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Upendra Kushwaha Vs Nitish Kumar: उपेन्द्र कुशवाहा ने किया अपनी नई पार्टी का गठन, जानिए क्या है इसका उद्देश्य

Upendra Kushwaha Vs Nitish Kumar: जानें क्यों उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद की सदस्यता से दिया इस्तीफा

Highlight:

  • सीएम नीतीश कुमार के साथ कई दिनों से चल रही अनबन के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू को अलविदा कह दिया।
  • उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। कुशवाहा अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे।

Upendra Kushwaha Vs Nitish Kumar: इस वक्त बिहार की राजनीति की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां जेडीयू संसदीय बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल बिहार के सीएम नीतीश कुमार से नाराज चल रहे उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को जदयू से अलग होकर अपनी नई पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया है। उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नयी पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनता दल पार्टी रखा है।

आपको को बता दें बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ कई दिनों से चल रही अनबन के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू को अलविदा कह दिया। उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार (20 फरवरी) को जेडीयू (JDU) को छोड़ने का ऐलान करने के साथ-साथ नई पार्टी बनाने की घोषणा की है।

वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। कुशवाहा अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैं पार्टी की तमाम जिम्मेदारियां छोड़ रहा हूं। सीएम नीतीश कुमार और ललन सिंह को सुबह जानकारी दी थी। कुशवाहा ने कहा कि विपक्षी पार्टियों में एकता नहीं है और ऐसे में पीएम मोदी के लिए 2024 में जीतना आसान होगा।

वहीं बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार गठबंधन को एकजुट रखने के लिए लगातार मशक्कत करते नजर आ रहे हैं। लेकिन अब उनकी पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। विधानसभा चुनाव के बाद मार्च 2021 में कुशवाहा ने अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय करके नीतीश कुमार का दामन थामा था। लेकिन पार्टी में दो साल भी नहीं रह सके। नीतीश से उनका मोहभंग हो चुका है और अब फिर से जेडीयू को अलविदा कहने जा रहे हैं। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू में क्या लेकर आए थे और अब हासिल कर जा रहे हैं?

गौरतलब है कि उपेंद्र कुशवाहा अपने साढ़े तीन दशक के सियासी सफर में कई उतार-चढ़ाव भरे दौर देख चुके हैं। इस दौरान कुशवाहा दो बार जेडीयू छोड़कर नई पार्टी बना चुके हैं। लेकिन दोनों बार सियासी हिट-विकेट हो गए और अब तीसरी बार नई राजनीतिक पारी खेलने के मूड में हैं। कुशवाहा अपने पूरे राजनीतिक जीवन में विधानसभा और लोकसभा के नजरिए से सिर्फ दो ही बार चुनाव जीत सके हैं। पहली बार वे 2000 में समता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर वैशाली की जंदाहा विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने थे और दूसरी बार 2014 लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से सांसद चुने गए थे। इसके अलावा हमेशा विधान परिषद और राज्यसभा सदस्य ही चुने जाते रहे हैं। जिसके चलते उनको चारों सदनों का सदस्य होने का गौरव प्राप्त हुआ।

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आपको बता दें कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार ने शुरूआत में अच्छा किया। लेकिन अंत में जिस रास्ते पर उन्होंने चलना शुरू किया वह उनके और बिहार के लिए बुरा है। सीएम अपनी मनमर्जी नहीं कर रहे हैं। वे अब अपने आसपास के लोगों के सुझाव के अनुसार काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वह आज अपने दम पर कार्रवाई करने में असमर्थ हैं क्योंकि उन्होंने कभी उत्तराधिकारी बनाने का प्रयास नहीं किया। अगर नीतीश कुमार ने उत्तराधिकारी चुना होता तो उन्हें इधर उधर देखने की जरूरत नहीं होती। नीतीश कुमार 2-4 लोगों के कहने पर फैसले लेते हैं।

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