एबीवीपी भी सक्रिय हुआ. देखने वाली बात है बिहार चुनाव खत्म होते ही पीएम मोदी ने जेएनयू में विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया. जबकि पिछले दो सालों से इस मूर्ति को ढ़ककर रखा गया था. पिछले साल इसी मूर्ति को लेकर  विवाद भी हुआ था. लेफ्ट संगठनों पर आरोप है कि उन्होंने मूर्ति से छेड़छाड़ की थी और इसके साथ ही उसके चबूतरे पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया. अब देखने वाली बात यह है कि लेफ्ट संगठनों को विरोध के बाद ही मूर्ति का अनावरण कर दिया गया. जो कहीं न कहीं दर्शाता है बीजेपी का अगला टारगेट बंगाल है. जहां सत्ता पाने की तैयारी कर रही है. जेएनयू से इसकी शुरुआत इसलिए मानी जा सकती है क्योंकि यहां लेफ्ट संगठन के ज्यादातर स्टूडेंस पश्चिम बंगाल के हैं. जो हमेशा से ही राइट विंग की पार्टियों की नीतियों का विरोध करते आए हैं.

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तीन सालों में  बदली बंगाल की राजनीतिक हवा

बंगाल में 294 विधानसभा सीटें है. साल 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में 211 सीटें पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. जबकि बीजेपी ने मात्र 3 सीटें. लेकिन तीन सालों बाद हुए लोकसभा चुनाव में बंगाल का रुख भगवे की तरफ हो गया. साल 2014 में 42 सीटें पर मात्र 2 सीटों पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी ने साल 2019 में यह आकंडा 18 तक पहुंचा दिया. प्रदेश की सत्तारुढ़ पार्टी को मात्र 22 सीटों पर फतह मिली. 2014 के चुनाव के मुकाबले साल 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल को 12 सीटों का झटका लगा. अब देखने वाली बात यह है  कि जिस बीजेपी ने लोकसभा में इतना कमाल किया है वह विधानसभा में दीदी को टक्कर दे पाएगी.

नेता कर रहे बंगला भाषा का प्रयोग

बंगाल के लिए बीजेपी ने तैयारी जोरो शोरों से शुरु कर दी है. बंगाल के लोगों के प्रति अपने भाव को प्रगट करने के लिए बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने बंगला भाषा को अपनाना शुरु कर दिया है. पीएम मोदी ने दुर्गापूजा का शुभारंभ करते हुए बंगाल वासियों को बंगला में पूजा की शुभकामनाएं दी. इतना ही नहीं गृहमंत्री अमित शाह बिहार चुनाव में एक बार भी प्रचार के लिए नहीं आएं. लेकिन पिछले सप्ताह ही वह दो दिन के बंगाल के दौरे पर थे. जहां उन्होंने लोगों से मुलाकत की. बंगाली रीति-रिवाज के हिसाब से खाना खाया. दक्षिणेश्वर मंदिर के दर्शन किए. इतना ही नहीं ट्विटर पर बंगला में ट्वीट किया. एसटी कम्यूनिटी में अपनी पैठ को मजबूत करने लिए आदिवासी बहुल इलाका बांकुडा जिले का दौरा किया. ताकि हर तबके को लोगों तक अपनी बात पहुंचाई जा सके. अब देखने वाली बात यह है कि बिहार की तरह क्या बंगाल में भी बीजेपी जीत का झंडा गाढ़ सकती है कि नहीं?

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