आज है लोहड़ी का त्यौहार
आज भारत में लोहड़ी का पर्व मनाया जा रहा है। लोहड़ी पौष के अंतिम दिन, सूर्यास्त के बाद (मकर संक्रांति से पहली रात) मनाई जाती है। लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल तथा रोड़ी (गुड की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है।
लोहड़ी मुख्यता पंजाबीयो का पर्व है। लोहड़ी के कुछ दिन पहले ही बच्चे और बड़े `लोहड़ी`के लोकगीत गाकर लकड़ी और उपले इकठा करते है। संचित सामग्री से चौराहे या मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है। मुहल्ले या गाँव भर के लोग अग्नि के चारो ओर आसन जमा लेते है। रेवड़ी, मक्के के भुने डेन, चना आदि अग्नि को भेंट किये जाते हैं तथा ये ही चीज़े प्रसाद के रूप में सभी उपस्थित लोगो को बांटी जाती है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तोर पर दी जाती है।
लोहड़ी त्यौहार के उत्पत्ति के बारे में काफी मान्यताये हैं जो की पंजाब के त्यौहार से जुडी हुई मानी जाती है। कई लोगों का मन्ना है की यह त्यौहार जाड़े की ऋतू के आने का द्योतक के रूप में मनाया जाता है। आधुनिक युग में अब यह लोहड़ी का त्यौहार सिर्फ पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू कश्मीर और हिमाचल में ही नहीं, बल्कि बंगाल तथा उडिया लोगो द्वारा भी मनाया जा रहा है।